Ankita Bhandari Murder case: आज नवरात्रि (Navratri 2022) का पहला दिन है. नौ दिनों तक मां दुर्गा (Maa Durga) यानी स्त्री के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करने वाला भारत देश वाकई महान है. क्योंकि यहां रहने वाले लोग और नेता ही स्त्रियों की आबरू से रोज़ाना खेलते हैं. अगर नहीं तो फिर रोज़ाना 86 रेप के मामले दर्ज़ कैसे होते हैं? ये वो मामले हैं जो दर्ज हुए हैं. सच्चाई का अंदाज़ा आप लगा लीजिए...
उत्तराखंड (Uttarakhand) के पौड़ी (Paudi) जिले की रहने वाली अंकिता भंडारी (Ankita Bhandari) की कहानी भी महान भारत के कटू सच्चाई को बताती है. जहां कथनी और करनी का फर्क इतना ज़्यादा है कि गिरगिट भी शर्मा जाए. मैं समस्त गिरगिट समुदाय से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगता हूं कि मैं तुच्छ इंसानों से उनकी तुलना कर रहा हूं. क्योंकि गिरगिट अपना पेट भरने और ख़ुद को बचाने के लिए रंग बदलने की कला का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इंसान अपनी गंदगी छिपाने के लिए... ख़ैर अंकिता भंडारी मामले में गुनहगार आम इंसान नहीं पूर्व मंत्री पुत्र हैं. जो अब पार्टी के सभी पदों से भी हटाए जा चुके हैं. इस पूरे मामले में आरोपी पुलकित आर्य के रिसॉर्ट पर जितनी जल्दी बुल्डोजर चलाया गया है, उसको लेकर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं. आरोप है कि जेसीबी से जिस कमरे को तोड़ा गया, अंकिता उसी कमरे में रहती थी. इतना ही नहीं पुलिस ने जांच के लिए इस कमरे को सील किया था.
सीएम धामी साहब, 24 सितंबर को ट्वीट कर बता रहे हैं कि उन्होंने बुल्डोजर वाला इंसाफ़ कर दिया है. लेकिन प्रशासन कह रहा है कि रिसॉर्ट पर उनकी तरफ से बुल्डोजर चलाया ही नहीं गया. ऐसे कई सवाल हैं जो आपको चौंका देंगे.
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अभी तक की जानकारी के मुताबिक 19 साल की अंकिता का क़ुसूर सिर्फ इतना था कि उसने रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्या के कहने पर जिस्मफ़रोशी या यूं कहें वेश्यावृति का धंधा करने से मना कर दिया. मीडिया में ऐसे कई व्हाट्स चैट सर्कुलेट हो रहे हैं, जिसे दिखाकर यह कहा जा रहा है कि पुलकित आर्य अंकिता पर बार-बार वेश्यावृति करने का दबाव बना रहा था, जबकि वह मना करती रही. जिसके बाद अंकिता को कैनाल में धक्का दे दिया गया. ख़बर मिली है कि पुलकित ने पुलिस के सामने चिला कैनाल में अंकिता को धक्का दिए जाने की बात स्वीकार कर ली है. लेकिन सवाल यह भी है कि अगर पुलकित ने शराब के नशे में अंकिता को कैनाल में धक्का दिया तो फिर उसके साथ मौजूद साथियों ने उसे बचाने की कोशिश क्यों नहीं की? अंकिता कैनाल में डूबती रही और पुलकित के साथी उसकी मौत का तमाशा देखते रहे.
Ankita Murder case: अंकिता हत्याकांड के बाद एक्शन में सरकार
अतुल सती नाम के एक एक्टिविस्ट हैं जो इस मसले को प्रमुखता से उठा रहे हैं. उन्होंने अंकिता हत्याकांड को लेकर कुछ गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, शव को देखने वाली दो महिलाओं ने जो कुछ बताया वह वास्तव में कई तरह के सवाल पैदा करते हैं. बताया गया कि शव फूला हुआ नहीं था. 5 दिन तक शव बैराज में पड़ा रहा हो और फिर भी फूला हुआ न हो, यह एक बड़ा सवाल है.
