हम में से अधिकतर लोग सोचते हैं कि जब हम उम्र के बीच पड़ाव यानि मिडिल एज में पहुंचते हैं तब शरीर में मोटापा जगह बनाने लगता है और कैलोरी फैट के रूप में जमा होने लगती हैं. लेकिन अब रिसर्चर्स ने दावा किया है कि मोटापा बढ़ने का ख़तरा मिडिल एज में नहीं बल्कि इससे बहुत पहले से ही शुरू हो जाता है.
जर्नल द लैंसेट डायबिटीज़ एंड एंडोक्रिनोलॉजी (The Lancet Diabetes and Endocrinology) में छपी एक स्टडी के मुताबिक, अगले 10 सालों में मोटापे की समस्या व्यस्कों से ज़्यादा 18 से 24 साल के युवाओं में देखने को मिलेगी. इसके साथ ही टीम के निष्कर्ष ये भी बताते हैं कि दूसरे वयस्कों की तुलना में 35 से 54 साल के उम्र के लोगों में वज़न कम नहीं होने का जोखिम सबसे अधिक था.
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स्टडी में बताया गया है कि BMI यानि बॉडी मास इंडेक्स में बदलाव के लिए हमारी लाइफस्टाइल में उम्र सबसे अहम फैक्टर्स में से एक है और 18 से 24 वर्ष की उम्र के युवाओं में मिडिल एज वयस्कों की तुलना में BMI बढ़ने का अधिक रिस्क होता है. स्टडी के मुताबिक, 65 से 74 साल के लोगों की तुलना में 18 से 24 साल के युवाओं में मोटापे का ख़तरा 4 से 6 गुना अधिक था.
20 लाख से अधिक व्यस्कों के हेल्थ रिकॉर्ड का आंकलन करने वाली स्टडी में बताया गया है कि वज़न बढ़ने का ख़तरा ना केवल युवाओं के लिए सबसे अधिक है बल्कि ये उम्र के साथ लगातार कम होता जाता है.
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रिसर्चर्स की टीम ने ये भी समझाया कि, ज़िंदगी में पहली नौकरी, यूनिवर्सिटी जाना फिर दूसरे शहरों में जाकर रहना जैसे होने वाले बदलाव यंग एडल्ट्स में मोटापे के संभावित ख़तरे के लिए सबसे अधिक ज़िम्मेदार है. इस दौरान बनने वाली आदतें व्यस्क बनने तक रह सकती हैं इसीलिए इनमें ये ओवरवेट से मोटापा का ख़तरा अधिक है.