कोरोना वायरस ने बीते एक साल में बहुत कुछ बदलकर रख दिया है. इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है हमारी लाइफस्टाइल जिसका एक महत्वपूर्ण पार्ट है हमारी नींद. इस वायरस ने हमारा स्लीप पैटर्न बदलकर रख दिया है. मानसिक चिकित्सा के क्षेत्र में इसे कोरोनोस्मनिया या कोविडसोम्निया जैसे टर्म दिए गए हैं.
द लैंसेट न्यूरोलॉजी की एक स्टडी में बताया गया है कि लोग इस दौरान नींद ना आने की समस्या और डिप्रेशन का शिकार हुए हैं. चीन के 35 साल या ज़्यादा उम्र के 7236 लोगों पर ये रिसर्च की गयी. जिनमें से 35 परसेंट लोगों में जनरल एंजाइटी 20 परसेंट में डिप्रेशन यानी अवसाद और 18 परसेंट में खराब नींद के लक्षण पाए गए.
कई दूसरे देशों के अलग अलग पब्लिकेशंस में ये स्टडी आई हैं कि कोरोना संक्रमण का नींद पर असर पड़ा है. आइसोलेशन से लेकर फाइनेंशियल चीज़ों की चिंता ने लोगों की नींद पर बुरा असर डाला है. एक यूरोपीय टास्क फोर्स के अनुसार, इंसोम्निया के लक्षण साइकोसोशियल फैक्टर्स से सीधे रिलेटेड हो सकते हैं.
2291 इटालियंस के सर्वे में सामने आया है कि कोरोना काल में 57.1 प्रतिशत लोगों को इस दौरान अच्छी साउंड स्लीप नहीं मिली. वहीं 32.1 प्रतिशत में एंजाइटी का हाई लेवल रहा. 41.8 प्रतिशत में नींद की सबसे ज्यादा समस्या रही. वहीं 7.6 प्रतिशत में तनाव के बाद के सीवियर लक्षण पाए गए.
अंतर्राष्ट्रीय COVID-19 स्लीप स्टडी में भी स्लीप पैटर्न के अलग अलग रीजंस की जांच की जा रही है. इसमें नींद ना आना, बुरे सपने, स्लीप एपनिया, थकान और आरईएम यानी नींद व्यवहार विकार का पता लगाया जा रहा है. बता दें कि जैसे ही दुनिया में लॉकडाउन शुरू हुआ. अनिद्रा की समस्या तेजी से बड़ी.