Sri Lanka Crisis: 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के कई सदस्य सत्ता में रहे हैं. इनके लिए 9 नंबर अभिशाप बन गया है.
श्रीलंका की राजनीति में लंबे अर्से तक सत्ता पर काबिज रहनेवाले राजपक्षे परिवार के लिए 9 तारीख आफत बनकर टूट पड़ा है. सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने 9 मई को इस्तीफा दे दिया. इसके ठीक एक महीने बाद 9 जून को तत्कालीन वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया.9 जुलाई को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आवास पर हमला कर दिया और उन्हें राष्ट्रपति भवन छोड़ कर भागना पड़ा. ऐसे में ये लोग मान रहे हैं कि 9 का नंबर राजपक्षे परिवार के लिए अभिशाप है.
श्रीलंका की सत्ता के शिखर पर राजपक्षे खानदान ने राज किया है. राजपक्षे परिवार के तीन भाई कुछ महीने पहले तक श्रीलंका की सत्ता पर राज कर रहे थे. इन पर श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को तबाह करने के आरोप लग रहे हैं. महिंदा राजपक्षे 2005 से 2015 तक राष्ट्रपति रहे इसके बाद 2015 में मैत्रिपाला सिरिसेना को हराकर प्रधानमंत्री बने. इन दौरान उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और कहा गया कि परिवार के पास विदेशों में 18 अरब डॉलर की संपत्ति है.महिंदा के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरी और पीएम पद से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.आज उनके छोटे भाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ भी जनता सड़कों पर है. इन पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. ये आरोप उस वक्त भी पुख्ता हुआ था जब 2015 में इंटरपोल ने खुलासा किया कि गोटबाया के रक्षा सचिव रहते हुए सैन्य खरीद में 10 मिलियन डॉलर का घोटाला हुआ.
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