मुसलमान नमाज़ पढ़े या गरबा करे.... हिंदुत्व कैसे हो जाता है आहत?

Updated : Nov 16, 2022 19:14
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Deepak Singh Svaroci

Discrimination over religion : आज बात भविष्य के भारत की. आप कैसा भारत चाहते हैं? ये आपको तय करना होगा. यहां तीन फ्रेम में कुल 6 तस्वीरें दिखाई जाएंगीं. पहले फ्रेम की एक तस्वीर में मुस्लिम शख्स की पिटाई हो रही है. आरोप है कि चार मुस्लिम युवक (Muslim Youths) अहमदाबाद के एक गरबा (Garba) कार्यक्रम में शामिल हो गए थे. वहीं दूसरी तस्वीर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की है, जिसमें वह एक हिजाब (Hijab) पहने लड़की के साथ नज़र आ रहे हैं. यह तस्वीर भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo yatra) की है.

अब दूसरा फ्रेम देखिए... इसकी पहली तस्वीर में कुछ महिलाएं ट्रेन के अंदर गरबा खेलती नजर आएंगी.. वहीं दूसरी तस्वीर है जिसमें एक मुस्लिम महिला अपने दिल अज़ीज़ के सेहत-याब होने के लिए अस्पताल में नमाज़ पढ़ रही है, अपने ख़ुदा से दुआ कर रही है. लेकिन कोई शख्स वीडियो बनाकर पुलिस को दे देता है. ताकि कार्रवाई हो.

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अब तीसरा फ्रेम देखते हैं. इस फ्रेम की पहली तस्वीर में एक आईएएस ऑफ़िसर इसलिए भड़क जाती हैं क्योंकि छात्राओं ने महंगी सैनिटरी पैड मिलने पर उनसे सवाल पूछ लिया. वहीं दूसरी तस्वीर कमिश्नर रोशन जैकब की है. जो घायल बच्चे को देखने अस्पताल पहुंची थी. लेकिन रोती हुई मां को देखकर ख़ुद भी रो पड़ीं...

राम के देश में भेदभाव 

सवाल उठता है कि शबरी के जूठे बेर खाने वाले राम का यह देश क्या किसी भी आधार पर इंसान से भेदभाव की सीख देता है. रावण जैसे अहंकारी को भी श्रीराम ने बार-बार समझाने का प्रयास किया, जबकि उस पापी ने उनकी पत्नी सीता का धोखे से हरण कर लिया था. क्या राम के आदर्शों पर चलने वाला देश, मार पिटाई या धार्मिक भेदभाव की इजाज़त देता है. जिस देश में सैनिटरी पैड की ज़रूरत को दिखाकर एक फ़िल्म सुपरहिट हो जाती है, उसी देश में एक लड़की अधिकारी से फ्री में सैनेटरी पैड नहीं मांग सकती? सवाल आपसे है कि आप किस तरह का भारत चाहते हैं.

आज इसी मुद्दे पर होगी बात, आपके अपने कार्यक्रम मसला क्या है में?

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मुस्लिम युवकों की पिटाई

सबसे पहले बात इन दो तस्वीरों की. जिसमें पहली तस्वीर अहमदाबाद की है और दूसरी भारत जोड़ो यात्रा की. पहली तस्वीर, अहमदाबाद की बताई गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिटाई कर रहे लोग VHP और बजरंग दल के कार्यकर्ता हैं. वह मुस्लिम युवक को इसलिए पीट रहे हैं क्योंकि वे गरबा कार्यक्रम देखने पहुंचे थे. समाज के नैतिक ठेकेदारों ने इन्हें देखा और दिमाग़ में ज़ोर से अलार्म बजने लगा, जैसे किसी अपार्टमेंट या ऑफ़िस बिल्डिंग में आग लगने पर बजता है. फिर क्या था भारत की अपंजीकृत नैतिक पुलिस ने इन्हें पकड़ा, ना कोई FIR, ना पूछताछ, सीधे पिटाई शुरू कर दी. कोर्ट-कचहरी और पुलिस का झंझट ही नहीं. फ़ैसला ऑन द स्पॉट...

