तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच कोविड-19 (COVID-19) टेस्टिंग पर लोग एक बार फिर से जोर दे रहे हैं. भारत में बेतहाशा बढ़ रहे कोरोना के केस के चलते अधिक से अधिक लोग अपना टेस्ट करवा रहे हैं. लेकिन सवाल ये कि आपको कब टेस्ट करवाना चाहिए और कब नहीं.
कोरोना टेस्ट में Polymerase Chain Reaction (PCR) डायग्नोस्टिक टेस्ट शामिल है जो एक नेजल स्वैब होता है. इसके अलावा एक एंटीबॉडी टेस्ट भी होता है जो बताता है कि कहीं आपको पहले कोरोना तो नहीं हुआ था और आपको पता ना चला हो.
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वायरस से संक्रमित कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते. लेकिन कुछ लोगों में कोरोना के लक्षण के तौर पर बुखार, शरीर में दर्द, खांसी, थकान, ठंड लगना, सिर दर्द, गले में खराश, भूख नहीं लगना और स्वाद और गंध का चले जाना जैसी परेशानी होती है. तो वहीं कुछ लोगों में कोरोना के अधिक गंभीर लक्षण जैसे तेज बुखार, गंभीर खांसी और सांस की तकलीफ का कारण बनता है, जो अक्सर निमोनिया का संकेत देते है.
अगर आप कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आये हैं या फिर आपको कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं तो आपको अपना टेस्ट करवाना चाहिए और रिपोर्ट आने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए. लेकिन अगर संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के तुरंत बाद टेस्ट करवाते हैं तो हो सकता है कि आपका रिपोर्ट नेगेटिव आए. क्योंकि संक्रमण का असर दिखने में 2-4 दिन कम से कम लग जाते हैं.
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अगर आप कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आए हैं और आपको कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो भी आपको अपना टेस्ट करवाना चाहिए. क्योंकि हो सकता है कि आप Asymptomatic मरीज हों. अगर आप वायरस के संपर्क में नहीं आए हैं और ना ही आपको कोई कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं तो आपको टेस्ट करवाने की कोई जरूरत नहीं है.
सबसे जरूरी बात अगर आपका टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव है तो घबराएं नहीं. संयम और सावधानी बरतें और सकारात्मक सोच के साथ डॉक्टर के संपर्क में रहें और इलाज करवाएं.
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