A Brief History of Qatar : मिडिल ईस्ट का देश कतर FIFA WORLD CUP 2022 की मेजबानी से दुनिया भर में चर्चा में आ गया. इस देश में आज बड़ी बड़ी इमारतें, मेट्रो सिस्टम, बेहतरीन जिंदगी दिखाई देती है. सवाल ये है कि क्या कतर हमेशा से ऐसा ही था? आइए आज जानते हैं कतर का इतिहास (History of Qatar), कतर के विकास (Development Story of Qatar) की प्रक्रिया को इस एपिसोड में
भारत के त्रिपुरा राज्य से कुछ ही बड़े कतर में FIFA वर्ल्ड कप (FIFA World Cup 2022) का आयोजन हो रहा है. कतर मिडिल ईस्ट (Middle East) का ऐसा पहला देश है जहां फुटबॉल का विश्व कप हो रहा है. वर्ल्ड कप की मेजबानी मिलने के बाद बीते 12 साल में कतर ने खुद को तेजी से बदला है. कतर की राजधानी दोहा (Qatar Capital Doha) का न सिर्फ चेहरा बदल दिया गया है बल्कि देश में नए नए स्टेडियम और होटल भी तैयार किए गए हैं.
आपको ये भी बता दें कि कतर की गर्मी का असर फुटबॉल वर्ल्ड कप पर न पड़े इसीलिए पहली बार ये गेम नवंबर-दिसंबर में आयोजित हो रहे हैं. अब तक ये गर्मियों में ही होते रहे हैं... कतर ने इस गेम की मेजबानी के कुल 7 स्टेडियम तैयार किए हैं, 1 पुराने स्टेडियम का कायापलट किया है... नए मेट्रो सिस्टम तैयार किया है, मॉडर्न शिपिंग पोर्ट बनाया है. अपने मेन एयरपोर्ट को एक्सपैंड कर दिया है और साथ ही, दोहा के नॉर्थ में एक और प्लांड शहर खड़ा कर दिया है... जहां ये शहर बसाया गया, वो जगह कुछ साल पहले तक रेगिस्तान थी... ये सब करने में अगर भारतीय रुपये के हिसाब से बात करें तो 3 खरब रुपये से ज्यादा पैसा बहाया गया है...
आइए आज हम जानते हैं कतर को थोड़ा करीब से झरोखा के इस एपिसोड में...
कतर आज अपनी नेशनल एयरलाइन कतर एयरवेज (Qatar Airways) के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है, लेकिन अगर गुजरे दौर में वापस जाएं तो देश की पहचान हवा से नहीं बल्कि समंदर से थी... तब आज ही की तरह कतर के ज्यादातर निवासी समंदर के किनारे ही रहा करते थे. और यही समंदर था जो कतर के लोगों को दुनिया के बाकी हिस्सों से जोड़कर रखता था. इस समंदर में वे न सिर्फ फिशिंग और मोती निकालने से जुड़े काम करते थे बल्कि इंडियन ओशियन तक पहुंच बनाकर वे व्यापार भी करते थे. 1930 के दशक से पहले तक, कतर की अर्थव्यवस्था पर मोती का ही प्रभाव था. ये कारोबार देश की पूरी आबादी में से आधे लोगों को रोजगार दे रहा था. समुद्र के साथ इस गहरे संबंध का क़तर के इतिहास, विरासत और पहचान पर गहरा प्रभाव पड़ा...
लगभग 5,000 और 3,500 ईसा पूर्व के बीच कतर और पड़ोसी देशों के कोस्टल एरिया में ऐसी आबादी रहती थी जो शिकार करके और मछली पकड़कर गुजर बसर करती थी. इनके ठिकाने पर मछलियों की हड्डी के ढांचे यहां पहाड़ जैसे इकट्ठा हो जाते थे. आज उनकी रिहायश का कोई सबूत तो नहीं है लेकिन संभव है कि उन्होंने तब खजूर के पत्तों से आशियाना बनाया होगा हर वे हर साल लौटते जरूर थे.
ये ठिकाने तब उस "बारास्ती" के रूप में रहे होंगे जो खाड़ी के क्षेत्रों में तेल की खोज से पहले खासे चर्चित थे. दक्षिणी मेसोपोटामिया के मछुआरे अरब तट से दूर मछली पकड़ने वाले बड़े किनारों पर काम करने के बाद यहां आते थे. तब वे यहां से नमक इकट्ठा करते और मछलियों को सुखाते भी थे. तब वे अपने साथ पोट्री भी लेकर आते थे और इन्हें स्थानीय लोगों को ताजे मीट के बदले देते थे.
