सावन का महीना भगवान शिव की अराधना के अलावा एक बेहद खास चीज के बिना अधूरा है. वो है मेहंदी. सावन में मेहंदी लगाना एक परंपरा है. परंपराओं के मुताबिक, मेहंदी का रंग पति-पत्नी के बीच रिश्ते की मजबूती का प्रतीक माना जाता है. भारत में मेहंदी लगाने का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है. हर उम्र की महिलाओं को मेहंदी लुभाती रही हैं. देश के लगभग हर प्रदेश में मेहंदी लगाने का रिवाज है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धार्मिक महत्व रखने के साथ-साथ सावन में मेंहदी लगाने का वैज्ञानिक कारण भी है, चलिये बताते हैं.
दरअसल, सावन बारिश का महीना होता है और बारिश में कई तरह की बीमारियां फैलने का डर रहता है. बात करें आयुर्वेद की तो आयुर्वेद में हरे रंग को कई रोगों की रोक-थाम में कारगर माना गया है. मेहंदी की खुशबू और ठंडक स्ट्रेस को भी कम करती है. तासीर में ठंडी होने के कारण मेहंदी का उपयोग शरीर में बढ़ी हुई गर्मी को कम करने में किया जाता है. इसीलिए हाथों-पैरों और तलवों में मेहंदी लगाने से शरीर की गर्मी को कम करने में मदद मिलती है. मेहंदी में कई औषधीय गुण भी शामिल हैं. मेहंदी की शीतलता तनाव, सिरदर्द और बुखार से राहत दिलाती है. मेंहदी लगाने से त्वचा संबंधी कई रोग दूर होते हैं. साथ ही स्किन की ड्राईनेस भी दूर होती है.