Marital Rape को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने Marital Rape के एक आरोपी को ना सिर्फ बरी कर दिया बल्कि कहा कि"कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ पति द्वारा यौन संबंध या कोई सेक्सुअल एक्ट रेप नहीं है, भले ही वो जबरन या उसकी इच्छा के विरुद्ध किया हो.". हालांकि कोर्ट ने इस शख्स के खिलाफ अप्राकृतिक यौन संबंध की धारा 377 को बरकरार रखा है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने IPC की धारा 375 के तहत एक अपवाद का जिक्र करते हुए कहा कि पत्नी के साथ यौन संबंध रेप नहीं है अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है. दरअसल इस मामले में अपनी शिकायत में पत्नी ने आरोप लगाया था कि शादी के कुछ दिनों बाद ही उसके साथ क्रूर व्यवहार किया गया और उसे दहेज के लिए भी प्रताड़ित किया और उसके पति ने उसके साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध भी बनाए.
हालांकि इससे पहले 7 अगस्त को ही केरल हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप पर अहम फैसला देते हुए इसे तलाक का ठोस आधार बताया था.दरअसल भारत में
मैरिटल रेप कानूनी रूप से क्राइम के दायरे में नहीं आता और इसीलिए सज़ा का प्रावधान नहीं है. हालांकि एक्टिविस्ट एक लंबे समय से इसे रेप के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं