29 May History: आसमान से बरसती आग लोगों को बुरी तरह झुलसा रही है. आज का इतिहास भी आग उगलती गर्मी से जुड़ा है. बात 2015 की है. जब भीषण गर्मी ने भारत के कई राज्यों में 2300 से भी ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. सबसे ज्यादा मौतें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हुईं. ओडिशा के झारसुगुडा में पारा 49.5 डिग्री को छू गया था. साल 2015 में भारत के किसी भी क्षेत्र में ये सबसे ज्यादा तापमान था. इस हीट वेव से इंसानों के साथ जानवरों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा. अकेले तेलंगाना में ही 50 लाख मुर्गियों की मौत हो गई.
सबसे ज्यादा मौतें कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मजदूरों, बुजुर्गों और बच्चों की हुई थी. इस हीट वेव से पाकिस्तान में भी करीब 1 हजार लोगों की मौत हुई. इंटरनेशनल डिजास्टर डेटाबेस वेबसाइट EM-DAT के मुताबिक ये हीट वेव इतिहास की 5वीं सबसे भीषण हीट वेव थी.
इतिहास के अगले अंश में बात दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की.
तारीख थी 29 मई 1953, वक्त था सुबह का 11 बजकर 30 मिनट. न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनजिंग नोर्गे ने ठीक इसी पल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह किया था. हालांकि पूरी दुनिया को ये खबर 4 दिन बाद 2 जून को मिली.
आज इस कारनामे को हुए 70 साल से ज्यादा हो गए हैं. लेकिन ये इतना आसान नहीं था. 29 हजार 32 फीट ऊंची इस चोटी को फतेह करने के लिए सबसे पहले साल 1921 में ब्रिटेन ने एक अभियान के तहत पर्वतारोहियों का एक दल माउंट एवरेस्ट पर भेजा था. दल अपने मिशन पर था, लेकिन एक भयानक बर्फीले तूफान ने दल का रास्ता रोक दिया. पूरा दल मिशन अधूरा छोड़कर लौट आया.
साल 1953 में ब्रिटेन ने कर्नल जॉन हंट की अगुआई में एक दल को माउंट एवरेस्ट पर भेजने की तैयारी की. एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे भी इस दल का हिस्सा थे. अप्रैल 1953 में इस दल ने चढ़ाई शुरू की. दल 26 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुका था. आगे का रास्ता और भी कठिन था.
यहां से आगे 28 मई को एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे ने अपनी चढ़ाई शुरू की. दिनभर की चढ़ाई के बाद 27 हजार 900 फीट की ऊंचाई पर भीषण बर्फीले तूफान और सर्दी के बीच रात गुजारी. सुबह फिर चढ़ाई शुरू की और 9 बजे तक दोनों उत्तरी शिखर पर पहुंच गए थे. इन दोनों और माउंट एवरेस्ट के बीच अब 40 फीट ऊंची एक बर्फीली चट्टान खड़ी थी. हिलेरी रस्सी की मदद से चट्टान के बीच की एक दरार से होते हुए ऊपर पहुंच गए. उन्होंने वहां से रस्सी फेंकी. नोर्गे रस्सी पकड़कर ऊपर आए. साढ़े 11 बजे दोनों दुनिया के शिखर पर थे.
इतिहास के अगले अंश में बात पृथ्वी राज कपूर की.
साल 1960, इस साल एक फिल्म रिलीज हुई थी, नाम था मुगल-ए-आजम. इस फिल्म को हिन्दी सिनेमा की कालजयी फिल्मों में गिना जाता है. जितनी फेमस फिल्म हुई उतना ही फेमस फिल्म का एक डायलॉग भी हुआ. अकबर कहते हैं 'सलीम तुझे मरने नहीं देगा, और हम अनारकली तुझे जीने नहीं देंगे.' डॉयलाग के पीछे आवाज थी पृथ्वीराज कपूर की. आज उनकी पुण्यतिथि है.
पाकिस्तान के लयालपुर में पैदा हुए पृथ्वीराज कपूर वैसे तो पेशावर के एडवर्ड कॉलेज में वकालत की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन दिल थिएटर में लगता था. इसलिए कुछ पैसे उधार लेकर पाकिस्तान से मुंबई आ गए. पहला लीड रोल मिला साल 1929 में आई फिल्म ‘सिनेमा गर्ल’ में. इसके 2 साल बाद फिल्म आई ‘आलम आरा’ और इसी के साथ सिनेमा बोलने लगा. पृथ्वीराज भी इस फिल्म का हिस्सा थे.
पृथ्वीराज को फिल्मों से ज्यादा दिलचस्पी थिएटर में थी. लिहाजा फिल्मों के साथ-साथ कई थिएटर से भी जुड़े रहे. आखिरकार 1944 में खुद का थिएटर शुरु किया, नाम था - पृथ्वी थिएटर. अगले 16 सालों तक थिएटर ने भारत के 112 शहरों में 5982 दिनों में कुल 2662 शो किए. 1960 में पृथ्वीराज कपूर के खराब स्वास्थ्य की वजह से थिएटर को बंद करना पड़ा.
29 मई 1972 को 64 साल की उम्र में कैंसर से पृथ्वीराज कपूर का निधन हो गया. हिंदी सिनेमा और थिएटर में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए 1972 में उन्हें मरणोपरांत दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया.
29 मई का इतिहास -
2002: गुजरात के अहमदाबाद में 4 बम धमाके हुए. करीब 39 लोगों की मौत हुई.
1996: बेंजामिन नेतन्याहू इजराइल के प्रधानमंत्री बने.
1988: पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक ने सरकार को बर्खास्त कर संसद को भंग किया.
1987: भारत के पांचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का निधन
1985: यूरोपीय फुटबॉल कप के दौरान दो टीमों के प्रशंसकों के बीच हुई झड़प में 39 लोगों की मौत हो गई.
1917: अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन. एफ कैनेडी का जन्म हुआ.
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