Anuradha Paudwal Biography : अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal) भजन गायकी का बड़ा नाम है. अनुराधा ने भक्ति गीतों से खुद को अमर कर दिया. हालांकि एक दौर ऐसा भी था जब अनुराधा को लोग दूसरी लता कहने लगे थे. अनुराधा करियर में कामयाबी की सीढ़िया चढ़ती जा रही थीं. इसी बीच, अनुराधा पौडवाल की खुद की गलती से उनका करियर ढलान पर आ गया. आइए जानते हैं आज अनुराधा की जिंदगी के बारे में और उनके करियर के सफरनामे को भी झरोखा के इस खास एपिसोड में
याद करिए 1990's का दौर... भजन गायकी में जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहता... वह अनुराधा पौडवाल का ही था... आज भी भक्ति गीतों में जिस फीमेल सिंगर की आवाज को लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं, वह अनुराधा ही हैं... अनुराधा पौडवाल का निजी जीवन त्रासदी से भरा रहा लेकिन वह भक्ति से कभी दूर न गई.
पहले पति छिना, फिर प्रेमी और फिर नौजवान बेटा... वक्त के थपेड़े झेलते अनुराधा ने जीवन का सफर आगे बढ़ाना जारी रखा.. उनके फोन की रिंगटोन मंदिर की घंटी वाली है... हर सुबह घर पर हवन होता है और निवास भी मानों किसी मंदिर जैसा है... कई लोगों के लिए वह देवी समान हैं.
आज अनुराधा पौडवाल का जिक्र इसलिए क्योंकि 27 अक्टूबर 1954 को ही अनुराधा पौडवाला का जन्म हुआ था. उन्होंने कई सुपरहिट गानों को अपनी आवाज से सजाया है. अनुराधा पौडवाल ने अपने करियर की शुरुआत साल 1973 में रिलीज हुई फिल्म 'अभिमान' से की थी.
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इसमें अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी ने मुख्य भूमिका निभाई थी लेकिन उन्हें पहचान साल 1976 में रिलीज हुई निर्देशक सुभाष घई की फिल्म 'कालीचरण' से मिली. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक समय फिल्म इंडस्ट्री की सबसे सफल गायिका बन गईं.
पौडवाल को पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया है.
पौडवाल पहली बार एक माइक्रोफोन के सामने तब गई जब उन्होंने शिव-श्लोक गाया था. यह एसडी बर्मन का कंपोज किया हुआ श्लोक था और फिल्म थी ऋषिकेश मुखर्जी की अभिमान (1973). 1981 में अनुराधा पौडवाल एक ज्योतिष से मिली थीं जिसने तब कहा था कि वह भक्ति संगीत में एक क्रांति लेकर आएंगे.
अनुराधा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उनकी फिल्म हीरो हिट हुई तब उन्हें और भी गाने मिलने की उम्मीद थी लेकिन हालात बदल चुके थे. मल्टी-स्टार कास्ट फिल्में बन रही थीं और बहुत कम सिंगल या ड्यूट सॉन्ग उनमें होते थे. वह इन सबसे खुश नहीं थी और फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने पर विचार करने लगी थीं...
फिर वह कलकत्ता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर गई. मां से प्रार्थना का परिणाम ऐसा हुआ कि इसके तुरंत बाद, पौडवाल को एक कैसेट लॉन्च में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया, जहां गुलशन कुमार के पिता चंद्रभान कुमार ने उन्हें टी-सीरीज़ के लिए गाने के लिए कहा और इसके बाद आगे जो हुआ वह इतिहास बन गया.
उन्होंने 1990 में आशिकी और दिल, 1991 में दिल है कि मानता नहीं और साजन और 1992 में बेटा की अपार सफलता के साथ उस शिखर को छुआ, जिसके लिए वह तरसती थीं.
उन्होंने बताया था कि उनकी पहली भेंट (देवी गीत), 'आउंगी आउंगी अगले बरस मैं आउंगी', जब दिल्ली में रिलीज़ हुआ, तो एक घंटे में 90,000 से अधिक कैसेट बिक गए थे.
उन्होंने कहा कि जिन वैष्णो देवी पर ये गीत था मैं तब तक उनके मंदिर वैष्णो देवी धाम भी नहीं गई थी. मुझे ये भी नहीं मालूम था कि जयकारे कैसे करते हैं. लेकिन इस गाने के बाद जब मुझे भक्ति गीतों के बाजार का अहसास हुआ तब मैंने HMV, Polydor, Music India से संपर्क किया लेकिन वहां से मुझे यही कहा गया कि भजन का कोई बाजार नहीं है.
