When Will Corona End: अगर आप भी इस उम्मीद में हैं कि आने वाले तीन से छह महीनों में कोविड-19 (Covid 19) ख़त्म हो जाएगा तो आपके लिए बुरी ख़बर है. वैज्ञानिक ऐसा नहीं मानते हैं, ना ही उन्हें आने वाले कुछ महीनों में इसके ख़त्म होने की कोई उम्मीद नज़र आती है. बल्कि उनका मानना है कि इसकी बढ़ने की संभावना ज़्यादा है. साइंटिस्ट्स के मुताबिक...
- महामारी के ख़त्म होने तक हर कोई या तो इस से इन्फेक्टेड हो चुका होगा या फिर वैक्सीनेटेड
वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ लोगों को एक बार से ज़्यादा भी कोरोना इंफेक्शन हो सकता है, और ऐसा अपने आस पास देख भी रहे हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के सलाहकार और सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिज़ीज़ रिसर्च एंड पॉलिसी के डायरेक्टर माइकल ओस्टरहोम का कहना है कि
- आने वाले समय में पूरे विश्व में एक बार फिर केसेज़ बढ़ सकते हैं
- उनका कहना है कि कोरोना के मामलों का घटना बढ़ना जारी रहेगा.
दुनियाभर में करोड़ों लोग अभी भी ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, ऐसे में वायरस के ख़त्म होने की संभावना बहुत ही कम नज़र आती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि
- तमाम देश आर्थिक कारणों से अब खुलने लगे हैं
- ऐसे में आने वाले महीनों में महामारी कहीं से भी फैल सकती है
- वो क्लासरूम, वर्कप्लेस, पब्लिक ट्रांसपोर्ट कुछ भी हो सकते हैं.
डेनमार्क के रॉस्कीलॉ यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर लोन सिमोनसन कहती हैं कि महामारियों के 130 साल पुराने रिकॉर्ड्स को अगर देखें तो ये पता चलता है कि दुनिया का सबसे लंबा फ्लू का प्रकोप पांच साल तक चला था और उनमें 2 से 4 लहरों में इंफेक्शन फैला था. सिमोनसन का मानना है कि कोविड 19 पहले ही गंभीर महामारी का रूप ले चुका है. इसके दो साल पूरे होने वाले हैं और दुनिया तीसरी लहर के बीच खड़ी है. जिसका अंत अभी दिखाई नहीं दे रहा है.
हालांकि उन्होने ये भी कहा कि ऐसा भी संभव है कि SARS-COV-2 वायरस पुरानी महामारी के जैसा ना हो. क्यूंकि ये उनसे अलग है और 1918 में हुए स्पैनिश फ्लू से दोगुना खतरनाक भी.
कैसे ख़त्म होगा कोरोना?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि एक बात तो बिलकुल साफ़ है और वो ये कि...
- कोरोना महामारी अगले 6 महीनों में नहीं ख़त्म होने जा रही
- इस पर तभी लगाम लगेगी जब 90-95 प्रतिशत लोग पूरी तरह से वैक्सीनेट हो जााएंगे
ब्लूमबर्ग के वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन की 5.66 अरब डोज़ लग चुकी हैं. भारत में भी 12 सितंबर तक करीबन 26 फीसदी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी है.
ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी की असोसिएट प्रोफेसर एरिका चाटर्स कहती हैं कि महामारी अलग अलग जगह अलग अलग समय पर ख़त्म होगी, जैसा कि पहले भी हुआ है. सरकारों को फैसला लेना है कि वो किस हद तक बीमारी को झेल सकते हैं. ये अलग अलग अप्रोच पर निर्भर करता है. डेनमार्क और सिंगापुर जैसे कुछ देशों ने केसेज़ पर काफी हद तक काबू पा लिया है. वहीं अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी हैं जहां कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच गतिविधियों को शुरू किया जा रहा है.