Russia Ukraine War : हमले के पीछे पुतिन का कौन सा लालच है?

Updated : Feb 25, 2022 19:57
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Editorji News Desk

रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है. यूक्रेन में बम धमाकों की, हवाई हमलों की और अफरातफरी की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं. हमले की जो प्रमुख वजह सामने आई वह यह थी कि रूस, यूक्रेन को पश्चिमी देशों के पाले में नहीं जाने देना चाहता है. वह इसके यूरोपियन यूनियन और NATO में शामिल होने की आहट के बीच बौखला गया है लेकिन क्या बात NATO की और यूरोपियन यूनियन की ही है, या किस्सा इसके आगे भी है, आइए समझते हैं...

रूस के हमले के बाद, दुनिया इस संघर्ष को मिलिट्री की ताकत से जोड़कर देख रही है लेकिन यह कहानी का अंत नहीं है. अर्थव्यवस्था, प्राकृतिक संसाधन, रेयर अर्थ मेटल और इनपर दावे की कोशिश भी इसकी एक प्रमुख वजह है.

लड़ाई राजनीतिक या प्राकृतिक संसाधनों की?

ऑयल और गैस

यूक्रेन में, यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा गैस भंडार है. बात जब प्राकृतिक गैस की आती है, तो यहां यह लगभग 1.09 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर की संख्या में है, जो बेहद ज्यादा है. यह नॉर्वे के 1.53 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर के बाद दूसरे स्थान पर है.

वर्तमान में, रूस Nord Stream I पाइपलाइन और यूक्रेन के जरिए यूरोप की गैस खपत की 40% से 50% की आपूर्ति करता है. जर्मनी, रूस की प्राकृतिक गैस का बड़ा ग्राहक है. जर्मनी, अपनी प्राकृतिक गैस का 55% रूस से हासिल करता है और इसका ज्यादातर हिस्सा यूक्रेन से होकर जर्मनी तक पहुंचता है. यूक्रेन इसके लिए ट्रांजिट फीस लेता है, जो 7 बिलियन डॉलर के बराबर है. यह यूक्रेन की जीडीपी का 7 पर्सेंट है.

यूक्रेन के प्राकृतिक गैस भंडार अभी भी अछूते हैं और वह खुद रूस से यूरोप तक गैस पहुंचने का रास्ता बना हुआ है. 2019 में, मॉस्को और कीव ने ट्रांजिट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत साइबेरियन गैस का यूरोपियन यूनियन तक ट्रांसफर करना आसान हो गया. यूरोप की एनर्जी जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस ने Nord Stream II पर कार्य शुरू किया जो और भी बेहतर है.

इस गैस की रेस में अमेरिका कहीं नहीं है. लेकिन, बाल्टिक सागर में Gazprom की Nord Stream II पाइपलाइन के लिए अड़चन पैदा हो सकती है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन का विवादास्पद क्षेत्र Donetsk और Luhansk को मान्यता देना बड़ा समस्या पैदा कर सकता है.

जर्मन चांसलर ने तनातनी के बेच Nordstream II पर कदम रोक दिए हैं.

प्राकृतिक गैस के अलावा, यूक्रेन कोयला, आयरन, टाइटेनियम और दूसरे नॉन मैटेलिक रॉ मटेरियल जैसे खनिजों से भरा हुआ है. आयरन, टाइटेनियम और non-metallic raw materials के मामले में यह देश प्रमुख है.

यूक्रेन के साथ रूस की जंग का असर कोयले और बिजली पर भी होगा. पिछले साल, भारत ने घरेलू की कमी को पूरा करने के लिए कोयले का आयात किया और यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद, वह सप्लाई चेन भी प्रभावित होगी.

यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधन बहुत अधिक हैं. यहां धरती के 5 फीसदी प्राकृतिक और खनिज संसाधन हैं. टाइटेनियम, आयरन और non-metallic raw materials ऐसे अहम मटेरियल हैं जिन्हें यूक्रेन एक्सपोर्ट करता है.

कॉर्न ($ 4.77 बिलियन), सीड ऑयल ($ 3.75 बिलियन), आयरन ओर ($ 3.36 बिलियन), गेहूं ($ 3.11 बिलियन), और सेमी फिनिश्ड आयरन ($ 2.55 बिलियन) ज्यादातर, रूस ($ 4.69 बिलियन), चीन ($ 3.94 बिलियन), जर्मनी ($ 3.08 बिलियन), पोलैंड ( $ 2.75 बिलियन) और इटली ($ 2.57 बिलियन ) को ही निर्यात किया जाता है.

कीमती धातु

2019 में, यूक्रेन दुनिया में आयरन ओर का 5वां सबसे बड़ा एक्सपोर्टर था. इसी साल, यूक्रेन में आयरन ओर तीसरा सबसे ज्यादा निर्यात किया जाने वाला संसाधन था.

यह भी जान लें कि टाइटेनियम और लीथियम, दुनिया में सबसे कीमती धातुओं में से कुछ हैं. क्यों? आइए जानते हैं:

लीथियम:

यूक्रेन में, लीथियम क्षेत्र Kirovohrad (Polokhivske field, Dobra area), Donetsk (Shevchenkivske field), और Zaporizhzhia oblasts (Kruta Balka area) में हैं. लेकिन क्षेत्र में फिलहाल कोई खनन काम नहीं हो रहा है.

लीथियम कैमिकल, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बैटरी का एक अहम कॉम्पोनेंट है. ज्यादातर ऑटोमोबाइल कंपनियां दुनिया भर में लीथियम के भंडार की तलाश कर रही हैं.

टाइटैनियम:

कुछ अनुमानों के अनुसार, टाइटेनियम अयस्कों के भंडार का 20% यूक्रेन में है. दिलचस्प बात यह है कि 2021 में चीन, यूक्रेन के टाइटेनियम अयस्क (24.4%) का सबसे बड़ा आयातक था. रूस (15.3%) के साथ दूसरे और तुर्की (14.5%) के साथ तीसरे स्थान पर था.

रूस-यूक्रेन संघर्ष में जो एक इंडस्ट्री सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती है, वह एयरक्राफ्ट है.

31 जनवरी को, बोइंग ने एक बयान में कहा कि यूक्रेन में तनाव उनके कारोबार के लिए "खराब माहौल" की वजह बन सकता है. किसी भी तरह के संभावित आर्थिक प्रतिबंध होने पर, टाइटेनियम की सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है, और विमानों के प्रोडक्शन पर इसका असर हो सकता है.

खाद्य सुरक्षा:

रूस के हमले का असर गेहूं और कॉर्न के निर्यात पर पड़ना भी स्वाभाविक है क्योंकि यूक्रेन में इन दोनों की अधिक पैदावार होती है. यूक्रेन इस साल गेहूं में नंबर 3 और मकई में नंबर 4 बनने का टारगेट लेकर चल रहा है. रूस के साथ संकट की वजह से हो सकता है यह टारगेट पूरा न हो पाए.

क्या ये दौड़ यूक्रेन के संसाधनों के लिए है?

अमेरिका और यूरोप, यूक्रेन को पश्चिम के पाले में लाने के लिए पूरी कोशिश में है, लेकिन क्या रूस इसे पसंद करेगा? यूरोप में, रूस के दबदबे को लेकर अमेरिका हमेशा से चौकस रहा है. रूस अगर यूक्रेन के कुछ इलाकों पर कब्जा करने में कायमाब होता है, तो निश्चित ही, उसकी मौजूदगी और प्रभावशाली होगी.

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