आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक राजेंद्र पाल गौतम (Rajendra Pal Gautam) पर 'हिंदू विरोधी' होने और 'हिंदू देवी-देवताओं के अपमान' करने के आरोप लगे हैं. आरोप है कि 5 अक्टूबर यानी विजयदशमी (Vijayadashmi) के दिन जब तकरीबन दस हज़ार हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म (Baudh) की शरण में जा रहे थे, उस दौरान वहां मौजूद दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री ने कुछ ऐसी बातें कहीं जो 'हिंदू देवी-देवताओं का अपमान' है.
जबकि वायरल वीडियो में भीड़ में मंच से भगवा कपड़ों में एक शख़्स बोलता दिख रहा है. उसके साथ वहां मौजूद लोग भी अपने हाथ उठाकर दोहरा रहे हैं. वहां पर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के प्रति आस्था नहीं रखने और पूजा नहीं करने की शपथ दोहराई जा रही है.
राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि यह वही शब्द हैं जो डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म अपनाते हुए कहा था. उन्हीं 22 प्रतिज्ञायों को फिर से दोहराया गया है. इतना ही नहीं उन्होंने बीजेपी सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग श्री थावर चंद गहलोत द्वारा छपवाई गई किताब- 'डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरः राइटिंग्स एंड स्पीचेज़, वॉल्यूम-17' का भी हवाला दिया है.
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अब एक वीडियो देखिए. सोशल मीडिया पर यह लखनऊ के स्मृति उपवन की बताई जा रही है. यहां भी वही प्रतिज्ञाएं दुहराई जा रही हैं. क्या इस मामले में अब तक आपने कार्रवाई की बात सुनी है. सवाल उठता है कि मौजूदा दौर की पूरी राजनीति हिंदू और हिंदुत्व के इर्द-गिर्द ही सिमट कर क्यों रह गई है? हिंदू धर्म को कभी मुसलमानों से ख़तरा हो जाता है तो कभी किन्हीं और से... क्या वाक़ई हिंदू धर्म को किसी दूसरे लोगों से ख़तरा है या वाकई चुनाव और राजनीति के चक्कर में यह सब हो रहा है, जैसा कि आरोप भी हैं. आज इन्हीं तमाम मुद्दों पर होगी बात, आपके अपने कार्यक्रम मसला क्या है? में.
दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम से हिंदू देवी देवताओं के अपमान के मामले में पूछताछ का दौर जारी है. दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को राजेंद्र पाल गौतम से क़रीब तीन घंटे तक पूछताछ की. इससे पहले सोमवार को पुलिस ने उनके निवास पर पूछताछ की थी. बाद में उन्हें मंगलवार को पहाड़गंज थाने में अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए औपचारिक नोटिस दिया गया.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक राजेंद्र पाल गौतम एक धर्मांतरण कार्यक्रम में मौजूद थे, जहां हिंदू देवी-देवताओं की कथित तौर पर निंदा की गई. उनकी उपस्थिती को लेकर पुलिस को शिकायत मिली, जिसके बाद उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया.
आपको बता दें राजेंद्र पाल गौतम ने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. राजेंद्र गौतम ने अपने ट्विटर हैंडल पर उस बौद्ध दीक्षा समारोह और अपने इस्तीफ़े को लेकर विस्तार से बात की है.
राजेंद्र पाल गौतम ने ख़ुद को एक अंबेडकरवादी बताते हुए अपने इस्तीफ़े में लिखा, "वो आयोजन दीक्षा दिवस पर पूरे देश में हज़ारों जगहों पर होता है और उसमें करोड़ों लोग शामिल होते हैं. डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को इस जातिगत उत्पीड़न और छुआछूत के ख़िलाफ़ जो दीक्षा ली थी बुद्ध के धर्म की, विजयादशमी के दिन आयोजित कार्यक्रम में भी वही 22 प्रतिज्ञाएं अपने अनुयायियों की दी गई. 1956 से लेकर आज तक पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हर साल हज़ारों जगह इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन होता है जहां करोड़ों लोग ये दीक्षा लेते वक़्त उन 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराते हैं."
