आजकल आप सोशल मीडिया पर क्लीन ईटिंग के बारे में काफी देख और सुन रहे होंगे. कई फ़ूड ब्लॉगर्स, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और मैगज़ीन्स इस कॉन्सेप्ट और इसके पॉज़िटिव नतीजे जैसे वेट लॉस, चमकदार स्किन और शरीर में एनर्जी के बारे में अपने फॉलोवर्स से काफी चर्चा कर रहे हैं
एक तरफ जहां ये अप्रोच हेल्थी लाइफस्टाइल और वेट मैनेजमेंट में मदद कर रही है तो वहीं इसके कुछ तरीके आपकी सेहत को खराब भी कर सकते हैं. तो चलिए सबसे पहले समझते हैं क्या है ये क्लीन ईटिंग जिसने इंटरनेट पर तहलका मचाया हुआ है.
क्लीन ईटिंग का मतलब है नेचुरल और न्यूट्रिशन से भरपूर चीज़ों को खाना और रिफाइंड और प्रोसेस्ड फ़ूड से दूरी बनाना. हालांकि इस कॉन्सेप्ट के अस्तित्व में आने के पीछे का मकसद हेल्दी ईटिंग हैबिट्स को बढ़ावा देना था लेकिन इसके बारे में जानकारी के अभाव ने कई तरह के मिसकन्सेप्शन्स को जन्म दिया. एक तरफ कुछ लोगों ने क्लीन ईटिंग के लिहाज़ से अपनी डाइट में फलों, सब्ज़ियों, बीन्स और हाई क्वालिटी प्रोटीन को शामिल किया, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने खुद पर पाबंदियां लगा दीं और डेयरी, ग्लूटेन और शुगर से भरपूर फ़ूड आइटम्स को अपनी डाइट से दूर कर दिया.
क्लीन ईटिंग के कई फायदे हो सकते हैं क्यूंकि इसमें सोडियम, चीनी युक्त पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फ़ूड का इन्टेक कम हो जाता है. इसके अलावा न्यूट्रिएंट्स से भरपूर डाइट आपकी ओवरऑल हेल्थ और वेट को भी मैनेज करने में मदद करती है.
हालांकि अभी तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं है जिसमें क्लीन ईटिंग और उस से जुड़े फायदों के बारे में बात की गई हो लेकिन ऐसी बहुत सी स्टडीज़ हैं जिनमें कई क्रोनिक डिसीज़ और प्रोसेस्ड फ़ूड के बीच के लिंक के बारे में बात की गई है.
BMJ में पब्लिश्ड एक स्टडी में पता चला कि रोज़ाना प्रोसेस्ड फ़ूड का सेवन करने से दिल से जुडी बीमारियों, सेरेब्रोवेस्कुलर बीमारी और कोरोनरी हार्ट डिसीज़ का खतरा 10 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.