Pescatarian diet: क्या आपको पसंद है मछली और सीफूड खाना? तो फिर ट्राई कीजिए पेस्कटेरियन डायट

Updated : Oct 08, 2022 13:52
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Editorji News Desk

क्या आपने पेस्कटेरियन डायट (Pescatarian diet) के बारे में सुना है? अगर नहीं तो चलिये हम बताते हैं. दरअसल पेस्कटेरियन डायट लेने वाले लोग मांसाहारी यानि नॉन वेजिटेरियन तो होते हैं लेकिन वो मीट के तौर पर रेड मीट या चिकन नहीं खाते, वो लोग सिर्फ मछली या फिर दूसरे सीफूड खाते हैं. इसीलिए आप इसे Half vegetarian यानि आधा शाकाहारी भी कह सकते है. हालांकि पेस्कटेरियन डायट (Pescatarian diet) फॉलो करने वाले कुछ लोग डेयरी और अंडे खाते हैं जो इस डायट को और भी फ्लेक्सिबल डायट पैटर्न बनाता है.

पेस्कटेरियन शब्द 1990 के दशक की शुरुआत में आया था, जो मछली का इटैलियन शब्द पेस्के ‘pesce’ और ‘vegetarian’ शब्द का कॉम्बिनेशन है. ये डायट पैटर्न ‘pesco-vegetarian’ भी कहलाता है. मीट की खपत बेहद कम होने के चलते इसे अधिकतर वेजिटेरियन में गिना जाता है.

हालांकि, इस डायट के कुछ फायदे और नुकसान भी हैं, सबसे पहले बात करते हैं इसके फायदे के बारे में

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हेल्थ बेनिफिट्स

सूजन को करता है कम

अमेरिका की नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की रिपोर्ट बताती है कि पेस्कटेरियन डायट फॉलो करने वाले लोगों में फ्लेवेनॉयड सबसे अधिक होते हैं. ये फ्लेवेनॉयड शरीर में फ्रीरैडिकल्स को कंट्रोल करने और सूजन यानि इन्फ्लेमेशन को कंट्रोल करने के लिए एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करते हैं.

ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर

शरीर के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक, ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर में नहीं बनते बल्कि इसे आमतौर पर भोजन और दूसरे सप्लीमेंट्स के जरिये शरीर को मिलते हैं. मछली और इसके बायो प्रोडक्ट जैसे मछली के अंडे, फिश लिवर ऑयल ,ओमेगा 3 फैटी एसिड के बेहतरीन स्रोत हैं. रिसर्चर्स की मानें तो दिल, आंखों, सांस, स्किन और बालों के लिए ये बेहद फायदेमंद है.

प्रोटीन से भरपूर

प्लांट बेस्ड प्रोटीन से हाई प्रोटीन डायट को फॉलो करना बेहद मुश्किल है खासकर अगर आप अपने डायट में अधिक कार्ब्स और फैट नहीं चाहते हैं. ऐसे में ये डायट बेहद फायदेमंद हैं क्योंकि, मछली और दूसरे सीफूड बेहतरीन प्रोटीन सोर्स हैं.

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अब नजर डालते हैं इसके नुकसान यानि disadvantages पर

पारा (mercury ) की अधिक मात्रा

मछली की कुछ वैरायटी में पारा की अधिक मात्रा पेस्कटेरियन डायट की सबसे बड़ी डिस्एडवांटेज है. अधिक पारा होने से मांसपेशियां कमज़ोर, नज़र की कमी, सिरदर्द और नींद नहीं आने जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. बड़ी मछलियों की तुलना में छोटी मछलियों में पारा आमतौर पर कम होता है. इसीलिए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना और पारा के सेवन पर कंट्रोल रखना जरूरी है.

जलीय जीवन पर असर डालती है कमर्शियल फिशिंग

इकोसिस्टम की तुलना में अधिक से अधिक मछली पकड़ने से समुद्री जीवों के जीवन पर इसका खतरनाक असर पड़ सकता है. वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर के अनुसार, मछलियों के कर्मशियल डिमांड को पूरा करने के लिए दुनिया के एक तिहाई मछली पालन अपनी बायोलॉजिकल लिमिट्स के बाहर जाकर फिशिंग कर रहे हैं. जो कि समुद्री जीवन के लिए बड़ा खतरा है.

जेब पर पड़ सकता है भारी

दूसरे डायट की तुलना में पेस्कटेरियन डायट अधिक महंगा होने के चलते आपकी जेब पर बोझ डाल सकता है क्योंकि, मछली, झींगा, ऑएस्टर जैसे सीफूड महंगे आते हैं जिससे इन्हें नियमित डायट में शामिल करने से हो सकता है कि आपको अपने महीने का बजट बढ़ाना पड़ जाए.

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