अच्छी सेहत के लिए बीन्स, दाल, हरे मटर जैसी फलियां अपने डायट में शामिल करना एक हेल्दी हैबिट है. ज़्यादातर लोगों को दाल पकाने से पहले इसे धोने की आदत होती है. लेकिन बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इन्हें पकाने से पहले भिगोते हैं. राजमा, चने और छोले जैसी दालों को जल्दी पकाने के लिए रातभर भिगोने की ज़रूरत पड़ती है. लेकिन कुछ दालें धुली होती हैं, इसलिए इन्हें भिगाकर रखना ज़रूरी नहीं होता।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो दाल पकाने से पहले बस धोते हैं, भिगोते नहीं, तो अपनी ये आदत बदल लीजिए. क्योंकि, आप शायद नहीं जानते लेकिन दाल को भिगोने से कुकिंग टाइम कम होने के अलावा कई और भी फायदे होते हैं.
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हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुताबिक, खाना पकाने से पहले दालों और फलियों को कई घंटों तक भिगोना बेहद ज़रूरी है. चलिये बताते हैं क्यों.
दालों को भिगोने से शरीर का पोषण अवशोषण बेहतर हो जाता है. जब आप दाल को कुछ समय के लिए भिगोते हैं तो इससे फाइटेज नाम का एंजाइम एक्टिव हो जाता है. ये एंजाइम फाइटिक एसिड को तोड़ने में मदद करता है और कैल्शियम, आयरन और ज़िंक को बांधने में मदद करता है. इससे अवशोषण की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद मिलती है.
बीन्स और कुछ दाल को पचाना मुश्किल होता है. इन्हें भिगोने से एमिलेज़ नाम का एक कम्पाउंड एक्टिव हो जाता है जो दाल में मौजूद कॉम्प्लेक्स स्टार्च को तोड़ता है, इससे दाल को पचाने में मदद मिलती है.
दालों को भिगोने से इसमें मौजूद गैस पैदा करने वाले कम्पाउंड हट जाते हैं. अधिकतर दालों में ओलिगोसैकैराइड होते हैं, एक ऐसा कॉम्प्लेक्स शुगर जो ब्लोटिंग और गैस के लिए ज़िम्मेदार होता है. भिगोने के बाद इस कॉम्प्लेक्स शुगर की मात्रा बेहद कम हो जाती है जिससे आपका पेट गैस और ब्लोटिंग जैसी परेशानियों से बच जाता है.
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चलिये अब बताते हैं अलग-अलग दालों को भिगोने का क्या है उचित समय
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