Baba Harbhajan Singh Mandir : हमारे देश में देवी-देवताओं के अनगिनत मंदिर हैं लेकिन भारत भूमि पर ही एक मंदिर ऐसा भी है जो एक सैनिक पर बना है. ऐसा सैनिक जो मृत्यु के बाद भी देश की रखवाली करता है. जिस सैनिक पर ये मंदिर बना है उसके चमत्कार सिर्फ भारतीय सैनिक ही नहीं चीन के जवान भी मानते हैं.
इस भारतीय सैनिक ने मृत्यु के बाद भी सेना की नौकरी नहीं छोड़ी. सिक्किम की राजधानी गंगटोक में जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं.
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ये सैनिक हैं भारतीय सेना के जवान रहे हरभजन सिंह... जो अब बाबा हरभजन सिंह है... 4 अक्टूबर 1968 को हरभजन सिंह के देह ने इस दुनिया को अलविदा कहा था... आज हम जानेंगे हरभजन सिंह (Baba Harbhajan Singh Story) के बारे में...
गंगटोक (Gangtok) और नाथू ला (Nathu La) के रास्ते में नाथू ला से लगभग 8 किलोमीटर पहले एक रास्ता दाहिनी ओर कट कर निकलता है. यही रास्ता बाबा हरभजन सिंह के मंदिर तक जाता है. बाबा का मंदिर पर्यटकों की जिज्ञासा का केंद्र रहता है.
यह भारतीय सेना के एक जांबाज जवान हरभजन सिंह की स्मृति में बनाया गया है, जिस पर सेना का पूरी तरह से नियंत्रण है. यहां तक कि मंदिर में दर्शन के बाद जब आप बाहर आएंगे तो सेना की वर्दी में ही जवान माथे पर टीका लगाएंगे और प्रसाद भी देंगे.
साल 1956 में, हरभजन सिंह पंजाब रेजिमेंट (Punjab Regiment) में भर्ती हुए थे, जिसके बाद उन्हें Signal Core में शामिल किया गया. 30 जून 1965 को हरभजन सिंह को एक कमीशन की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसके बाद उन्हें 14 राजपूत रेजिमेंट (Rajpoot Regiment) में तैनात किया गया. साल 1965 के भारत-पाकिस्तान जंग (1965 Indo-Pak War) में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. इसके बाद उनका तबादला “18 राजपूत रेजिमेंट” (18 Rajput Regiment) में कर दिया गया.
साल 1968 में, हरभजन सिंह ’23वीं पंजाब रेजिमेंट’ (23 Punjab Regiment) के साथ पूर्वी सिक्किम (East Sikkim) में तैनात थे. उसी साल 4 अक्टूबर 1968 को वह पूर्वी सिक्किम के नाथुला दर्रे से डोंगचुई तक खच्चरों के एक ग्रुप पर रसद लेकर जा रहे थे. ऐसा बताया जाता है कि उसी वक्त उनका पैर फिसल गया और वह नदी में जा गिरे. नदी का बहाव तेज था इसलिए उनका शरीर 2 किलोमीटर दूर चला गया.
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जब इस हादसे की खबर भारतीय सेना के अफसरों को मिली तब हरभजन सिंह की तलाश शुरू हुई. 5 दिन सर्च ऑपरेशन के बाद उन्हें लापता घोषित कर दिया गया. इसके बाद एक दिन उनके एक साथी सिपाही प्रीतम सिंह को सपना आया जिसमें हरभजन सिंह ने अपनी मौत की जानकारी दी और बताया कि उनका शव कहां पर है.
सेना के अफसरों को शुरू में इसपर यकीन नहीं हुआ लेकिन बाद में कुछ अधिकारी प्रीतम की बताई जगह पर गए. वहां उन्हें हरभजन सिंह का मृत शरीर मिला. इसे देख सेना के सभी अफसर हैरान रह गए. उन्होंने प्रीतम सिंह से माफी मांगी और सम्मान से हरभजन सिंह का अंतिम संस्कार कर दिया. संस्कार के कुछ समय बाद, एक बार फिर हरभजन सिंह प्रीतम सिंह के सपने में आए और अपनी समाधि बनाने की इच्छा जताई.
सेना ने इसके बाद “छोक्या छो” नाम की जगह पर उनकी समाधि बनाई.
