पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) से जब भारत के साथ रिश्तों की बात होती है, तो आगरा समझौते का जिक्र जरूर होता है. जहां से तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को खाली हाथ लौटना पड़ा था. बात 14 जुलाई 2001 की है, जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अपनी पत्नी के साथ भारत पहुंचे. 1999 में हुए करगिल युद्ध (Kargil War) के घाव अभी ताजा था, लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच आगरा में अहम बैठक होनी थी, जिसमें आतंकवाद (Terrorism in kashmir) और कश्मीर जैसे मुद्दे शामिल थे.
आगरा शिखर वार्ता के दौरान तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) परवेज मुशर्रफ से मिलने पहुंचे, जहां उन्होंने मुशर्रफ के सामने भारत-पाकिस्तान में प्रत्यर्पण संधि की बात रखी, जिसके लिए मुशर्रफ ने हामी भर दी, जिसके तुरंत बाद लाल कृष्ण आडवाणी ने मुशर्रफ से मुंबई बम धमाकों के आरोपी दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) को भारत को सौंपने को कहा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी बात पर मुशर्रफ ने भड़कते हुए कहा कि दाऊद पाकिस्तानी में नहीं है. इसी दौरान परवेज मुशर्रफ ने कश्मीर का मुद्दा छेड़ दिया और आगरा शिखर वार्ता शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संबंध इस तरह रूखे हो गए कि मुशर्रफ को कोई सार्वजनिक विदाई नहीं दी गई. मुशर्रफ को खाली हाथ पाकिस्तान लौटना पड़ा.
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