एक हालिया रिसर्च के मुताबिक, लगभग दो तिहाई से ज़्यादा स्टूडेंट्स खराब नींद की समस्या से परेशान हैं जो मेन्टल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों का कारण बन सकता है. ये स्टडी एनल्स ऑफ़ ह्यूमन बायोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई थी.
इस स्टडी के लिए अध्ययनकर्ताओं ने 16 से 25 साल के 1,113 अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट बच्चों पर सर्वे किया. इस रिसर्च में भाग लेने वालों से उनकी स्लीप क्वालिटी, दिन के समय ज़्यादा नींद महसूस होना, उनके सामाजिक आर्थिक स्टेटस और बॉडी मास इंडेक्स से जुड़े सवाल पूछे गए.
इस रिसर्च में पाया गया कि जिन स्टूडेंट्स में डिप्रेशन के लक्षण नज़र आये उनमें नींद से जुड़ी परेशानियां दूसरों की तुलना में चार गुना ज़्यादा देखने को मिलीं. इसके अलावा स्टडी में ये भी बताया गया कि जेंडर का भी आपकी स्लीप क्वालिटी पर काफी असर देखने को मिलता है. महिलाओं में खराब नींद और एक्सेसिव डे टाइम स्लीप (EDS) की समस्या ज़्यादा देखने को मिली.
रिसर्चर्स का मानना है कि स्ट्रेस से जुड़े फैक्टर्स स्टूडेंट्स की खराब नींद का कारण बनते हैं जो उनके एकेडेमिक परफॉरमेंस और मेन्टल हेल्थ पर असर डालते हैं.