आलिया भट्ट को लेकर जब बात चली कि वो 'गंगूबाई काठियावाड़ी' का किरदार निभाने वाली हैं तो चर्चा ये भी हुई कि गंगूबाई जैसे किरदार के लिए आलिया की उम्र बहुत कम है. हालांकि, फिल्म का ट्रेलर ऐसा है जिसको देखने के बाद आलिया पर फिलहाल सवाल उठने बंद हो गए हैं. गंगूबाई काठियावाड़ी के किरदार में 27 साल की आलिया जच रही हैं. लेकिन ऐसी बहसों के बीच एक सवाल ये उठ रहा है कि आखिर वो गंगूबाई काठियावाड़ी हैं कौन जिनकी कहानी इतनी दिलचस्प कि संजय लीला भंसाली जैसे दिग्गज डायरेक्टर उनपर फिल्म बनाने निकल पड़े.
कमाठीपुरा की क्वीन
गंगूबाई कोठेवाली वो नाम है जिसे कमाठीपुरा की क्वीन कहा जाता था. कमाठीपुरा अभी के बॉम्बे और तब की मुंबई का रेड लाइट एरिया है. उस दौर में गंगूबाई का ऐसा रुतबा था कि बड़े-बड़े लोग उनके नाम से कांपते थे. वो उस दौर के डॉन करीम लाला की खास थीं. मुंबई माफिया से लेकर नेताओं तक की पहुंच ने गंगूबाई को कमाठीपुरा की क्वीन बना दिया था.
क्वीन गंगूबाई अपनी मर्जी से कमाठीपुरा नहीं आई थीं. मुंबई माफिया महिलाओं पर आधारित है लेखक एस. हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' के मुताबिक हजारों लड़कियों की तरह वो भी सेक्स ट्रैफिकिंग का शिकार हुई थीं. उनका नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था. वो गुजरात के काठियावाड़ में पली-बढ़ी थीं. नामी-गिरामी परिवार से आने वाली गंगा हीरोइन बनना चाहती थीं. लेकिन उनके साथ हुए धोखे ने उन्हें किसी और राह पर लाकर छोड़ दिया.
कोठे से करीम लाला की 'बहन' बनने कर का सफर
किताब के मुताबिक 16 साल की गंगा को पिता के अकाउंटेंट रामनिक लाल से प्यार हो गया. रामनिक ने गंगा को मुंबई में एक्टर बनने के सपने दिखाए और उससे शादी कर ली. शादी के बाद दोनों मुंबई आ गए. यहीं गंगा के साथ धोखा हुआ. रामनिक ने गंगा को 500 रुपये में एक कोठे पर बेच दिया. गंगा की जिंदगी की धार यहीं से मुड़ गई और काठियावाड़ की गंगा मुंबई के कमाठीपुरा में गंगूबाई बन गई.
जैदी ने अपनी किताब में माफिया डॉन करीम लाला से गंगूबाई के नज़दीकियों का भी जिक्र है. करीम लाला के गैंग के एक पठान ने गंगूबाई का रेप किया था. मामले में जब किसी ने भी गंगूबाई की मदद नहीं की तो इंसाफ के लिए वो खुद करीम लाला से मिलने पहुंचीं. लाला ने गंगूबाई को इंसाफ का वादा किया. इससे भावुक होकर गंगूबाई ने उसकी कलाई पर राखी भी बांधी थी. करीम लाला की ‘बहन’ बनने के बाद कमाठीपुरा में गंगूबाई का रुतबा बदल गया. धीरे-धीरे इलाके की पूरी कमान उनके हाथों में आ गई. यहां की सेक्स वर्कर्स के लिए गंगूबाई ‘गंगूमां’ बन चुकी थीं.
नेहरू से मिलीं गंगूबाई
इस रेड लाइट एरिया में गंगूबाई की मर्ज़ी चलने लगी. इस दौरान उन्होंने सेक्स वर्कर्स के हक की लड़ाई भी लड़ी. वो शहरों में प्रॉस्टीट्यूशन बेल्ट के हक में थीं. मुंबई के आज़ाद मैदान में उन्होंने सेक्स वर्कर्स के हक में एक भाषण दिया. इसे वहां के स्थानीय अखबारों ने खूब कवर किया. किताब में गंगूबाई के उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे जवाहरलाल नेहरू से मिलने का भी जिक्र है.
गंगूबाई ने सिर्फ महिलाओं के हक़ में बात नहीं की बल्कि उन्होंने कई अनाथ और बेघर बच्चों को भी गोद लिया. गंगू ने इनके रहन-सहन से लेकर पढ़ाई तक का ज़िम्मा उठाया. उम्मीद है कि इस कहानी के ज़रिए आपको उनके जीवन की झलक मिली होगी.
इन्हीं पर बन रही भंसाली की नई फिल्म का टीजर आ चुका है. 60 के दशक के सेट में आलिया भट्ट इस टीज़र में जम रही हैं. 30 जुलाई को रिलीज़ हो रही ये फिल्म इस शख्सियत को तो सच्ची श्रद्धांजलि होगी ही, ये फिल्म आलिया के जीवन में भी एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.