Arvind Kejriwal Vs Narendra Modi: इन दिनों आप अपने टीवी या मोबाइल स्क्रीन पर सीएम केजरीवाल (CM Kejriwal) का यह योग वाला विज्ञापन रोजाना देख रहे होंगे. इस वीडियो में केजरीवाल योग की कुछ मुद्रा करते दिख रहे हैं... यह वीडियो अप्रैल 2022 का है. अब आप यह दूसरा वीडियो देखें... जून 2018 में पीएम मोदी (PM Modi) का यह फिटनेस वीडियो जारी किया गया था...
इसमें पीएम मोदी घास, पत्थर, कंकड़, पानी सब पर चलते दिखाई देते हैं. इसमें एक जगह पीएम मोदी अनुलोम विलोम प्राणायाम करते दिखते हैं. जैसा कि सीएम केजरीवाल वाले वीडियो में भी देखा जा सकता है.
केजरीवाल के नए वीडियो को देखकर कई लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या वह भी पीएम मोदी की रणनीति पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं? एक नजर उन फैसलों पर डालते हैं, जिसको लेकर सीएम केजरीवाल पर कॉपी करने के आरोप लगे हैं.
योग को प्रमोट करना
13 दिसंबर 2021 को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने योगशाला योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत दिल्ली के नागरिकों को योग अभ्यास के लिए मुफ्त में योग गुरु उपलब्ध करवाए जाएंगे.. जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधा मिल सके...
आपको याद होगा जून 2021 में पीएम मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर M-Yoga ऐप की शुरुआत की थी. इस मोबाइल ऐप में योग के अलग-अलग आसन संबंधी सभी जानकारियां अलग-अलग भाषाओं में देने की बात कही गई थी. जिससे कि ना केवल अपना देश बल्कि विश्व योग का फायदा ले सके.
धार्मिक स्थलों को मुख्यधारा से जोड़ना
इससे पहले केजरीवाल सरकार ने मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत बुजुर्गों को द्वारका, अयोध्या, हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा, वृंदावन जैसे करीब 15 तीर्थ स्थानों पर ले जाया जाता है. बुजुर्गों के लिए यह यात्रा पूरी तरह नि:शुल्क होती है. इस योजना के तहत बुजर्ग तीर्थ यात्री के साथ एक युवा भी बतौर अटेंडेंट जा सकता है.
जाहिर है अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनवाने की बात हो या वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, पीएम मोदी हिंदू धर्मस्थलों को लेकर हमेशा ज्यादा एक्टिव नजर आए हैं. पीएम मोदी हमेशा धार्मिक स्थलों को पर्यटन से जोड़ने की बात करते रहे हैं. इसी दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने गुजरात में सोमनाथ, द्वारका, धोलावीरा, वहीं उत्तर प्रदेश में अयोध्या, मथुरा, काशी, विध्यांचल, उत्तराखंड में बद्रीनाथ और केदारनाथ और हिमाचल में ज्वाला देवी को टूरिज्म का नया हब बनाया है. सभी राज्य सरकारें भी पीएम मोदी के कार्यशैली पर ही काम को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं.
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देशभक्ति को प्रमोट करना
केजरीवाल सरकार के नए फैसले के तहत दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में नर्सरी से 12वीं तक के बच्चों को 45 मिनट की देशभक्ति की क्लास देने की शुरुआत की गई है. सीएम केजरीवाल ने योजना की शुरुआत करते हुए कहा, "देशभक्ति पाठ्यक्रम बच्चों में कम उम्र से ही देशभक्ति की भावना जगाएगा, जिससे वे सच्चे देशभक्त बनेंगे जो नौकरियों में अपने देश के प्रति सच्चे रहेंगे."