राजेंद्र पाल गौतम ने लिखा, "ये बाबासाहेब द्वारा दिलाई वही 22 प्रतिज्ञाएं हैं, जिन्हें बीजेपी सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग श्री थावर चंद गहलोत ने 'डॉ. बाबासाहेब अंबेडकरः राइटिंग्स एंड स्पीचेज़, वॉल्यूम-17' में भी छपवाया था. यह प्रतिज्ञा हर साल देश के कोने-कोने में आयोजित हज़ारों स्थान पर करोड़ों लोगों द्वारा दोहराई जाती है. आज बीजेपी को बाबासाहेब द्वारा दिलाई गई उन 22 प्रतिज्ञाओं से आपत्ति हो रही है. बीजेपी गंदी राजनीति के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रही है. मैं इस गंदी राजनीति से आहत होकर अपने मंत्री पद से त्यागपत्र दे रहा हूं."
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने राजेंद्र गौतम के इस्तीफ़े को जीत बताते हुए कहा, "केजरीवाल ने राजेंद्र पाल गौतम से इस्तीफ़ा गुजरात चुनाव की वजह से लिया है. गुजरात की जनता के सामने अरविंद केजरीवाल का हिंदू विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है."
वहीं विजेंदर गुप्ता ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "AAP सरकार के मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम हिंदुओं के विरूद्ध घृणा फैला रहे थे, पकड़े गये तो पूरी @AamAadmiParty बिल में घुस गई. CM केजरीवाल सहित सभी नेताओं को सांप सूंघ गया है." एक बार यह वीडियो देख लीजिए.
इस वीडियो को देखकर आपके मन में कोई विचार बने उससे पहले आप राजेंद्र गौतम की वह सफाई भी सुन लीजिए जो उन्होंने बीबीसी से बात करते हुए कही. राजेंद्र गौतम कहते हैं- एक तरफ आप कहते हो हम हिंदू हैं. लेकिन अगर हम हिंदू हैं तो मंदिर जाने पर हत्या क्यों? अगर हम हिंदू हैं तो घड़े छू लेने पर हत्या क्यों? अगर हम हिंदू हैं तो मूंछ रखने पर हत्या क्यों? हमारे ऊपर होने वाले अत्याचार पर आपलोग क्यों नहीं बोलते, हमलोग ही लड़ाई क्यों लड़ते रहते हैं? इस तरह का उत्पीड़न कब तक चलेगा? इस तरह भारत को कमज़ोर किया जा रहा है.
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क्या राजेंद्र गौतम के यह आरोप गलत हैं? आपको कुछ ख़बरें दिखाता हूं. कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले में बीजेपी के कट्टर समर्थक जगदीश गौड़ा पर अपने कॉफी बागान में 16 दलित लोगों को बंधक बनाने के आरोप लगे हैं. पुलिस अधिकारी ने इस बारे में बात करते हुए कहा, "उन्हें पिछले 15 दिनों से नजरबंद रखा गया था. चार परिवार हैं जिनमें 16 सदस्य शामिल हैं और सभी अनुसूचित जाति से हैं."
पुलिस के मुताबिक जगदीश गौड़ा और उनके बेटे तिलक गौड़ा के खिलाफ दलितों पर अत्याचार कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. हालांकि दोनों फरार हैं, उनकी तलाश की जा रही है. वहीं बीजेपी ने दूरी बनाते हुए कहा कि जगदीश ना तो पार्टी कार्यकर्ता हैं और न ही सदस्य. वह सिर्फ BJP समर्थक हैं. वह किसी भी अन्य मतदाता की तरह हैं.
अब एक और खबर देखिए, यह पिछले महीने की है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक शिक्षिका ने दलित छात्रा को पढ़ाने से इंकार कर दिया. इतना ही नहीं उस छोटी सी बच्ची के सामने जातिसूचक शब्द भी कहे. सोचिए जाति की वजह से गुरु शिष्य परंपरा भी तार-तार हो रही है.
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एक और खबर देख लेते हैं. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में सिपाही दयाचंद को सवर्ण समाज ने उनकी शादी में घोड़ी पर चढ़ने से रोक दिया. बाद में दयाचंद को अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी. अच्छी बात यह रही कि दूल्हे दयाचंद को पुलिस सुरक्षा में घोड़ी पर बिठाकर घुमाया गया. यह मामला फरवरी महीने का है. इस तरह के सैकड़ों मामले मिल जाएंगे, जहां दलित होने की वजह से लोगों को भेदभाव झेलना पड़ा है. सवाल यह है कि क्या इस भेदभाव के साथ दलित समाज को हिंदू धर्म के साथ जोड़े रखा जा सकता है? बीजेपी क्या गुजरात चुनाव की वजह से इस मुद्दे को तूल दे रही है? आज इन्हीं तमाम मुद्दों पर बात करने के लिए हमारे साथ जुड़ गए हैं दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र गौतम....