आजकल लोगों में सांस से जुड़ी परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. धूम्रपान या पॉल्यूशन, कारण जो भी हो इन परेशानियों का बढ़ना चिंता का विषय है. ग्लोबल इम्पैक्ट ऑफ़ रेस्पिरेटरी डिसीज़ रिपोर्ट के मुताबिक, किफायती हेल्थ थैरेपीज़ की उपलब्धता होने के बावजूद भी सांस से जुड़ी परेशानियां मृत्यु और विकलांगता का बड़ा कारण बन रही हैं.
इसके अलावा क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज़ ने लगभग 200 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रखा है जो कि पूरी दुनिया की आबादी का लगभग 4 प्रतिशत है. हर साल लगभग 3.2 मिलियन लोग COPD के कारण अपनी जान गंवा देते हैं. COPD फेफड़ों की बीमारी है, ये क्रोनिक ब्रोंकाइटिस है जिसमें मरीज़ की एनर्जी बहुत कम हो जाती है. कोरोना वायरस के बाद तो सांस से सम्बंधित परेशानियों से जूझ रहे मरीज़ों की स्थिति और ज़्यादा खराब हुई है.
फोरम ऑफ़ इंटरनेशनल सोसाइटीज़ ने कुछ ऐसे तरीके बताये हैं जिनसे स्वांस सम्बन्धी परेशानियों को कम करने में मदद मिल सकती है.
- रेस्पिरेटरी हेल्थ को लेकर लोगों को जागरूक करना, खासकर लोगों को ये समझाना ज़रूरी है कि बचपन में हो रही सांस की परेशानियों को नज़रअंदाज़ ना करें ये आगे चलकर बड़ी मुसीबत पैदा कर सकती हैं
- तम्बाकू और स्मोकिंग से जुड़ी चीज़ों का कम इस्तेमाल करना
- रेस्पिरेटरी डिसीज़ से जुड़ी सावधानियां बरतना और समय रहते उनका पता लगाना
- दुनियाभर में हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को सांस से सम्बन्धी बीमारियों के बारे में जानकारी और ट्रेनिंग देना