क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (Cryptocurrency Treading) की सुविधा देने वाली स्टार्टअप कंपनी वजीरएक्स (WazirX) के को-फाउंडर्स निश्चल शेट्टी और सिद्धार्थ मेनन (nischal shetty and Siddharth menon) अब भारत को छोड़ दुबई (Dubai) शिफ्ट हो गए हैं. आप सोच रहे होंगे यह खबर हमारे लिए कैसे महत्वपूर्ण है. उनकी कंपनी ने हाल में 2,790.74 करोड़ रुपये मूल्य के क्रिप्टोकरेंसी सौदे किए थे. 70 से ज्यादा लोकेशन पर इसके कर्मचारी काम करते हैं. सोचिए कि इतने लोगों को रोजगार देने वाला शख्स अब अपनी कमाई पर टैक्स किसी और देश को चुकाएगा. यानी कि भारत ने अपनी कमाई का एक संसाधन खो दिया.
ट्विटर के नए सीईओ पराग अग्रवाल, IMF के पहले उप प्रबंध निदेशक के रूप में अपनी भूमिका शुरू करने वाली गीता गोपीनाथ, सुंदर पिचाई, सत्या नडेला, शांतनु नारायण, अरविंद कृष्णा, ये वो भारतीय दिग्गज नाम हैं जो दुनिया की टॉप टेक कंपनियों की कमान संभाल रहे हैं. यानी कि अमुख देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं. लेकिन भारत, जहां से बेहद प्रतिभाशाली और बुद्धिमान युवा पैद हुए हैं, अपने देश के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं.
यह असफलता किसकी है? इसपर चर्चा से पहले यह समझना जरूरी है कि ये कौन लोग हैं जो अपना देश-परिवार सबकुछ छोड़कर दूसरे देशों में बस जाते हैं और क्यों? एक प्रतिभाशाली एवं शिक्षित व्यक्ति, बेहतर सुख-सुविधा पाने के लिए दूसरे देश में बस जाता है. यह वही लोग हैं जिन्हें अपने देश में सम्मान नहीं मिलता, लेकिन इनकी मांग दुनिया के कोने-कोने में है. जब ये लोग बाहरी देशों में जाते हैं तो इन्हें अच्छे पैकेज के साथ-साथ अच्छे स्तर का जीवन भी मिलता है.
ये लोग अपना जीवन तो बेहतर करते ही हैं, साथ ही देश का नाम भी रोशन कर रहे हैं. एक आंकड़ा देखते हैं और जानते हैं कि प्रत्येक साल कितने भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ते हैं.
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कितने लोगों ने छोड़ी भारत की नागरिकता
2015- 1,31,489
2016- 1,41,603
2017- 1,33,049
2018- 1,34,561
2019- 1,44,017
2020- 85,242
2021- 1,11,287
(30 सितंबर तक)
लगभग प्रत्येक साल एक लाख तीस हजार से ज्यादा लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं. हालांकि 2020 में 85 हजार लोगों ने ही नागरिकता छोड़ी. क्योंकि कोरोना की वजह से दूसरे देशों में आने-जाने की मनाही थी. सभी उड़ाने रद्द थी. वहीं 2021 के आंकड़ों को देखें तो वह सितंबर महीने तक का ही है. यानी कि तीन महीने के आंकड़े नहीं जोड़े गए हैं...
यानी कि आपके जो कमाने वाले पूत हैं वह दूसरे देशो को कमा कर दे रहे हैं. इसे दूसरे शब्दों में ब्रेन ड्रेन भी कहा जाता है. 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरीका यात्रा के दौरान कहा था-लोग जिसे ब्रेन ड्रेन कहते हैं, मैं उसे ब्रेन डिपोजिट मानता हूं. और, जो प्रतिभा आज हमने दूसरे देश में जमा की है वह अवसरों की तलाश में है और जिस दिन उसे वह अवसर मिल गया उसका इस्तेमाल भारत माता के हित में होगा, वह भी सूद समेत.
