नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं में देवी दुर्गा को सबसे शक्तिशाली देवी माना गया है. देवी दुर्गा को पाप मोचक, कष्ट निवारणी भी कहा जाता है. देवी दुर्गा की 10 भुजाएं हैं और दसों भुजाओं में 10 अलग-अलग शस्त्र हैं. हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार मां दुर्गा इन शस्त्रों से अपने भक्तों को बुरी ताकतों से बचाती हैं. लेकिन क्या आपको इन दसों शस्त्रों के महत्व के बारे में पता है? चलिए बताते हैं.
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मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा को त्रिशूल भगवान शिव ने दिया था. त्रिशूल के तीनों नुकीले सिरे उन तीन गुणों के प्रतीक हैं जिनसे मानव जाति बनी हैं. ये तीन गुण हैं तमस, राजस और सत्व.
सुदर्शन चक्र
भगवान विष्णु से मिला सुदर्शन चक्र सृष्टि के केंद्र का प्रतीक है और पूरा ब्रह्मांड इसके इर्द-गिर्द घूमता है
कमल का फूल
कमल को भगवान ब्रह्मा का प्रतीक माना जाता है जो ज्ञान के माध्यम से बुद्धि और मुक्ति का प्रतिनिधित्व करता है
धनुष और बाण
इसे पवनदेव और सूर्यदेव ने ऊर्जा के प्रतीक के रूप में दिया था. ये इस बात का भी प्रतीक है कि मां दुर्गा ब्रह्मांड में ऊर्जा के सभी स्रोतों को नियंत्रित करती हैं
तलवार
देवी दुर्गा को तलवार भगवान गणेश ने भेंट की थी जिसे ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है.
वज्र
इंद्रदेव का उपहार वज्र, आत्मा की दृढ़ता, मजबूत संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक है.
भाला
यह शुभता का प्रतीक है, जिसे अग्नि देव ने दिया था. यह उग्र शक्ति का भी प्रतिनिधित्व करता है. ये क्या गलत और क्या सही है उसके अनुसार काम करने के बीच का अंतर जानता है.
सांप
देवी दुर्गा को भगवान शिव का उपहार, सांप चेतना और ऊर्जा का प्रतीक है.
शंख
देवी दुर्गा के हाथ में शंख ध्वनि और पवित्रता का प्रतीक है. ये शांति और समृद्धि की भी सूचक है.
फरसा
फरसा भगवान विश्वकर्मा की ओर से मां दुर्गा को दिया गया था. ये बुराई से लड़ने और किसी भी परिणाम से नहीं डरने का प्रतीक है
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