हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. इस दिन (Pradosh Vrat) भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है. हर मास की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi tithi) भगवान शिव को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
इस समय अश्विन मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है. इस बार अश्विन मास का पहला प्रदोष व्रत (Ashwin Month First Pradosh Vrat) 4 अक्टूबर सोमवार के दिन रखा जाएगा. मान्यता है कि भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. सोमवार के दिन होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) कहा जाता है. क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, ऐसे में सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से इसका महत्व और बढ़ जाता है.
यह भी देखें: क्या आप जानते हैं शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में अंतर? जानें पौराणिक कथा
प्रदोष व्रत के दौरान पूजा शाम के समय शुभ मुहूर्त में करना लाभकारी होता है. 4 अक्टूबर को शिव पूजा का मुहूर्त 06 बजकर 04 मिनट से रात 8 बजकर 30 मिनट तक है. अगर आप प्रदोष व्रत रखते हैं तो आपको इस शुभ मुहूर्त के हिसाब से शाम के समय शिवलिंग की पूजा, बेलपत्र, गंगाजल, गाय के दूध, मदार, फूल, भांग, सफेद चंदन आदि से विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए.