'No Time To Die' Review: 6 साल बाद जेम्स बॉन्ड (James Bond) सीरीज की नई फिल्म आई है. 'नो टाइम टू डाय' इस सक्सेसफुर सीरीज की 25वीं फिल्म है और बतौर बॉन्ड डैनियल क्रेग (Daniel Craig) की आखिरी. अपनी अंतिम बॉन्ड फिल्म में क्रेग ने जान डाल दिया है और ये फिल्म उन्हें शानदार सलामी देती दिखती है.
ट्रेडमार्क बॉन्ड फिल्म की तरह 'नो टाइम टू डाय' भी दर्शकों को पहले एक्शन सीक्वेंस से बांधे रखती है. हालांकि 2 घंटे 43 मिनट की ये अबतक की सबसे लंबी बॉन्ड फिल्म है, लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि डैनियल क्रेग और डायरेक्टर कैरी फुकुनागा ने अबतक की शायद सबसे बेहतरीन बॉन्ड फिल्म डेलिवर की है. जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस, खूब सारा रोमांस, धमाका और धोखा, जानदार डायलॉग्स, नए नए गैजेट्स और कार्स, एज ऑफ दी सीट सस्पेंस का ये भरपूर कॉकटेल है. कुल मिलाकर यूं समझें कि मजा आ जाएगा.
फिल्म में रिटायर हो चुका एजेंट बॉन्ड दुनिया के एक कोने में सुकून की जिंदगी बसर कर रहा होता है, लेकिन जब दुनिया पर एक खतरनाक बायो हथियार का खतरा मंडराता है तो वो दुनिया को बचाने के लिए लौट आता है. पर इस बार वो बतौर फ्रीलांसर काम करता है, जानते हैं क्यों, क्योंकि क्रेग की गैरमौजूदगी में MI6 ने एक नया 007 जो चुन लिया होता है. ये सुपर एजेंट एक महिला है, नाम है रोनी.
बड़ी मुश्किल से क्रेग ने ये फिल्म एक्सेप्ट की थी, लेकिन No Time To Die में क्रेग की परफॉर्मेंस उनकी अबतक की सबसे बेहतरीन है. रामी मलिक, हनीबल नेमेसिस के रूप में विलेल के किरदार में अच्छे लगते हैं, हालांकि इसे और मजबूत किया जा सकता था. बॉन्ड की असिस्टेंट के रूप में एना डे अरमास का रोल भी बढ़िया है. तो वहीं लशाना लिंच नई 007 के रूप में अच्छी लगती हैं, साथ ही लोगों के जेहन में कई सवाल भी छोड़ जाती हैं.
तो भई कुल मिलाकर ये कि 2015 के बाद ये पहली बॉन्ड फिल्म आई है जो डैनियल क्रेग को ग्रैंड फेयरवेल दे रही है. अगर आप 007 के फैन हैं तो ये फिल्म आपको कतई निराश नहीं करेगी. सिनेमाघरों में आप इसका मजा ले सकते हैं. पर देखना होगा कि महामारी के बाद थिएटर्स में कितने दर्शक लौटते हैं.
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