गुरुवार से हज यात्रा (Hajj Yatra 2022) की शुरुआत हो गई है और सउदी अरब (Saudi Arabia) सरकार ने इस बार विदेश से आने वाले 8 लाख 50 हजार मुसलमानों को हज यात्रा करने की मंजूरी दी है. जबकि डेढ़ लाख अपने ही देश के लोगों को हज यात्रा की परमिशन दी है. दो साल से कोरोना के कारण बंद पड़ी हज यात्रा पर इस बार 10 लाख हज यात्री पहुंचेंगे. हज मुस्लिमों के लिए सबसे बड़ा आयोजन है. इस्लाम के मुताबिक हर मुस्लिम को अपने जीवन में एक बार हज ज़रूर करना चाहिए. हज को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है. हज यात्रा का उद्देश्य सभी पाप धोकर खुद को अल्लाह के करीब ले जाना है.
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हाजी (हज यात्रा करने वाले श्रद्धालु) धुल हिज्जा के सातवें दिन मक्का पहुंचते हैं यात्रा के पहले चरण में हाजियों को इहराम (बिना सिला कपड़ा) बांधना होता है. हज यात्रा के दौरान सफेद कपड़ा (इहराम) पहनना ज़रूरी है. हालांकि महिलाएं अपनी पसंद का कोई भी सादा कपड़ा पहन सकती हैं. हज के पहले दिन हाजी तवाफ (परिक्रमा) करते हैं. यानी हाजी सात बार काबा के चक्कर (तवाफ) काटते हैं. काबा के बाद हाजी सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों पर पहुंचते हैं और सफा और मरवा नाम की पहाड़ियों के बीच 7 चक्कर लगाते हैं.
सफा और मरवा के बाद हज यात्री मीना शहर में इकट्ठा होकर रात की नमाज अदा करते हैं. अगले दिन हाजी माउंट अराफात पहुंचते हैं जहां वे अपने पापों को माफ करने के लिए दुआ करते हैं मुजदलिफा के मैदानी इलाकों में इकट्ठा होकर रात बिताते हैं.
माउंट अराफात से जमारात पर पत्थर फेंकने के लिए हाजी वापस मीना लौटते हैं जमारात (जमारात तीन पत्थरों की एक संरचना है) को शैतान का प्रतीक माना जाता है. आखिर में हाजी अपना मुंडन कराते हैं और मुंडन के बाद दोबारा तवाफ और सई करते हैं. ऐसी मान्यता है कि मक्का से रवाना होने से पहले सभी हाजी यात्रा पूरी करने के लिए आखिरी बार तवाफ करना पड़ती हैं.
आपको बता दें कि भारत उन देशों में शामिल हैं जहां से हर साल सबसे ज्यादा मुस्लिम हज के लिए जाते हैं. भारत से इस बार 79 हजार 237 लोग हज यात्रा पर जा रहे हैं. वहीं सउदी सरकार ने उन्हीं लोगों को हज की परमिशन दी है. जिनकी उम्र 65 साल तक हो और उन्हें कोरोना के दोनों टीके लगे हैं.