अब इसके बाद बाबा के चमत्कारों की कहानियां शुरू हो गईं. वे सैनिक दोस्तों के सपने में आने लगे और बताया जाने लगा कि बाबा अब भी सीमा पर पेट्रोलिंग करते हैं. सिर्फ भारत ही नहीं, चीनी सैनिकों (China PLA Soldiers) की ओर से भी यही बातें कही जाने लगी... बताया जाने लगा कि अदृश्य छाया सीमा पर पेट्रोलिंग करती दिखाई देती है.
कई बार तो बाबा ने स्वप्न में किसी खास जगह के बारे में बताया कि वहां चीनी सैनिकों की हलचल देखी जा रही है और जब भारतीय सैनिक वहां जाते हैं तो वह बात पूरी तरह से सही मिलती थी. धीरे धीरे यह बात चारों तरफ फैल गई कि बाबा अब भी अपनी ड्यूटी को लेकर चौकस हैं और उनकी रूह सीमा की रक्षा कर रही है.
बाबा हरभजन सिंह मंदिर में बाबा हरभजन सिंह के जूते और बाकी सामान रखा गया है जिसकी भारतीय सेना के जवान रखवाली करते हैं. हर दिन उनके जूते पॉलिश होते हैं. सिपाहियों का कहना है कि रोज उनके जूतों पर कीचड़ लगा हुआ होता है और उनके बिस्तर पर सिलवटें होती हैं.
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भारतीय सेना (Indian Army) के अलावा चीन की सेना का भी मानना है कि उन्होंने रात के समय बाबा हरभजन सिंह को घोड़े पर सवार होकर गश्त लगाते हुए देखा है. सूत्रों के मुताबिक, बाबा हरभजन सिंह अशरीर भारतीय सेना की सेवा करते आ रहे हैं और इसी के मद्देनज़र बाबा हरभजन सिंह को मृत्युपरांत अशरीर भारतीय सेना की सेवा में रखा गया. यही-नहीं उनकी याद में भारतीय सेना द्वारा एक मंदिर का निर्माण करवाया गया.
यह भी कहा जाता है कि यहाँ रखे पानी की बोतल में चमत्कारिक गुण आ जाते हैं और इसका 21 दिन तक सेवन करने से श्रद्धालु अपने रोगों से छुटकारा पाते हैं.
भारतीय सेना ने बाबा के बंकर को एक मंदिर का रूप दे दिया है जहां पर एक मेज, कुर्सी कमलदान और एक छोटा सा बेड है. उसी बंकर में उनकी वर्दी टंगी रहती है. कहते हैं कभी कभी यह वर्दी इस्तेमाल हुई लगती है जिसे बाद में फिर से धुलवा कर टांग दिया जाता है. बंकर थोड़ा ऊंचाई पर है.
बाबा पंजाब के कपूरथला के रहने वाले थे और उनके चमत्कारों के बाद उन्हें रिटायर न मानकर उन्हें प्रमोशन भी दिया गया और कैप्टन बनाया गया. बाबा हरभजन सिंह को सम्मान तो इतना दिया गया कि जब भारत और चीन की सेना के बीच फ्लैग मीटिंग हुआ करती थी तो उनके लिए एक और कुर्सी लगाई जाती थी.
हर साल सिक्किम से उनका सामान न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन (New Jalpaiguri Railway Station) ले जाया जाता है और वहां से पंजाब के उनके मूल निवास कपूरथला पहुंचाया जाता है. 15 दिन की छुट्टी के बाद फिर वह सामान सिक्किम लाया जाता है. इस तरह से उन्हें अभूतपूर्व सम्मान दिया गया है.
बाबा हरभजन सिंह की कहानी को सेना द्वारा ही काले ग्रेनाइट पत्थर पर बेहतरीन ढंग से लिखा गया है.
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बाबा हरभजन सिंह के जीवन पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म “प्लस माइनस” (Short Film Plus Minus) भी बनाई गई, जिसमें फेमस यूटूबर भुवन बाम व बॉलीवुड अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने काम किया.
चलते चलते 4 अक्टूबर को हुई दूसरी घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1957 - सोवियत संघ ने पहला उपग्रह स्पुतनिक (Sputnik) सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में भेजा
1977 - अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations) को हिंदी में संबोधित किया.
2006 - जूलियन असांजे (Juliyan Asanje) ने विकीलीक्स (Wikileaks) की स्थापना की.
1996 - 16 साल के शाहिद अफ़रीदी (Shahid Afridi) ने वनडे मैच में 37 गेंदों में सेंचुरी जड़कर रिकॉर्ड बनाया.
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