Physical Gold Vs Digital Gold: अगर आप इस दिवाली सोना खरीदने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले आप ये देखें कि आप सोना क्यों खरीद रहे हैं और उसका यूज कहां करेंगे? जैसे अगर आपको उस गोल्ड का इस्तेमाल ज्वेलरी बनवाने में करना है तो फिजिकल गोल्ड ही आपके लिए बेहतर ऑप्शन होगा. लेकिन अगर आप गोल्ड को एक इन्वेस्टमेंट के तौर पर देखते हैं तो फिजिकल गोल्ड शायद आपके काम की चीज नहीं. ऐसे में आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है डिजिटल गोल्ड. मार्केट में भी फिलहाल डिजिटल गोल्ड काफी ट्रेंड में है.
आइए देखते हैं कि क्यों निवेश के लिहाज से फिजिकल गोल्ड बुरा विकल्प माना जाता है.
1. मेकिंग चार्ज
अगर आप गोल्ड किसी ज्वेलरी या स्टोर से लेते हैं तो आपको उसके लिए मेकिंग चार्ज के नाम पर ही 10-15% देना पड़ जाता है. उदहारण के तौर पर अगर आप 1 लाख का सोना खरीद रहे हैं तो आपको मेकिंग चार्ज पर ही करीबन 10 हजार रुपये खर्चने पड़ेंगे.
2. शुद्धता की समस्या
इसके अलावा जब भी हम सोना खरीदते हैं तो शुद्धता का पहलू हमेशा रहता है.
क्योंकि आभूषण में बदलने के लिए उसमें हमेशा कुछ और धातु को मिक्स किया जाता है.
3. चोरी का डर
अगर आप भारी मात्रा में गोल्ड से बने आभूषण को घर में रखते या पहनने में इस्तेमाल करते हैं तो चोरी और लूट का डर भी हमेशा बना रहता है. आपको अपने सोने को सेफ करने के लिए बैंक लॉकर का सहारा लेना पड़ता है. पहले तो बैंकों में लॉकर बहुत लिमिटेड संख्या में होते हैं, और जब मिलते हैं तो उसके लिए आपको ठीक ठाक सी रकम बतौर रेंट चुकानी पड़ती है. ये बैंक टू बैंक डिफर करता है.
4. बेचने पर कम कीमत
अगर आप सोना बेचने जाते हैं तो ज्वेलर आपको शुद्धता यानि कैरेट के बहाने सोने की एक्चुअल कीमत की तुलना में हमेशा कम पैसे देता है. जैसे 16 कैरेट में पैसे ज्यादा कटेंगे, 22 में कुछ कम, 24 कैरेट में ज्यादा पैसा मिलेगा. इसके अलावा मार्केट रेट भी एक फैक्टर होता है.
तो ये हुई फिजिकल गोल्ड के नुकसान की बात. लेकिन याद रहे कि इनमें से कोई भी नुकसान आपको डिजिटल गोल्ड खरीदने में नहीं होगा. तो अब आप डिसाइड करें कि आपको क्या खरीदना है.
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