मुस्लिम युवक में धार्मिक उत्साह नहीं

घटना अहमदाबाद के सिंधु भवन इलाके की बताई जा रही है. बजरंग दल का कहना है कि मुस्लिम युवक धार्मिक उत्साह के साथ गरबा में भाग नहीं लेते हैं. वे केवल हिंदू लड़कियों को लुभाने के गलत इरादे से शामिल होते हैं. इसलिए पूरे राज्य में नवरात्रि उत्सव के दौरान वे औचक निरीक्षण कर रहे हैं. इस घटना को लेकर अब तक गुजरात के मुख्यमंत्री का कोई बयान नहीं आया है. बाकियों से तो क्या ही उम्मीद करें... 

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राहुल की तस्वीर पर ऐतराज क्यों?

अब दूसरी तस्वीर पर आते हैं. यह तस्वीर भारत जोड़ो यात्रा की है. जिसमें राहुल गांधी हिजाब पहने एक छोटी बच्ची का हाथ पकड़े सड़क पर चलते नज़र आ रहे हैं. इस तस्वीर को कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी शेयर किया गया है. इस तस्वीर के सार्वजनिक होते ही बीजेपी की तरफ से बयानबाजी का दौर शुरू हो गया. बीजेपी नेता सीटी रवि ने राहुल गांधी पर हिजाब को ‘महिमा मंडित’ करने और “तुष्टिकरण की राजनीति” करने का भी आरोप लगाया. वहीं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जब धार्मिक आधार पर वोट का ‘हिसाब’ किया जाता है, तब वो तुष्टीकरण कहलाता है.’ 

क़ानून-व्यवस्था हाथ में क्यों लिया?

सवाल उठता है कि गुजरात में VHP और बजरंग दल के कार्यकर्ता क़ानून-व्यवस्था को हाथ में लेते हैं, तब राष्ट्रीय तो छोड़ दीजिए प्रदेश स्तर के नेता भी कुछ नहीं बोलते हैं. लेकिन राहुल गांधी अगर किसी हिजाब वाली बच्ची के साथ सहज भाव में फोटो निकलवा लें तो पूरी बीजेपी टीम इसे तुष्टीकरण बताने लगती है. क्या हिंसक घटनाओं पर मौन रहना तुष्टीकरण नहीं है? क्या बीजेपी चुपचाप रहकर, नए गुजरात मॉडल को आगे बढ़ा रही है. 

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ट्रेन में गरबा खेलतीं महिलाएं

अब इन दो तस्वीरों को देखिए... इसमें पहली तस्वीर गरबा खेलती महिलाओं की हैं. आम तौर पर मुंबई की लोकल ट्रेन भीड़-भाड़ के लिए जानी जाती है. लेकिन यहां महिलाएं, हंसती-खेलती नज़र आ रही हैं. अव्वल तो तारीफ़ के लिए यह वजह ही काफ़ी है. लेकिन 28 सितंबर को सोशल मीडिया पर जब यह वीडियो पोस्ट किया गया तो इसे नवरात्र से पहले की धूम बताया गया. ट्रेन में सफर कर रही दर्जनों की संख्या में हंसती-मुस्कुराती गरबा खेल रही महिलाओं से किसी को क्या आपत्ति होगी, जब तक कि उनकी वजह से आम लोगों को परेशानी ना हो. 

अस्पताल में दुआ मांगने पर आहत क्यों?

लेकिन एक और तस्वीर देखिए. यह तस्वीर प्रयागराज के एक अस्पताल की है. वीडियो में एक महिला अस्पताल में नमाज़ पढ़ती दिखाई दे रही है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ एमके अखौरी के मुताबिक सबहा नाम की यह महिला 22 सितंबर को डेंगू वार्ड में भर्ती एक मरीज़ से मिलने आई और उसके जल्द स्वस्थ होने की कामना के साथ, दोपहर की नमाज़ पढ़ने लगी. किसी ने चुपके से वीडियो बनाकर इसे वायरल कर दिया. जिसके बाद कई लोगों ने विरोध किया.

गलत इरादे से नहीं पढ़ा नमाज़

कई जगह ख़बर चली कि लोगों के विरोध के बाद पुलिस ने FIR दर्ज़ कर मामले की जांच शुरू कर दी है. हालांकि बाद में पुलिस ने इस बात का खंडन किया और कहा- “वायरल वीडियो की जांच में ये पाया गया कि महिला ने बिना किसी गलत इरादे के या बिना किसी काम में बाधा डाले अस्पताल में नमाज़ पढ़ा. मरीज के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना की थी.”

