History 04 July: तारीख 20 फरवरी 1947. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा करते हुए कहा कि 30 जून 1948 तक ब्रिटेन, भारत को आजाद कर देगा. भारत कैसे आजाद होगा इसकी पूरी योजना बनाने की जिम्मेदारी मिली लॉर्ड माउंटबेटन को.
माउंटबेटन भारत आए और अपने काम में जुट गए. माउंटबेटन ने कहा कि भारत को आजाद करने के लिए विभाजन ही एकमात्र रास्ता है. इसके मुताबिक भारत को आजादी तो मिलेगी लेकिन साथ ही विभाजन भी होगा और एक नया देश पाकिस्तान बनेगा.
रियासतों को ये सुविधा दी जाएगी कि वे भारत या पाकिस्तान किसी के साथ भी मिल सकती हैं. प्लान में ये भी कहा गया कि दोनों देश संप्रभु राष्ट्र होंगे और अपना-अपना संविधान बना सकते हैं. इस पूरे प्लान को 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश पार्लियामेंट में पेश किया गया और नाम दिया गया ‘द इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट’.
ब्रिटिश पार्लियामेंट ने इस बिल को 18 जुलाई को पास कर दिया और इसी के साथ भारत की आजादी का रास्ता भी साफ हो गया.
4 जुलाई 1776: अमेरिका आजाद हुआ था
इतिहास के दूसरे अंश में बात सुपरपावर अमेरिका की आजादी की. आज यानी 4 जुलाई को अमेरिका अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. आज ही के दिन 1776 में ब्रिटेन की 13 कॉलोनियों ने मिलकर आजादी की घोषणा की थी. जिसे ‘डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस’ भी कहा जाता है.
दरअसल अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलंबस ने गलती से की थी. यात्रा से लौटने के बाद जब कोलंबस ने बताया कि उन्होंने एक नया द्वीप खोज लिया है तो अलग-अलग देशों में इस जगह पर कब्जा करने की होड़ मच गई. ब्रिटेन के लोग बड़ी तादाद में यहां आ गए और राज करने लगे.
भारत की तरह ही ब्रिटिशर्स ने वहां भी लोगों पर अत्याचार किया जिसका नतीजा ये हुआ कि ब्रिटिशर्स और मूल अमेरिकियों में टकराव बढ़ने लगा. लंबे संघर्ष के बाद आज ही के दिन इन 13 कॉलोनियों ने एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर खुद को आजाद घोषित कर दिया.
1902: स्वामी विवेकानंद का 39 साल की उम्र में निधन
इतिहास के तीसरे अंश में बात स्वामी विवेकानंद की. जो चार जुलाई यानी आज ही के दिन साल 1902 को महासमाधि में लीन हो गए थे. उन्होंने 39 साल, 5 महीने और 24 दिन की अल्प आयु में शरीर त्याग दिया था.
12 जनवरी 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था. लेकिन महज 25 साल की उम्र में उन्होंने सांसारिक मोह माया का त्याग कर आध्यात्म और हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार में अपने जीवन को लगा दिया. वे संन्यासी बन जब ईश्वर की खोज में निकले तो पूरे विश्व को उन्होंने हिंदुत्व और आध्यात्म का ज्ञान देते हुए भारत के रंग में रंग दिया.
उनके नाम एक ऐसी उपलब्धि है, जिसने वैश्विक स्तर पर भारत का डंका बजाया था. 11 सितंबर 1893 को अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने हिंदी में भाषण दिया, जिसकी शुरुआत उन्होंने 'अमेरिका के भाइयों और बहनों' के साथ की. उनकी आवाज की ऊर्जा से हर कोई उन्हें सुनने को मजबूर हो गया और भाषण की समाप्ति पर दो मिनट कर आर्ट इंस्टीट्यूट आफ शिकागो तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा.
4 जुलाई का इतिहास-
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