Pakistan में विपक्षी गठबंधन डेमोक्रेटिक फ्रंट (PDM) ने शहबाज शरीफ को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं इमरान खान ने सहयोगी पार्टी PML-Q को विपक्षी गुट में जाने से रोकने के लिए पंजाब के CM उस्मान बुजदार की 'बलि' दे दी. जिससे कि उन्हें सीएम पद ऑफर किया जा सके. राजनीतिक संकट की वजह से पाकिस्तान की इकोनॉमी पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. फाइनेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, महंगाई की दर जुलाई से अक्टूबर के बीच 9.5-11.5% रहेगी.
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प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस 31 मार्च को होगी. इसके बाद वोटिंग होगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि यह हफ्ता पाकिस्तान के लिए बेहद अहम है. होम मिनिस्टर शेख रशीद ने मंगलवार को बताया कि प्रस्ताव पर वोटिंग 3 अप्रैल को होगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, विपक्ष के पास 210 से ज्यादा सांसदों का समर्थन है. जबकि बहुमत का आंकड़ा 172 है.
इमरान 2018 में जब सत्ता में आए थे तो विपक्ष बिखरा हुआ था. ज्यादातर नेताओं पर भ्रष्टाचार के मामले चल रहे थे. पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था चरमराई हुई थी. जिसे बेहतर करने का वादा कर इमरान सत्ता में आए थे.
इमरान पर आरोप है कि वह अर्थव्यवस्था और देश की विदेश नीति को सही तरह से नहीं चला पाए. प्रधानमंत्री बनने के बाद से इमरान ने चार बार वित्त मंत्री बदले, करीब एक दर्जन वित्त सचिव बदले. यहां तक की उन्होंने अपने कर प्रमुख तक को बदला. इसके बाद भी अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटी. बढ़ती महंगाई और पेट्रोल-डीजल और बिजली की कीमतों में हुई भारी वृद्धि ने इमरान की मुश्किलें और भी बढ़ा दी.
वहीं सेना का रुख भी इस बार इमरान सरकार के खिलाफ ही लग रहा है. हालांकि 2018 में इमरान के सत्ता में आने के बाद सेना ने सरकार की काफी मदद की. पहले भी जब इमरान को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश हुई, लेकिन सेना ने नाकाम कर दिया था.