जैसे कोरोना से संक्रमित लोगों में नज़र आने वाले लक्षण बदल रहे हैं वैसे ही कोरोना से रिकवरी के बाद होने वाली परेशानियां भी बदल रही हैं. इसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम या पीसीएस या कोविड 19 लॉन्ग हॉल सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है. पोस्ट कोविड सिंड्रोम से पीड़ित मरीज़ों में मूड डिसऑर्डर, थकान और किसी काम में कॉनसन्ट्रेट ना कर पाने जैसे परेशानियां देखने को मिल रही हैं जो उनकी दिनचर्या पर नेगेटिव इम्पैक्ट डाल रही हैं
'मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स' नाम की पत्रिका में इस सिंड्रोम से जुडी एक रिसर्च का रिजल्ट पब्लिश किया गया है. ये रिजल्ट्स कोविड 19 एक्टिविटी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम में भाग लेने वाले 100 पेशेंट्स पर की गयी रिसर्च पर आधारित हैं
इन सभी मरीज़ों को इन्फेक्शन के लगभग 93 दिनों के बाद रिसर्च में शामिल किया था जिसमें 80 परसेंट मरीज़ों ने असामान्य थकान की शिकायत की , जबकि 59 परसेंट ने सांस लेने से सम्बंधित शिकायतें की और इतने ही परसेंट लोगों ने ब्रेन फॉग जैसी न्यूरोलॉजी से जुड़ी शिकायत की
मेयो क्लिनिक के मेडिकल डायरेक्टर ने बताया कि रिसर्च में शामिल अधिकांश मरीज़ों में कोविड संक्रमण से पहले कोई बीमारी नहीं थी और ना ही कोरोना इंफेक्शन से लड़ते समय इन्हें हॉस्पिटल में एडमिट होने की ज़रूरत पड़ी थी.
इस रिसर्च में शामिल लगभग एक तिहाई मरीज़ों ने रोज़मर्रा के आसान से काम को करने में भी कठिनाई होने की शिकायत की और तीन में एक ही मरीज़ अपने रोज़ के कामकाज सामान्य रूप से कर पाया
रिसर्चर्स का मानना है कि महामारी के दौरान आने वाले वक़्त में संक्रमण के बाद इस तरह के सिम्पटम्स वाले पेशेंट्स की संख्या में इज़ाफ़ा देखने को मिल सकता है साथ ही उन्होंने ये भी कि हमारे हेल्थकेयर वर्कर्स को इसके लिए तैयार रहने की ज़रूरत है.