कानपुर टेस्ट मैच की दोनों पारियों में नाकामी के बावजूद चेतेश्वर पुजारा को दूसरे टेस्ट मैच में मौका दिया गया. गिल और मयंक अग्रवाल ने पुजारा को पहली पारी में बेहतरीन प्लेटफॉर्म भी दिया पर इसके बावजूद भारतीय बल्लेबाज अपने फ्लॉप शो को वानखेड़े के मैदान पर खत्म नहीं कर सका. फैन्स पुजारा से आस तो शतक और दोहरे शतक की लगा रहे थे, लेकिन दाएं हाथ का यह बल्लेबाज तो अपना खाता तक नहीं खोल सका.
पुजारा की बल्ले से नाकामी अब कोई नई बात नहीं रह गई है. टीम इंडिया की दूसरी दीवार कहे जाने वाले पुजारा ने अपना आखिरी शतक साल 2019 में जड़ा था. नंबर तीन पर सबसे ज्यादा बार जीरो पर आउट होने के मामले में अब संयुक्त रूप से पुजारा ने दिलीप वेंगसरकर के साथ टॉप पोजीशन हासिल कर ली है. भारतीय बल्लेबाज का हाल इस कदर बेहाल है कि घरेलू सरजमीं पर शतक लगाए लगातार 20 पारियां बीत चुकी हैं और घर और विदेशी धरती दोनों को मिलाकर बात करें तो सेंचुरी जड़े 41 पारियां निकल चुकी हैं.
अब सवाल यह है कि क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मेट में लगातार नाकामी के बावजूद टीम मैनेजमेंट क्यों पुजारा को मौके पर मौके दिए जा रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुजारा ने टीम को कई यादगार जीत दिलाई हैं, पर यह भी समझना जरूरी है कि बेंच पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे बल्लेबाजों को भी चांस मिलना चाहिए.