2018 Rewari Gangrape Case: रेप पीड़िता क्यों मांग रही है गन लाइसेंस, 11 दिनों से धरने पर पूरा परिवार

Updated : Jun 01, 2022 16:58
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Deepak Singh Svaroci

2018 Rewari Gangrape: भारतीय होने पर गर्व है.. इसे हमें बार-बार दोहराना चाहिए लेकिन इसके साथ ही हमें यह भी दोहराना चाहिए कि हमलोग हमारे पुलिस सिस्टम और सरकारी सिस्टम को लेकर शर्मिंदा हैं. अगर आपको ऐसा नहीं लगता है तो पहले यह खबर देख लीजिए. हरियाणा के रेवाड़ी में बारहवीं कक्षा में टॉप करने वाली गैंगरेप पीड़िता, पिछले 11 दिनों से धरने पर बैठी है. पीड़िता की मांग है कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए गन लाइसेंस दिया जाए.

धरने की वजह आपको अजीब लग सकती है लेकिन सोचिएगा, आखिर क्या वजह है कि पीड़िता अपने लिए गन लाइसेंस मांग रही है. जबकि दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिवार को पुलिस सुरक्षा दी गई है.

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आपको यह बात और भी अजीब लग सकती है कि पीड़िता और उसका परिवार गन लाइसेंस के लिए 15 अप्रैल से ही दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. एक महीना बीतने के बाद पीड़िता 17 मई को फिर डीसी ऑफिस पहुंची, यह जानने कि उसे गन लाइसेंस कब मिलेगा. जवाब में उसे कुछ और दिन दे दिए गए. मजबूरी में उसे धरने पर बैठना पड़ा..

पीड़ित परिवार की मांग है कि गांव से बाहर उसके रहने के लिए आवास की व्यवस्था की जाए. साथ में गन लाइसेंस भी दिया जाए. क्या आपको यह अजीब नहीं लगता कि जिस परिवार को पहले से पुलिस सुरक्षा मिली हुई है उसके लिए गन लाइसेंस की जरूरत ही क्यों है? और अगर गन लाइसेंस दे भी दी जाए तो यह परिवार उन दबंगों का कैसे मुकाबला करेगा? यह बात अगर आपको अजीब लग रही है तो फिर यह बात भी अजीब लगनी चाहिए कि आखिर उनका परिवार दहशत में क्यों है? क्या वजह है कि सजा होने के बाद भी परिवार को धमकी मिल रही है?

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आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि सितंबर 2018 में रेवाड़ी ज़िले की एक छात्रा के साथ, गांव के ही तीन लड़कों ने गैंगरेप किया था. छात्रा से गैंगरेप का यह मामला देश के सभी बड़े मीडिया चैनलों में दिखाए गए. प्रशासन की ओर से पीड़िता और परिजनों को सुरक्षा भी उपलब्ध कराई गई. इस मामले में 29 अक्टूबर 2021 को जिला अदालत ने तीन दोषियों को सजा सुनाई, जबकि पांच आरोपी बरी हो गए थे.

परिवार की मांग कब तक पूरी होती है? और अगर नहीं होती है तो सरकार या पुलिस प्रशासन इसका क्या विकल्प निकलता है? यह जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि हमारे प्रिय भारत देश में ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा गढ़ा गया है. और यह नारा मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही दिया है.

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आश्चर्य की बात यह है कि जिस देश के पीएम बेटियों को बचाने की बात करते हैं उसी देश के एक राज्य में, जहां उनकी पार्टी बीजेपी की ही सरकार है, पिछले 11 दिनों में उसकी सुध भी लेने कोई नहीं पहुंचा है.

अगर उनकी मांग नाजायज़ भी है तो उनकी बात सुननी तो चाहिए ही. क्योंकि हमारा सिस्टम एक लड़की को सुरक्षा देने में विफल रहा है. ऐसे में खट्टर सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह गुड़िया से बात करे और इस अनशन का विकल्प निकाले.  

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