रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की सुलह का रास्ता भारत (India) से निकल सकता है. ये बात इसलिए उठ रही है क्योंकि दोनों देशों के बीच शांति के लिए अब दिल्ली में बैठकों का सिलसिला तेज हो गया है.
एक तरफ क्वॉड देशों के नेता भारत आने वाले हैं. तो दूसरी तरफ रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) 31 मार्च और 1 अप्रैल को भारत दौरे पर होंगे.
ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस (Elizabeth Truss) 31 मार्च को भारत आने वाली हैं.
रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता में जुटे इज़रायल के प्रधानमंत्री नेफताली बेनेट का भी भारत आने का प्लान है.
वहीं, कुछ दिनों पहले भारत आए जापान के पीएम फूमियो किशिदा (Fumio Kishida) खुलकर भारत से ये आग्रह कर चुके हैं कि पीएम मोदी (PM Modi) को रूस को रोकने और राष्ट्रपति पुतिन को समझाने में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.
चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) भी 25 मार्च को भारत आए थे. वांग यी ने रूस-यूक्रेन के मुद्दे पर चीन का नजरिया पेश किया था.
वहीं, यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba) भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मध्यस्था की अपील कर चुके हैं. कुलेबा ने कहा था- पीएम मोदी इस युद्ध को रोकने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करें और उन्हें समझाएं युद्ध सभी के हित के खिलाफ है.
पिछले महीने भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा (Igor Polikha) ने पीएम मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश करते हुए कहा था कि भारत और रूस के संबंध अच्छे हैं. इसलिए यूक्रेन-रूस विवाद को कंट्रोल करने में भारत अहम योगदान दे सकता है.
आपको बता दें कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग को 30 से ज्यादा दिन हो चुके हैं. लेकिन कोई हल निकलता नहीं दिख रहा. दोनों देशों के बीच शांति वार्ता भी बेनतीजा साबित हो रही हैं. पुतिन साफ कर चुके हैं कि जब तक उनकी सारी शर्तें नहीं मानी जाती तब तक वे पीछे हटने वाले नहीं हैं. ऐसे में अब पूरी दुनिया की नजर सिर्फ भारत पर है.
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