बीते साल कोरोना के दौरान लगाए गए लॉकडान (Lockdown) में मजदूरों की बदहाली की ये तस्वीरें शायद ही कोई भूल पाया हो. लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) साईकल और पैदल कई सौ किलोमीटर दूर अपने परिवार के पास जाना चाहते थे. घर वापसी की जद्दोजहद में कई मजदूरों ने अपनी जान तक गंवा दी. लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की इस बदहाली को एक साल बाद पर्दे पर उतारा है फिल्म मेकर विनोद कापड़ी (Vinod Kapri) ने. उनकी फिल्म 1232 KM को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर 24 मार्च को रिलीज किया गया.
ये डॉक्यूमेंट्री फिल्म 7 ऐसे ही मजदूरों की कहानी है जिन्होंने लॉकडाउन के बाद गाजियाबाद से बिहार के सहरसा तक का सफर साइकिल पर तय किया था. फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह इस सफर में उनके सामने तमाम तरह की मुश्किलें आईं. मजदूर कहते हैं कि 'जब मरना है तो सड़क पर मरना है जिंदा रहे तो घर पहुंच जाएंगें.' इतना लंबा सफर, भूख, पुलिस के डंडे का डर ... कई बार ये मजदूर ट्रक में छुप कर तो कभी पुलिस के डर से छोटी-छोटी गलियों से होते हुए हुए अपने गांव की ओर बढ़ते रहे.
फिल्म 1232 KM में विनोद कापड़ी ने इन मजदूरों के बेइंतहा दर्द और मुसीबतों को को दर्शाया है. अहम है कि फिल्म में कापड़ी ने ऑरिजनल फुटेज का इस्तेमाल किया है. फिल्म के गीत और संगीत को गुलजार और विशाल भारद्वाज की जोड़ी ने सजाया है.