'वारिस पंजाब दे' (Waris Punjab De) का प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) जब से चर्चा में आया है तभी से देश-विदेश में खालिस्तानी समर्थक एक्टिव (Khalistani Supporte active) हो गए हैं. सबसे बड़ा सवाल जो उठकर सामने आया, वो ये है कि दस साल से ज्यादा दुबई में रहने वाला एक शख्स कैसे एकाएक नए संगठन का मुखिया बनता है और पंजाब को भारत से अलग करने की बात करने लगता है. कई सवालों की कड़ी मिलाएं तो शक के घेरे में भारत के दुश्मन मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) का नाम सामने आता है. इस बात का भी शक है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI अमृतपाल सिंह को सहारा दे रही है क्योंकि इस्लामाबाद (Islamabad) की चाल कश्मीर और यहां तक की म्यांमार (Myanmar) में पहले भी देखी जा चुकी है और अब वो पंजाब को भी अपने 'डर्टी गेम' का प्यादा बनाने का नापाक मंसूबा देख रहा है.
जम्मू कश्मीर (Jammu & Kashmir) से 2019 में विशेष राज्य का दर्जा छीने जाने की पाकिस्तान की बौखलाहट अभी कम नहीं हुई है और केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील हुए इस राज्य में कई आतंकी संगठनों को पनपते हुए देखा गया है. अधिकारियों का दावा है कि नए बने ये संगठन असल में पुराने ही हैं जिनके सिर्फ नामों को बदला गया है. इन संगठनों में सबसे प्रमुख 'द रेसिस्टेंट फ्रंट' (The Resistance Front) है जो असल में लश्कर-ए-तैयबा की ही एक शाखा है जिसमें हिज्बुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों में तैयार हुए लड़ाके शामिल हैं. 2020 के बाद से ही 'द रेसिस्टेंट फ्रंट' काफी सक्रिय है और कई हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है. हाल ही में पनपे कुछ अन्य आतंकी संगठनों में 'एंटी फासिस्ट फ्रंट', जम्मू एंड कश्मीर गजनवी फोर्स, कश्मीर टाइगर्स और कश्मीर जांबाज फोर्स के भी नाम हैं.
ऐसे में ये सवाल भी जवाब मांगने को उतारू हो जाता है कि कि आखिर पाकिस्तान पुराने आतंकी समूहों को नई पहचान देने की चाल क्यों चल रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) की नकेल से बचना. FATF आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने की संस्था है जिसने पाकिस्तान को 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला था. पाकिस्तान की कोशिश है कि नए बने आतंकी समूहों के इन लड़ाकों को स्थानीय विद्रोहियों और धर्मनिरपेक्ष दिखाया जाए ताकि अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाया जा सके. खुफिया सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान ने अपनी इसी रणनीति के बूते म्यांमार में कट्टरपंथी रोहिंग्या संगठनों (Rohingya Groups)को तैयार किया था और अब उसका अगला निशाना पंजाब है.
पंजाब में पहले से ही कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं और यही कारण है कि पाकिस्तान को लगता है कि वो अपनी नापाक साजिश को पूरा करने के लिए इसे सॉफ्ट टारगेट (Soft target) बना सकता है. पंजाब में एक्टिव ग्रुप्स में सबसे पुराना नाम बब्बर खालसा का है जो आजादी के बाद का सबसे पुराना उग्रवादी समूह है और बीते साल मोहाली में पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर ग्रेनेड हमले के बाद सुर्खियों में आया था. ताजा आकलन है कि 6 देशों में सक्रिय 9 संगठन पंजाब में हिंसा और आतंक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.
शंका जताई जा रही है कि अपने मंसूबों में कामयाब होने के लिए अब पाकिस्तान ने अमृतपाल को मोहरा बनाया है. इस शक को और पुख्ता करता है अमृतपाल का एकाएक 'वारिस पंजाब दे' संगठन का प्रमुख बन जाना. अगस्त 2022 में दुबई से भारत लौटते ही अमृतपाल को रहस्यमयी तरीके से इस युवा संगठन का चीफ बना दिया गया. अमृतपाल को अभिनेता से कार्यकर्ता बने दिवंगत दीप सिद्धू ने संगठन की बागडोर सौंपी. कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया कि अमृतपाल आनंदपुर खालसा फौज बनाने की भी तैयारियों में जुटा था.
गौर करें तो पंजाब का मौजूदा घटनाक्रम पाकिस्तानी सेना और ISI में लगातार मजबूत होते विश्वास का संकेत देता है. भारत से संबंधित मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने की हताशा भी पाकिस्तान के व्यवहार में साफतौर पर देखी जा सकती है क्योंकि अपनी लाख कोशिशों के बावजूद बदहाल पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी रणनीति में कामयाब नहीं हो सका है.