रविवार को इमरान खान के भविष्य का फैसला होना था. नेशनल अंसेबली में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव होना था. उनकी हाथ से कुर्सी जाना तय लग रहा था. लेकिन इमरान ने टी-20 अंदाज में सारा गेम पलट दिया और विपक्षी खेमा चित्त हो गया. अविश्वास प्रस्ताव से पहले इमरान ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के साथ बैठक की और संसद भंग करने की सिफारिश की. वहीं दूसरी तरफ पाक संसद में डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को असंवैधानिक बताकर रोक लगा दी और इमरान को बेदखल होने से बचा लिया. इसके बाद इमरान खान की सिफारिश के आधे घंटे में ही राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है और नए चुनावों का रास्ता साफ कर दिया. ऐसा लग रहा था कि इमरान खान ने पहले से ही जैसे विपक्ष को धराशाई करने की रणनीति बना ली थी. रविवार के दिन जिस तरह से सियासी घटनाएं उससे तो यही लगता है. विपक्ष के पास इमरान खान सरकार गिराने के लिए पर्याप्त नंबर हैं, विपक्ष का दावा है कि उनके पास 199 सांसद हैं. इस लिहाज से भी इमरान के खेमे में 142 ही बचते हैं. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सीटें हैं.
Imran Khan : इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज, कप्तान के सामने विपक्ष चित
डिप्टी स्पीकर ने जिस आर्टिकल-5 का हवाला देकर इमरान की कुर्सी बचा ली. आइए जानते हैं वो क्या है. आर्टिकल-5 के तहत राज्य के प्रति वफादारी प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है. संविधान और कानून का पालन करना हर नागरिक का दायित्व है. फिर वह पाकिस्तान के भीतर हो या बाहर. डिप्टी स्पीकर सूरी ने कहा कि 8 मार्च को पेश इस प्रस्ताव को कानून के हिसाब से होना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी विदेशी ताकत को चुनी हुई सरकार को हटाने या साजिश करने का अधिकार नहीं हो सकता है. इस तरह विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया. पाकिस्तान में इससे पहले 1989 को पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो और 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज के खिलाफ नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. लेकिन दोनों ही बार विपक्ष को नाकामी का सामना करना पड़ा.