गौरतलब है कि पीएम मोदी, भारतीय जनता पार्टी या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सभी की राजनीति देशभक्ति पर ही टिकी है. उनके भाषणों को देख लें, चर्चाओं को देख लें या राजनीतिक ट्रेंड सभी का आधार देशभक्ति और गर्व ही होता है. हाल के दिनों में CBSE ने देशभक्ति के नाम पर मुगलों के इतिहास को सिलेबस से हटा दिया है. दरअसल NEP आधुनिक और प्राचीन संस्कृति, परपंराओं एवं ज्ञान प्रणाली को शामिल करने की हिमायत करती है, ताकि छात्र भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति पर गर्व महसूस कर सकें.
नायकों को गढ़ने की राजनीति
बीजेपी ने कांग्रेस के विरोध में राजनीति करते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल को अपना नायक बनाया. पटेल को लेकर कई किस्से हैं, जिसमें यह दावा किया गया है कि उन्हें नेहरू की महत्वाकांक्षा का शिकार होना पड़ा. अन्यथा वह भारत के पहले प्रधानमंत्री होते. इस विचार के तहत कई असंतुष्ट तैयार किए गए, जिसे बीजेपी बाद में अपने साथ जोड़ने में सफल रही. इसके अलावा भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे नायकों की विचारधारा से जुड़ने का भी दावा किया.
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वहीं आम आदमी पार्टी ने भी भगत सिंह और भीमराव अंबेडकर को अपना नायक बनाया. भगत सिंह के जरिए बीजेपी और संविधान निर्माता अंबेडकर के जरिए अन्य सभी विपक्षी दलों के असंतुष्टों को साधने की कोशिश की गई है.
राम-बजरंगबली के नाम पर राजनीति
बीजेपी की राजनीति की शुरुआत ही राम मंदिर के नाम से हुई है. इसके अलावा 2014 का लोकसभा चुनाव हो या 2019 का, सभी चुनावी घोषणापत्र में अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने की बात जरूर शामिल की गई है.
ठीक उसी तरह दिल्ली चुनाव के समय से अरविंद केजरीवाल ने राम भक्त बजरंगबली को अराध्य मान लिया है. चुनाव जीतने के बाद वह हमेशा बजरंगबली के दर्शन को जाते हैं.
इतना ही नहीं हनुमान जन्मोत्सव पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में सुंदरकांड के पाठ करवाने का ऐलान किया है.
गुजरात मॉडल के जवाब में दिल्ली मॉडल
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद से लगातार गुजरात मॉडल का जिक्र किया गया. उसी मॉडल को आधार बनाकर यह साबित किया गया कि देश के बाकी हिस्सों की अर्थव्यवस्था को भी उद्योग-धंधे के आधार पर दुरुस्त किया जाएगा और किसी भी राज्य को गरीब या बीमारू राज्य नहीं रहने दिया जाएगा.
ठीक उसी तरह से केजरीवाल सरकार ने 2020 के दिल्ली चुनाव में शिक्षा और स्वास्थ्य को मॉडल बनाते हुए चुनाव लड़ा. इतना ही नहीं दिल्ली मॉडल को आधार बनाकर ही केजरीवाल ने पंजाब में भी इतिहास रचा. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, गुजरात चुनाव में भी इसी मॉडल पर आगे चुनाव लड़ने की योजना है.
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फ्री राशन योजना
केजरीवाल सरकार ने कोरोना महामारी की दौर में गरीब लोगों को फ्री में राशन देने की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत श्रमिकों, असंगठित श्रमिकों, भवन और निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों, घरेलू सहायिकाओं सहित जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है, उन सभी जरूरतमंदों को राशन दिया गया.
यह योजना बिल्कुल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की तरह है. इसमें भी कोरोना काल के दौरान गरीबों को खाने के लिए एक निश्चित मात्रा में फ्री अन्न वितरण किया गया.
इसके अलावा दोनों के भाषणों के क्लिप उठाकर देख लें. कई मौकों पर सीएम केजरीवाल का अंदाज, पीएम मोदी के अंदाज से मेल खाता दिखाई देता है. यही वजह है कि कुछ लोग तो आम आदमी पार्टी को बीजेपी का अपडेटेड वर्जन भी कहते हैं.