ब्रेन ड्रेन की वजह
राजनीतिक अस्थिरता
बेहतर अवसर की कमी
कम सैलरी पैकेज
व्यापार से जुड़ी समस्याएं
टकराव की स्थिति
स्वास्थ्य संबंधी परेशानी
हालांकि कई मामलों में देखा गया है कि उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भारतीय काम करने के लिए स्वदेश लौटते तो हैं लेकिन फिर से विदेश चले जाते हैं.
1970 के दौर में कई युवा भारतीयों ने केवल भारत में नौकरी पाने के लिहाजे से अतिविशिष्ट और सब्सिडाइज संस्थानों से ग्रैजुएशन किया. लेकिन सही वेतन नहीं मिलने की वजह से उन्होंने देश छोड़ दिया. इसी तरह गल्फ देशों में काम करने वाले शॉर्ट टर्म कॉन्ट्रैक्ट वर्कर भी कभी भारत नहीं लौटे.
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वहीं अगर भारत सरकार की योजना प्रवासी भारतीय नागरिकता स्कीम को देखें तो इसका असर बहुत ज्यादा दिख नहीं रहा है. प्रत्येक साल बमुश्किल हजार से भी कम लोग ही यहां की नागरिकता ले रहे हैं. एक नजर पहले आंकड़ों पर डालते हैं.
भारतीय नागरिकता पाने वाले विदेशी
2018- 628
2019- 987
2020- 639
2021- 1,773
हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इनमें से ज्यादातर लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हैं, जो हिंदू, सिख, जैन और क्रिश्चियन समुदाय के हैं. वहीं दूसरे देशों मे पलायन करने वाले सबसे अधिक भारतीय हैं. अगर सिर्फ अमेरिका में रहने वाले भारतीयों का डाटा देखें-
अमेरिका में रहने वाले भारतीय कौन?
38% डॉक्टर
12% वैज्ञानिक
30% इंजीनियर
नासा के 35% वैज्ञानिक
इसके अलावा सुंदर पिचाई, नेल्सन मंडेला, विनोद खोसला, अजय भट्ट, शांतनु नारायण और सबीर भाटिया जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति अमेरिका में रह रहे हैं.
अमेरिका को महाशक्ति बनाने में वहां के स्थानीय प्रतिभाओं के साथ साथ भारत, चीन और दुनिया भर की अन्य प्रतिभाओं का भी योगदान है. ईलॉन मस्क को ही देखिए, वह दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका पहुंचे और आज उनकी कंपनी स्पेसएक्स मंगल पर इंसानों को ले जाने की तैयारी कर रही है. टेस्ला के जरिये इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों की भविष्य की एक राह भी मस्क ने तैयार की है.
कैसे रोकें ब्रेन ड्रेन?
उद्योग को बढ़ावा देना होगा
अनुसंधान एवं उच्च कोटि की लेबोरेटरी तैयार करनी होगी
उच्च शिक्षण संस्थानों का निर्माण करना होगा
प्राइवेट नौकरियों में स्थिरता लाना होगा
कर्मचारियों के लिए मिनिमम सैलरी तय करना
कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य-व्यवस्था देना
काम के घंटे सीमित करना
अधिक काम करने पर भुगतान करना
छुट्टियां बढ़ाना और कोटे के हिसाब से देना भी
कर प्रणाली को आसान बनाना, लोगों को राहत देना
भारत को भी अगर वैश्विक महाशक्ति बनना है तो उसे अपने प्रतिभाओं को बाहर जाने से रोकना होगा. तभी, विदेशी प्रतिभाएं हमारे यहां आएंगी और हम भी अमेरिका जैसी कंपनियां और संस्थान खड़े कर पाएंगे, जो ना केवल भारत को महाशक्ति के तौर पर स्थापित करेगा, बल्कि दुनिया का भी भविष्य तय करेगा....