दुनिया का कारखाना कहे जाने वाले चीन में बिजली संकट (power crisis in china) गहराता जा रहा है. आलम ये है कि कई राज्यों में फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप पड़ गया है और लोगों को अंधेरे में रात काटनी पड़ रही है.
ट्रैफिक लाइट तक बंद हो जाने की वजह से सड़कों पर अफरा-तफरी का नजारा दिखता है. सबसे ज्यादा असर गुआनदोंग औद्योगिक केन्द्र पर पड़ा है. बिजली की कमी की वजह से ग्लोबल सप्लाई पर भी असर पड़ने की आशंका है.
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दरअसल चीन में बिजली कटौती की दो वजहें हैं. पहली तो ये है कि कुछ राज्यों को कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) लक्ष्य को पूरा करने के लिए औद्योगिक उत्पादन में कटौती का आदेश दिया गया है. दूसरी वजह ये है कि कई राज्यों को बिजली की वास्तविक कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कोयले और प्राकृतिक गैस की लागत आसमान पर पहुंच गई है. चीन ने पहले ही ऑस्ट्रेलिया से कोयले के आयात पर रोक लगा रखी है. इसकी वजह से भी ये किल्लत पैदा हुई है.
बता दें कि इस संकट का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है. चीन पहले ही Evergrande संकट से जूझ रहा है. इस कंपनी पर 22 लाख करोड़ रुपये की देनदारियां हैं. इसका असर शेयर बाजारों पर दिख रहा है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली संकट की वजह से चीन के विकास दर में 0.1 से 0.15 फीसदी पॉइंट तक की गिरावट आ सकती है.