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त्रिलोचन भट्ट नाम के एक अन्य यूजर ने अंकिता के डेड बॉडी की तस्वीर अपने सोशल हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा, डेडबॉडी की यह तस्वीर साफ बता रही है कि अंकिता को 5 दिन पहले नहीं, बल्कि सिर्फ 5 घंटे पहले ही बैराज में फेंका गया था. इन 5 दिनों में उसके साथ क्या कुछ हुआ, इसका शायद कभी पता नहीं चलेगा.
एक तरफ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अंकिता मर्डर हत्याकांड में उनकी सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए सभी "दोषियों" को सलाखों के पीछे भेज दिया है और उसकी सभी अवैध प्रॉपर्टी तोड़ी जा रही है. लेकिन कई लोग तथाकथित दोषियों को गिरफ्तार किए जाने की बात को ही नकार रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने जो आरोप लगाए हैं वह बेहद संगीन हैं. शोभा गैरोला नाम की एक ट्विटर यूजर ने एक शख्स का बयान जारी करते हुए कहा है कि पुलकित आर्य बताकर जिस शख़्स को पकड़ा गया है वह पूर्व राज्य मंत्री विनोद आर्य का पुत्र नहीं बल्कि कोई और शख़्स है. तो क्या राज्य की बीजेपी सरकार, आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है? पहले यह बयान सुन लीजिए.
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इस मामले को लेकर पूरे उत्तराखंड ने एकजुट होकर जो आक्रोश दिखाया है, यह उसी का नतीजा है कि पुलिस से लेकर सीएम तक, सभी जवाब देने में तत्परता दिखा रहे हैं. वरना यूपी के लखीमपुर में किसानों को जीप से रौंदने के मामले को लेकर क्या हुआ था, सबने देखा है. सोशल मीडिया पर ऐसे ट्वीट्स की बाढ़ आ गई है. विरोधी इसे बीजेपी की संस्कृति बताने से भी नहीं चूक रहे हैं.
विरोधी जो भी कहें, लेकिन एक सच है कि उत्तराखंड के लोगों ने वाकई इस मामले में एकजुटता दिखाई है. देखिए किस तरह वहां के लोग, अधिकारियों और नेताओं की आंखों में आंखें डालकर सवाल कर रहे हैं.
इससे पहले पुलिस जब शुक्रवार को पुलकित आर्य को हिरासत में लेने आई तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था. करीब 300 लोगों ने पुलिस की गाड़ी को घेर कर पुलकित और उसके साथियों की पिटाई कर दी, कपड़े फाड़ डाले.
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19 साल की अंकिता की हत्या से आक्रोशित लोगों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक किये जाने की मांग करते हुए रविवार को श्रीनगर में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया. इसके साथ ही पीड़ित परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए एक करोड़ रुपये के मुआवजे की भी मांग की.
इतना ही नहीं अंकिता भंडारी के परिजनों ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट छिपाने तक के भी आरोप लगाए. शुरुआती रिपोर्ट में लड़की के शरीर पर गंभीर चोट की बात कही गई है. इतना ही नहीं यह भी कहा गया है कि यह चोट मौत से पहले की है.
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इस केस में अंकिता मर्डर से जुड़े कई मामलों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. कई न्यूज़ पेपर्स ने भी सबूत मिटाने जैसे सवालों को प्रमुखता से उठाया है. हालांकि जब इसी बात को मीडिया ने पूर्व मंत्री विनोद आर्य से पूछा तो उन्होंने अपने बेटे को सीधा और भोला-भाला बताते हुए, मीडिया पर ही सवाल खड़े कर दिए.
अब एक नजर उन तथ्यों पर डालते हैं जिसको आधार बताकर उत्तराखंड सरकार पर मामले को दबाने के आरोप लग रहे हैं...
ऋषिकेश एम्स में अंकिता के शव देखने वालों के आरोप हैं कि शव के बरामद होने से मात्र कुछ घंटे पहले ही अंकिता को बैराज में फेंका गया था. इसके साथ ही 5 दिनों तक उसके साथ कई तरह की दरिंदगी भी की गई... हालांकि अब तक सरकार की तरफ से या प्राइमरी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में रेप की कोई बात नहीं कही गई है.