Hijab : सऊदी-पाकिस्तान सहित दुनिया के बड़े इस्लामिक देशों में क्या हैं नियम

Updated : Feb 15, 2022 21:28
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Editorji News Desk

कर्नाटक हाईकोर्ट ( Karnataka High Court ) में हिजाब मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान, इस्लामिक देश मलेशिया का नाम भी लिया गया. सुनवाई के दौरान, छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि मलेशिया के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिजाब इस्लाम में जरूरी है. इस पर हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि मलेशिया धर्मनिरपेक्ष है या इस्लामिक देश है?

उधर, इस्लामिक देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (Organization Of Islamic Cooperation) की ओर से भी इस मामले पर टिप्पणी की गई है. इन सबके बीच आइए जानते हैं कि दुनिया के 7 अहम इस्लामिक देशों में हिजाब को लेकर क्या नियम हैं?

तुर्की  (Turkey) : तुर्की आधिकारिक तौर पर एक सेक्युलर देश है और 2013 तक वहां सार्वजनिक इमारतों में हिजाब की मनाही थी, इसमें लाइब्रेरी और सरकारी इमारतें शामिल थीं. यह बैन पहली बार 1980 के सैन्य तख्तापलट के दौरान लगाया गया था, लेकिन 1997 में कानून को मजबूत किया गया.

2013 में नियमों में ढील दी गई, जिसके बाद तुर्की में महिलाओं को सिविल सर्विस की नौकरियों और सरकारी दफ्तरों में इसे पहनने की छूट दी गई. हालांकि, सैन्य सेवा या ज्यूडिशियरी में कार्यरत महिलाओं को छूट नहीं दी गई थी लेकिन 2017 में उन्हें भी इस दायरे में ला दिया गया. हाई स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध 2014 में हटाया गया. 2010 में तुर्की ने युनिवर्सिटी परिसरों में हिजाब पहने पर लगी रोक हटाई थी.

मलेशिया (Malaysia) : हेडस्कार्फ या हिजाब को मलेशिया में 'तुडुंग' के नाम से जाना जाता है, जिसका मतलब है "कवर". देश में मुस्लिम महिलाएं स्वतंत्र तौर पर यह फैसला कर सकती हैं कि हेडस्कार्फ पहना जाए या नहीं. हालांकि मस्जिदों में इसे पहनना अनिवार्य है. इसमें गैर-मुस्लिम भी शामिल हैं.

हालांकि सरकारी संस्थानों में सिर ढकने की अनुमति है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों को पूरे चेहरे का घूंघट या नकाब पहनने की मनाही है. 1994 में मलेशिया के सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नकाब, या पर्दे का "(एक महिला के) अपने मुस्लिम धर्म को मानने और उसका पालन करने के संवैधानिक अधिकार से कोई लेना-देना नहीं है", क्योंकि इस्लाम में चेहरा ढकने को अनिवार्य नहीं कहा गया है.

इंडोनेशिया (Indonesia) : इंडोनेशिया में, हिजाब के लिए जिलबाब शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. इंडोनेशियाई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कानून के तहत, महिलाओं का सिर ढंकना पूरी तरह से वैकल्पिक है. इसमें किसी तरह की अनिवार्य बाध्यता नहीं है. मई 2021 में, एक सरकारी आदेश जारी किया गया था, जिसमें स्कूलों को ड्रेस कोड में जिलबाब अनिवार्य तौर पर लागू करने से रोक दिया गया था.

सऊदी अरब (Saudi Arabia) : सऊदी अरब में महिलाओं को हिजाब, नकाब और बुर्का के साथ अबाया पहनना जरूरी होता है, ताकि उसका शरीर ढका रहे (चेहरा नहीं). महिलाओं क ऐसा जगहों पर इसे पहनना होता है, जहां कोई गैर-मर्द मौजूद हो. देश में हिजाब, अनिवार्य नहीं है.

पाकिस्तान (Pakistan) : पाकिस्तान में हिजाब को बैन करने या उसे अनिवार्य करने को लेकर कोई कानून नहीं है. पाकिस्तान में, ज्यादातर महिलाएं सलवार कमीज ही पहनती हैं जो उनके पैरों और शरीर को ढकता है.

ईरान (Iran) : ईरान में 1979 में हुई इस्लामी क्रांति के बाद से हिजाब (बुर्के) के बारे में सख्त नियम लागू हैं. देश में हर साल हिजाब पहनने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने पर सरकार लाखों डॉलर खर्च करती है. इसके लिए प्रदशनियां लगाई जाती हैं, सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं, टीवी और रेडियो पर प्रोग्राम दिखाए जाते हैं, पर्चे बांटे जाते हैं, और जगह-जगह हॉर्डिंग लगाए गए हैं. एक अध्ययन के मुताबिक 32 सरकारी विभाग और एजेंसियां ऐसी हैं, जो हिजाब से जुड़े प्रचार पर धन खर्च करती हैं.

जॉर्डन ( Jordan ) : जॉर्डन ( Jordan ) के किंग अब्दुल्लाह द्वितीय ( Abdullah II ) और उनके परिवार के बारे में बताते हैं जिनकी रॉयल फैमिली को पैगम्बर मोहम्मद साहब का वंशज माना जाता है. जॉर्डन में, हिजाब के लिए कोई कानून नहीं है. 1980 के दशक में यहां हिजाब का इस्तेमाल बढ़ गया था. हालांकि, हिजाब का इस्तेमाल आमतौर पर निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के बीच प्रचलित है.

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