हिंदू घर्म में शिव पूज्य हैं. इनकी पूजा शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग स्वरूप में की जाती है पर बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग एक नहीं होते बल्कि इनमें कुछ अंतर होता है. इस बात को एक पौराणिक कथा के जरिए समझा जा सकता है.
शिवपुराण की एक कथा के अनुसार, एकबार श्री ब्रह्मा और श्री विष्णु में विवाद हुआ कि उनमें श्रेष्ठ कौन है, उन दोनों का भ्रम समाप्त करने के लिए शिव एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए, जिसकी थाह ये दोनों देव नहीं पा सके. इस स्वरूप को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. वहीं शिवलिंग को सृष्टि के निर्माण का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिर्लिंग सदैव स्वयंभू होते हैं जबकि शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित और स्वयंभू दोनों हो सकते है.
देशभर में 12 ज्योतिर्लिंग हैं. मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से मनुष्य के समस्त प्रकार के पाप मिट जाते हैं. कहते हैं शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है और मनचाहा वरदान मिलता है तो वहीं ज्योतिर्लिंग के पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.