Sawan 2021: जब अपने भक्त श्वेतकेतु के लिए 'महाकाल' ने काल को कर दिया भस्म

Updated : Jul 27, 2021 11:39
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Editorji News Desk

Sawan 2021: महादेव की पूजा का विशेष महीना सावन शुरू हो चुका है. कहते हैं जो भक्त इस महीने में सच्चे दिल से महादेव की पूजा अर्चना करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. आज हम आपको बताएंगे शिव की भक्ति से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा जिसमें बताया गया है कि कैसे शिव ने अपने भक्त के प्राणों की रक्षा के लिए काल का भी अंत कर दिया था. 

जिस कहानी का आज हम ज़िक्र करेंगे, मान्यता है कि शिव के पुत्र कार्तिकेय ने खुद ये कथा संतों को सुनाई थी. 

ये भी देखें: Sawan 2021: सावन के महीने में ऐसे करें शिव का जलाभिषेक, दूर होंगी समस्याएं 

कहते हैं श्वेतकेतु नाम का एक राजा था जो भोलेनाथ का परम भक्त था. श्वेतकेतु बेहद सदाचारी और धर्म के मार्ग पर चलने वाला शूरवीर राजा था. वो जिस निष्ठा से प्रजा का पालन करता था उसी श्रद्धा से भगवान शिव की भक्ति में लीन रहता था. एक दिन की बात है राजा श्वेतकेतु देवाधिदेव शिव की आराधना में लीन हो गए थे. वो दिन राजा का जीवनकाल समाप्त होने का दिन था तब यमराज ने अपने दूतों को आज्ञा दी कि जाकर श्वेतकेतु के प्राण हर कर ले आएं. 

यमदूत जैसे ही राजा श्वेतकेतु के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वो शिव के मंदिर में थे. दूत बाहर खड़े हो गए. श्वेतकेतु इस दौरान बहुत ही गहरे ध्यान में थे. बहुत देर हो चुकी थी ना श्वेतकेतु का ध्यान टूटा और ना दूत हिले. जब यमदूत अपना काम कर के वापस नहीं पहुंचे तो यमराज ने अपना कालदंड संभाला और खुद श्वेतकेतु के प्राण हरने के लिए चल पड़े. 

जब यमराज वहां पहुंचे और उन्होंने श्वेतकेतु को शिव भक्ति में लीन देखा तो वो भी वही खड़े हो गए. उन्होंने सोचा शिव पूजा का उल्लंघन करना सही नहीं है. लेकिन जैसे ही काल को इसकी सूचना मिली तो उसने अपनी तलवार निकाली और शिव मंदिर में जा घुसा. काल ने देखा कि राजा श्वेतकेतु महादेव की भक्ति में लीन है. वो आगे बढ़ा और जैसे ही उसने राजा को मारने के लिए तलवार उठाई वैसे ही शिव अपना तीसरा नेत्र खोलकर काल की तरफ देखा और उसे भस्म कर दिया.

जब राजा श्वेतकेतु का ध्यान टूटा तो उन्हें राख देखकर चिंता हुई कि ये भला कौन है और क्या है? उन्होंने भगवान शिव से पूछा, तब उन्होंने बताया कि ये काल है और तुम्हारे प्राण लेने आया था. ये सुनकर राजा शिवकेतु ने कहा कि हे महाकाल ये तो आपकी ही आज्ञा से तीनों लोकों में विचरता है. इससे डरकर तो लोग पुण्य कर्म करते हैं. आप इसे जीवनदान दे दें. राजा के इस आग्रह पर महादेव ने काल को जीवनदान दे दिया और काल ने उठते ही श्वेतकेतु को अपने गले लगाकर बोला हे राजन, तुम्हारे जैसा तीनों लोकों में कोई नहीं है. इसलिए कहा जाता है कि महादेव के परम भक्तों को कभी भी अकाल मृत्यु नहीं आती.   

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