सोचिए एक मुस्लिम महिला के नमाज़ पढ़ने से लोगों की भावनाएं आहत हो जाती है. इतना ही नहीं पुलिस भी तुरंत जांच करने लग जाती है. काश यह जल्दबाज़ी- रेप, हत्या और अन्य अपराधों में भी दिखाई जाती, तो वाकई यूपी उत्तम प्रदेश हो गया होता. 

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सैनेटरी पैड सस्ते दामों पर मांगने पर भड़कीं IAS हरजोत कौर

अब तीसरी दो तस्वीरों की बात कर लेते हैं. पहली तस्वीर बिहार की है. जहां कक्षा 9 और 10 की छात्राओं के लिए 'सशक्त बेटी, समृद्ध बिहार' कार्यक्रम चल रहा था. इस दौरान एक छात्रा ने महंगी सैनिटरी पैड मिलने को लेकर सवाल कर लिया. इस पर बिहार महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर ने तिलमिलाते हुए कहा कि आज आप सैनेटरी पैड मांग रही हैं, कल निरोध भी मांगेंगी. इतना ही नहीं छात्रा के सवाल पर वहां मौजूद लोगों का तालियां बजाना भी महिला IAS अधिकारी को रास नहीं आया. उन्हें भी डपट दिया. एक बार पूरा वीडियो देख और सुन लीजिए.... 

बच्चा रोना नहीं बोल खुद रोने लगी महिला अधिकारी

वहीं अब दूसरी तस्वीर को देखिए... यह वीडियो लखनऊ के एक अस्पताल का है. हरी साड़ी में दिख रही यह महिला भी IAS अधिकारी ही हैं. इनका नाम रोशन जैकब है जो लखनऊ मंडल की कमिश्नर हैं. वह घायलों का हालचाल लेने अस्पताल पहुंची थी. इस दौरान एक मां की शिकायत पर वह एक बच्चे से मिलीं. वह बच्चे के पास गई और बोली रोना नहीं है बच्चे, तुमको ठीक करेंगे. लेकिन यह बोलते-बोलते खुद अस्पताल में रोने लगीं. पहले एक बार यह वीडियो देखिए. 

दरअसल लखनऊ कमिश्नर रोशन जैकब, लखीमपुर जिले में बस और ट्रक की टक्कर में हुए हादसे में घायलों से मिलने अस्पताल पहुंची थी. तभी 14 वर्षीय घायल कफील की मां आसमा उनके पास अपनी शिकायत लेकर चली गई. आसमा ने कहा कि उसका बेटा 3 दिनों से जिला अस्पताल में भर्ती है. रीढ़ की हड्डी टूट गई है. डॉक्टर ठीक से इलाज़ नहीं कर रहे. आपको बता दूं 26 सितम्बर को बाजपेई गांव में घर के बाहर खेल रहे बच्चों के ऊपर मिट्टी की दीवार गिर गई थी. यह बच्चा उसी में घायल हो गया था. 

सोचिए दोनों महिला IAS अधिकारी है. एक सरकार की तरह बात कर रही है और दूसरी मददगार की तरह. दोनों की ट्रेनिंग भी एक ही तरह से की गई है. लेकिन दोनों के तरीके कितने अलग हैं... अब आपको तय करना है आपको कैसा भारत चाहिए? यह देश किसी नेता का नहीं है, आपका है.

वाजपेयी क्यों बोले, लोकतंत्र अमर रहना चाहिए?

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 31 मई 1996 को विश्वासमत पर भाषण देते हुए कहा था, सत्ता का खेल तो चलेगा..सरकारें आएंगी जाएंगी. पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी. मगर ये देश रहना चाहिए. इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए. 

इस कालजयी भाषण के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार नहीं बच पाई. महज़ एक वोट से वह बहुमत से दूर रह गए. हालांकि तब भी वह हमेशा लोकतंत्र की मर्यादा का ध्यान रखते रहे. सत्ता में बने रहने के लिए उन्होंने कभी भी सरकार की मर्यादा को ताक पर नहीं रखा... 

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