भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवादी समूहों को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) ने बड़ा खुलासा किया है. UNSC की प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम (एमटी) की एक रिपोर्ट में दावा किया है कि तालिबान (Taliban) जैश-ए-मोहम्मद और लश्करे तैयबा (Lashkar Taiba) को मजबूत करने में जुटा. तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत के खिलाफ आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान (Afghanistan) में प्रशिक्षण देने का काम जोर-शोर से चल रहा है. बड़ी बात ये है कि कश्मीर में भी लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) सक्रिय है. हाल ही में सुरक्षाबलों ने बारामूला जिले में लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर युसूफ कांतरू (Yusuf Kantru) सहित 4 आतंकियों को मार गिराया था.
तालिबान नियंत्रित कर रहा 3 आतंकी शिविर
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से ही पाकिस्तान से संबंध रखने वाले आतंकवादी समूहों ने यहां महत्वपूर्ण उपस्थिति बना रखी है, लेकिन तालिबान हमेशा इससे इनकार करता रहा है. तालिबान प्रतिबंध समिति 1988 की निगरानी टीम ने जो रिपोर्ट यूएनएससी के सदस्य देशों को पेश की है उसके अनुसार, तालिबान सीधे पर तौर पर 8 में से तीन आतंकी शिविरों (Terrorist Camps) को नियंत्रित कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा ने कुनार और नंगरहार में ऐसे तीन कैंप बनाए हुए हैं.
निगरानी टीम की यह 13वीं रिपोर्ट
बता दें निगरानी टीम की यह 13वीं रिपोर्ट है और तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद यह पहली रिपोर्ट है. रिपोर्ट के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के अफगानिस्तान में करीब 100 लड़ाके होने का अनुमान है. तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता फिलहाल संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) कर रहे हैं.