Agnipath Scheme: अग्निपथ स्कीम के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार को एक बार फिर कई जगहों से रेलगाड़ियों में आग लगाने की घटना सामने आई है. सड़कों पर बसें फूंकी जा रही है. रास्ते में सफर कर रहे कई बुजुर्गों के लिए खुद को सुरक्षित बचाने तक की चुनौती खड़ी हो गई है. स्कूल से वापस आ रही बसों के अंदर फंसे बच्चे ख़ौफ़ में हैं. शहर-शहर नगर-नगर आक्रोशित युवाओं का प्रदर्शन चल रहा है. कहीं पर भीड़ उग्र है, कहीं शांत है.. लेकिन छात्रों के मन बेहद अशांत हैं. उन्हें अपनी जिंदगी और भविष्य जलते हुए दिख रहे हैं.
सरकार के कई मंत्री बयान दे रहे हैं. लेकिन छात्र पुराने तरीक से सेना में बहाल किए जाने की मांग कर रहे हैं. आज मैं नहीं बोलूंगा, यह तस्वीरें देखिए, छात्रों के बयान सुनिए और तय कीजिए कि जब सभी नेता और ट्वीट करने वाले महानुभाव अपने एसी कमरे में बैठकर कौन सही और कौन गलत का निर्णय ले रहे थे तो यह छात्र इतनी भीषण गर्मी में सड़कों पर उपद्रवी क्यों बने हुए थे?
लोग सवाल कर रहे हैं कि यह छात्र उग्र क्यों है? यह तस्वीर देखिए, पिछले तीन सालों से ये युवा बेरोज़गार SSCGD2018 की परीक्षा में अपने साथ हुये अन्याय के खिलाफ शांति पूर्वक तरीक़े से लड़ रहे हैं. हार मानकर अब यह हाथों में तिरंगा लिए नागपुर से दिल्ली पैदल आ रहे हैं, जिससे कि यह अपनी बात सरकार से कह सके. क्या आपको इस बारे में जानकारी थी?
क्या यही वजह है कि छात्र अब दंगाई जैसा व्यवहार करने लगे हैं. खबर है कि सासाराम में उपद्रवियों ने पुलिसकर्मी को ही गोली मार दी. गोली पैर में लगी और आर-पार हो गई. कई इलाकों में पत्थरबाज़ी में कई पुलिसवाले घायल हुए हैं, तो कहीं पर छात्रों की पिटाई हुई है...
सवाल उठता है कि अगर फौज में सामान्य भर्तियां चलती रहती और अग्निपथ को एक प्रयोग के तौर पर सरकार छोटे स्तर पर लाकर चेक करती तो भी क्या इतना ही बवाल होता? क्या यह एक अच्छा तरीका नहीं हो सकता था? आखिर क्या वजह है कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया कृषि कानून, किसानों को समझ नहीं आया. नोटबंदी, अर्थशास्त्रियों को समझ नहीं आया, CAA मुसलमानों को समझ नहीं आया और अब अग्निपथ नौजवानों को समझ नहीं आ रहा है.
क्या बीजेपी के पास ग्राउंड लेवल पर उस क़द के नेता नहीं है जो अपने-अपने इलाके में युवाओं के पास जाएं और अगर नीति सही है तो समझाएं, अन्यथा उन्हें भरोसा दें कि स्कीम वापस ले ली जाएगी?
क्या वजह है कि कई मंत्रियों के बयान जारी करने के बावजूद, छात्रों को सरकार की स्कीम नहीं समझ आ रही. वहीं आंदोलन और हिंसक प्रदर्शन के बीच वायु सेना ने ऐलान कर दिया है कि अग्निवीर स्कीम के तहत 24 जून से भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
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तो क्या सरकार झुकने के मूड में नहीं है या फिर उन्हें भरोसा है कि बेरोजगार छात्र जो कई सालों से रोजगार के लिए भूखे हैं, वह भर्ती प्रक्रिया का नाम सुनकर वापस लौट जाएंगे?
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह राजनीति में इस कदर डूबे हैं कि उन्हें छात्रों का उग्र प्रदर्शन भी RJD का षडयंत्र नजर आ रहा है. एक बार उनका बयान सुन लीजिए...
सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि कांग्रेस, RJD जैसे दल जिनका राजनीतिक दखल बीजेपी के मुकाबले नहीं के बराबर है वह युवाओं को भड़का दे रहे हैं. लेकिन बीजेपी जो देश के ज्यादातर हिस्से में है वह इन छात्रों को समझा नहीं पा रहे हैं.
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मैं या हमारा चैनल एडिटर जी किसी भी तरह से छात्रों की हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं. लेकिन सरकार को हठधर्मिता छोड़कर युवाओं की पीड़ा समझनी चाहिए.. कम से कम सरकार से गंभीरता की उम्मीद तो की ही जा सकती है.
मैंने उग्र छात्रों के लिए शांति की अपील करते हुए एक कवितानुमा संदेश लिखा है. आखिर में उसी संदेश के साथ छोड़े जाता हूं...