Agnipath Scheme: अग्निवीरों से क्या उद्योगपतियों की चौकीदारी करवाने की है तैयारी?

Updated : Jun 30, 2022 20:44
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Deepak Singh Svaroci

Agnipath scheme: अग्निपथ स्कीम के खिलाफ विपक्षी दलों ने सोमवार को भारत बंद बुलाया था. कई संगठनों ने इस भारत बंद का समर्थन किया. पूरे दिन DND फ्लाईवे, मेरठ एक्सप्रेसवे, आनंद विहार, सराय काले खां, प्रगति मैदान और दिल्ली के अन्य हिस्सों में भारी ट्रैफिक जाम रहा. भारत बंद को देखते हुए बिहार, UP, झारखंड समेत कई राज्यों में स्कूल बंद रहे. वहीं आंदोलन के कारण 181 मेल एक्सप्रेस और 348 यात्री ट्रेनें रद्द कर दी गईं. 4 मेल एक्सप्रेस और 6 पैसेंजर ट्रेनें आंशिक रूप से रद्द की गईं. वहीं तमिलनाडु में अगले आदेश तक दक्षिण रेलवे के चेन्नई डिवीजन के सभी रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म टिकट देने पर रोक लगा दी है.

हालांकि बात अब भी वहीं अटकी है. छात्र अग्निपथ स्कीम योजना को वापस लेने के लिए अड़े हुए हैं. जबकि रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने साफ किया है कि चार साल के लिए सेना में नियुक्ति की इस योजना को वापस नहीं लिया जाएगा...

अग्निपथ स्कीम को लेकर सवाल

अग्निपथ स्कीम को लेकर विरोधियों के मन में सबसे पहला सवाल है कि चार साल की नौकरी के बाद रिटायरमेंट लेकिन उसके बाद क्या? सोशल साइट्स पर जवाब के तौर पर कई वीडियो भी वायरल हो रहे हैं. इन्हीं में से एक बयान बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव कैलाश विजयवर्गीय का है. विजयवर्गीय अग्निवीरों को बीजेपी ऑफिस में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर तैनात करने के लिए प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने कहा "अग्निवीरों को धोबी, नाई, ड्राइवर, इलेक्ट्रीशियन आदि का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा." यानी कि आपके बच्चे बड़े होकर अच्छे धोबी, नाई, ड्राइवर और इलेक्ट्रिशियन बनेंगे.  

इस बीच महिंद्रा ग्रुप के चेयरपर्सन आनंद महिंद्रा ने ऐलान किया है कि वे अग्निवीरों को अपनी कंपनी में काम करने का मौका देंगे. उन्होंने 20 जून को ट्वीट करते हुए लिखा, "अग्निपथ योजना को लेकर हो रही हिंसा को लेकर दुखी हूं. पिछले साल जब इस योजना पर विचार हो रहा था, तो मैंने कहा था और उसे दोहरा रहा हूं कि अनुशासन और कौशल अग्निवीरों को उत्कृष्ट रूप से रोजगार योग्य बनाएगा. महिंद्रा ग्रुप ऐसे प्रशिक्षित और सक्षम युवाओं को भर्ती करने की राह देख रहा है."

अग्नीवीरों को रिटायरमेंट के बाद कहां मिलेगी प्राथमिकता

इससे पहले लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने भी ABP न्यूज़ से बातचीत में कहा था कि अग्नीवीरों को रिटायरमेंट के बाद उद्योगपतियों के यहां प्राथमिकता दी जाएगी...  

अग्रिनपथ स्कीम का विरोध करने वाले पहले से ही कह रहे हैं कि इन अग्निवीरों को देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों के यहां चौकीदारी करवाने की तैयारी है. तो क्या उनका अंदेशा सही था... कम से कम यह बयान तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं. 

छात्रों में आक्रोश क्यों?

छात्रों में आक्रोश की मुख्य वजह यह है कि जिन लोगों को सेना में भर्ती होने का इंतजार था यानी कि आठ सालों से जिस नौकरी के लिए तैयारी कर रहे थे, फिजीकल से लेकर रिटेन तक सब कुछ क्लियर हो गया था. उन छात्रों को अब कहा जा रहा है कि पुराना वाला गेम खत्म, अब नया खेल खेलते हैं. छोटे शहरों में कई ऐसे छात्र होंगे जिन्हें अपने ऑफर लेटर का इंतजार रहा होगा. संभव है कइयों की शादी यही नौकरी बताकर तय हुई होगी, लेकिन अब उन्हें नए सिरे से तैयारी करनी होगी और अगर सेलेक्ट हुए तो सिर्फ चार साल की नौकरी मिलेगी, ना पेंशन और ना ही सेना वाली कोई सुविधा. एक प्रदर्शनकारी छात्र
पानीपत के ड्यूटी मजिस्ट्रेट के गले लग कर रोते हुए कहता है, "अंकल प्लीज इस अग्निपथ स्कीम को बंद करवा दो, 4 साल की नौकरी के बाद युवा अपराधी बनेंगे".. सोचिए इन छात्रों पर क्या बीत रही होगी...

