पाकिस्तान (Pakistan) में इस सप्ताह की शुरुआत में मानवाधिकार आयोग (Human rights commission) ने साल 2022 से जुड़ी अपनी प्रमुख सालाना स्टेट ऑफ ह्यूमन राइट्स रिपोर्ट (State of Human Rights Report) जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल हुई पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल पर चिंता जताई है. साथ ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा (violence against minorities) समेत मानवाधिकार उल्लंघन (Human rights violations) के कई मामले सामने आए हैं. एचआरसीपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल देश में सबसे अधिक आतंकवादी हमले (terrorist attacks) हुए हैं. जिसमें 533 लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 2,210 गुमशुदगी के मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
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एचआरसीपी की रिपोर्ट में ट्रांसजेंडर के साथ ही मजदूरों की स्थिति दयनीय बताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रांसजेंडर के साथ हिंसा के मामले सामने आए हैं. वहीं, बंधुआ मजदूरों की स्थिति भी दयनीय है. पिछले साल लगभग 1200 मजदूरों को छुड़ाया गया है. इसके अलावा 90 खदान मजदूरों की जान जा चुकी है. इन मुद्दों पर एचआरसीपी ने राज्य द्वारा तत्काल कार्रवाई की मांग की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुल्क में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के लिए बढ़ता खतरा एक गंभीर चिंता का विषय है. देश में बाढ़ ने अधिकांश हिस्सों को तबाह कर दिया है. बाढ़ से प्रभावित 33 मिलियन से अधिक लोगों के लिए राहत और पुनर्वास की बहुत कमी है. धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के लिए बढ़ते खतरे के साथ ही मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. पाकिस्तान में इन घटनों के अलावा अहमदिया मुस्लिमों पर भी खतरा है. अहमदिया समुदाय के कई पूजा स्थलों समेत करीब 90 कब्रों को बर्बाद कर दिया गया. वहीं, 4,226 औरतों के साथ दुष्कर्म के भी मामले सामने आए है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली और मौजूदा दोनों सरकारें संसद की सर्वोच्चता का सम्मान करने में विफल रहीं, और राजद्रोह को दबाने के लिए औपनिवेशिक काल में सालभर राजनीतिक उत्पीड़न जारी रहा.