अनुराधा पौडवाल उन प्रमुख गायिकाओं में से एक हैं, जिन्होंने 90 के दशक में लगभग सभी हिट कमर्शल फिल्मों में काम किया. गुलशन कुमार के साथ उनके कथित संबंधों की खबरें भी खूब पढ़ीं जाती रहीं. इन अटकलों पर दोनों ने कभी सफाई नहीं दी.
हालांकि, अनुराधा पौडवाल दिग्गज कंपनी टी सीरीज के साथ करीबी से जुड़ी हुई थीं और उन्होंने हमेशा अपने करियर में योगदान के लिए गुलशन कुमार की तारीफ भी की. टी-सीरीज के तत्कालीन मालिक गुलशन कुमार की जुहू के जीत नगर में एक मंदिर से बाहर निकलते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
अनुराधा की शादी अरुण पौडवाल संग हुई थी. अरुण, एसडी बर्मन के असिस्टेंट थे और खुद भी एक म्यूजिक कंपोजर थे. दोनों के दो बच्चे आदित्य और कविता हुए. अरुण पौडवाल की जब अचानक मौत हुई तो अनुराधा अकेली पड़ गई थीं. वह अकेले ही बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही थीं. इसी के बाद उनकी मुलाकात गुलशन कुमार से हुई. अकेली हो चुकी अनुराधा को गुलशन ने सहारा दिया और वह उनकी ओर झुकती चली गईं.
माना जाता है कि 'टी-सीरीज' के मालिक दिवंगत गुलशन कुमार ने ही अनुराधा की तलाश की. ऐसा कहते हैं कि गुलशन कुमार उन्हें दूसरी लता मंगशेकर बनाना चाहते थे. वह दौर ऐसा था कि अनुराधा की आवाज लता से मेल खाने की वजह से लोग अनुराधा को ही दूसरी लता मानने लगे थे.
यहां तक कि संगीतकार ओपी नैयर ने उस वक्त कहा था कि लता का दौर अब खत्म हो चुका है. गुलशन कुमार ने ही अनुराधा को एक के बाद एक कई गाने दिए, जिन्हें गाकर अनुराधा कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गईं. इसी बीच दोनों के बीच अफेयर की खबरें भी चर्चा में रहीं लेकिन दोनों ने कभी इसपर खुलकर कुछ नहीं कहा.
जिस वक्त अनुराधा को इंडस्ट्री की अगली लता कहा जा रहा था तब तकदीर ने उनके हिस्से में शायद कुछ और ही लिख डाला था. अनुराधा ने इसी वक्त टी-सीरीज और गुलशन से लगाव की वजह से ऐसा फैसला कर लिया जिससे उनके करियर ने यू टर्न ले लिया. अनुराधा जब अपने करियर के ऊफान पर थी तभी उन्होंने मीडिया के सामने कह दिया कि अब वे सिर्फ टी-सीरीज के लिए ही गाएंगी. यही फैसला उनके लिए लक्ष्मण रेखा बन गया.
80's और 90's के दौर में 3 चीजों ने दिलों पर राज किया. पहली रोमांटिक प्रेम कहानियों ने, दूसरी दिल को छू लेने वाले गानों ने और तीसरा अलका याज्ञनिक की आवाज ने... अनुराधा के फैसले का फायदा सीधा मिला अल्का याज्ञनिक को... सालों बाद गुलशन कुमार की हत्या से अनुराधा टूटीं. इसके बाद उन्होंने फिल्मी गाने गाना छोड़ ही दिया.
जिस अल्का याज्ञनिक को करियर में बढ़त अनुराधा पौडवाल के फैसले से मिली. एक इंटरव्यू में वही उनपर हमलावर दिखाई दी थीं. अलका याज्ञनिक ने दिग्गज गायिका अनुराधा पौडवाल पर उनके गानों की डबिंग करने का आरोप लगाया था. 1997 के फिल्मफेयर एडिशन में, अलका याज्ञनिक ने कहा था कि पौडवाल ने उनके गाने - दिल की कलम से, ये इश्क बड़ा बेदर्दी है और ओ रामजी को डब किया.
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अल्का ने सीधे शब्दों में कहा था- उनकी हिम्मत कैसे हुई! अनुराधा बार-बार मेरे साथ ही ऐसा क्यों करती है? जब उन्होंने दिल फिल्म के मेरे गीतों को डब किया तब उनके पास एक रेडिमेड बहाना था कि उनकी आवाज माधुरी दीक्षित पर मुझसे ज्यादा फिट बैठती है. फिर उन्होंने ट्विंकल खन्ना पर फिल्माए मेरे गीत को भी डब कर लिया.
चलते चलते 27 अक्टूबर की दूसरी घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1974: गणितज्ञ सी. पी. रामानुजम का निधन हुआ
2001: अभिनेता प्रदीप कुमार का निधन हुआ
1605: मुगल शासक अकबर का फतेहपुर सीकरी में निधन हुआ