कन्हैया कुमार ने अग्निपथ स्कीम पर खड़े किए सवाल

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने अग्निपथ स्कीम पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब किसी परिवार के बच्चे को सेना में नौकरी मिलती है तो पूरे इलाके में उनका सम्मान बढ़ जाता है. सेना का सवाल देश की सुरक्षा का सवाल है, आप इसे मजाक मत बनाइये. सेना में गरीब किसान, मजदूर के बच्चे जाते हैं. अग्निपथ योजना इस देश के नौजवानों को अग्नि में झोंकने की योजना है. इस योजना को सरकार को वापस लेना चाहिए. इतना ही नहीं कन्हैया कुमार ने मोदी सरकार से अग्निपथ स्कीम को लेकर कुछ सवाल भी किए हैं? 

एक वर्ग ऐसा भी है जो इस स्कीम की तारीफ कर रहा है. हालांकि उनका क्या तर्क है, यह जानने से पहले जान लेते हैं कि आर्मी और अग्निवीरों में मूलत: क्या अंतर है?

सेना और अग्निवीरों में क्या है अंतर?

सेना और अग्निवीरों में मूलत: क्या अंतर है, यह तो समझ लिया आपने, अब देख लीजिए कि इस स्कीम के सपोर्ट में क्या कहा जा रहा है. हालांकि इसको बीजेपी के ट्विटर हैंडल से ही प्रचारित किया जा रहा है. लेकिन महत्वपूर्ण यह नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि जब नेता, मंत्री, संतरी गुणगान करने से थक गए तो अब जनरल स्टोर और पान की गुमटी चलाने वाले लोगों से स्कीम के फायदे गिनवाए जा रहे हैं. 

बीजेपी की तरफ से जिस तरह युवाओं को समझाने की कोशिश की जा रही है वह बेहद दुखद है. पिछले पांच दिनों से अग्निपथ स्कीम को लेकर देश में आग लगी हुई है लेकिन पीएम मोदी की तरफ से अब तक सीधे-सीधे कुछ नहीं कहा गया है. बीजेपी नेता से मंत्री तक, समर्थक से लेकर नागरिक तक सभी को समझ में आ रहा है कि नाराज़ छात्र जिस तरह सार्वजनिक संपत्ति में आग लगा रहे हैं वह देश को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. फिर क्या वजह है कि पीएम मोदी कुछ बोल नहीं रहे हैं... यह अलग बात है कि सोमवार को बेंगलुरू पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का नाम लिए बगैर कहा है कि उनकी सरकार ने पिछले आठ सालों में स्पेस और डिफेंस सेक्टर को युवाओं के लिए खोल दिया है. 

जनरल वीके सिंह के बेतुके बोल

वहीं केंद्रीय मंत्री और पूर्व थलसेना प्रमुख वीके सिंह ने युवाओं को दुत्कारते हुए कहा है कि अग्निपथ एक स्वैच्छिक स्कीम है. अगर आपको यह स्कीम अच्छी नहीं लगती तो मत आओ. आपको बोल कौन रहा है आने के लिए?  

हालांकि वीके सिंह के इस जवाब पर कांग्रेस पार्टी ने पलटवार किया है. कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि जनरल. वीके सिंह ख़ुद अपनी रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने के लिए अदालत के चक्कर लगाते रहे. अब जब रिटायरमेंट उम्र घटा 4 साल कर दी गई है तो उसका स्वागत कर रहे हैं. जबकि देश के पहले CDS जनरल विपिन रावत चाहते थे कि सैनिकों को 58 साल में रिटायरमेंट मिले, सिर्फ 17 साल बाद रिटायर करना ठीक नहीं. 

सरकारी नौकरियां है कहां?

कई जानकार बता रहे हैं कि अग्निवीरों को CRPF,BSF, असम राइफल्स, राज्यों के पुलिस विभाग आदि में भी भर्ती किया जाएगा.. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आने वाले समय में इसकी भी सीधी भर्ती प्रक्रिया रोक दी जाएगी. अगर नहीं तो फिर अग्निवीरों को उसमें कैसे एडजस्ट किया जाएगा.. साथ ही राज्य सरकारें पुलिस की वैकेंसी क्या रेगुलर निकालती है. मालूम कर लीजिए, आपके प्रदेश में लास्ट टाइम वैकेंसी कब निकली थी? 

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