गुजरे दौर में कतर की हमेशा से खाड़ी क्षेत्र में ट्रेड और कॉमर्स में भागीदारी रही है. देश में तेल और फिर गैस की खोज से पहले, कतर अपने भौगोलिक आकार की वजह से समंदर से जुड़ा हुआ था. एक तरह से पानी के बीचों बीच होने की वजह से ये जगह सीपियों और मछली की खेती के लिए स्वर्ग जैसी थी...
सदियों से, कतर प्रायद्वीप (Qatar Peninsula) पर अलग अलग ताकतें हावी रही हैं. उबैद की संस्कृति (5वीं सहस्राब्दी), सेल्यूसिड से सासैनियन साम्राज्यों के प्राचीन काल (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 7 वीं शताब्दी सीई के समय इस्लाम के आगमन के वक्त) और अब्बासिद खलीफा (750-1258 C.E.). इन सभी अवधियों में खाड़ी पूर्व और पश्चिम के बीच एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक कड़ी थी. कई ट्रेड रूट जो पश्चिम की ओर जाते थे वे यहां से होकर गुजरते थे और नतीजा ये हुआ कि कतर के कई गांव और कस्बे सीधा कारोबारियों के संपर्क में आ गए... मुरवाब, अल-हुवेलाह, अल-जुबराह और अल-बिद्दा ऐसे गांव थे.
यह क़तर की भौगोलिक स्थिति है जिसने देश को समुद्री और जमीनी व्यापारिक मार्ग दोनों के चौराहे पर खड़ा कर दिया है. मोती, घोड़ों, चंदन, तांबा, अगरबत्ती, कपड़े, मसाले जैसी वस्तुओं की अदला बदली या कारोबार के लिए व्यापारी अक्सर तट पर पड़ाव डालते थे.
राष्ट्र पर कई अलग-अलग अरब जनजातियों का कब्जा रहा. इन्होंने ही देश से लगे समंदर में मोती तलाशे और यह यहां का प्रमुख कारोबार बना. अंग्रेजों ने 1968 में मोहम्मद इब्न थानी और खुद के बीच हस्ताक्षरित एक संधि में अल-थानी के शासन के तहत बहरीन से कतर की स्वतंत्रता को मान्यता दी.
इसके बाद, अन्य विदेशी शक्तियां क़तर पर कब्ज़ा करने की कोशिश करने लगी लेकिन 1916 के आसपास अंग्रेजों के साथ एक और संधि हुई जिसके बाद ब्रिटेन, कतर का रक्षक बन गया. कतर ने 1935 में इराक पेट्रोलियम कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया, जिसके बाद में इस क्षेत्र में तेल की खोज करने में जुट गए.... तेल तो मिला लेकिन 1950 तक व्यावसायिक तौर पर इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था.
इसके बाद कतर को 1971 में अंग्रेजों से आजादी मिली. कतर का मुस्लिम ब्रदरहुड से कुछ संबंध था और इसी वजह से वह सउदी, बहरीन और अमीरात की आंखों की किरकिरी भी बना रहा... अब लौटते हैं आज के कतर की ओर...
आज कतर का एक अलग रूप दिखाई देता है. राजधानी दोहा 4 दशक पहले तक एक छोटा सा कस्बा हुआ करती थी... आज मुल्क की तरक्की का आलम ये है कि यहां लोगों की सैलरी भी टैक्स फ्री है.
कतर में बदलाव बेहद तेजी से हुआ है. गैस और तेल इस देश की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा है. देश की कमाई हुई तो यहां तरक्की की कहानियां भी लिखी गईं.
कतर एक ऐसा प्रायद्वीप यानी पेनिनसुला है जो फिंगर शेप्ड है. तीन तरफ (ओर) से समुद्र से घिरे भूभाग (द्वीप) को प्रायद्वीप कहते है. यह अरब की खाड़ी में स्थित है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक देश की आबादी लगभग 30 लाख है और यहां सबसे बड़ा धर्म इस्लाम है. देश में 65 फीसदी के आसपास मुस्लिम आबादी है. इसके बाद नंबर आता है हिंदू और ईसाई धर्मों का. 15 और 14 फीसदी के आसपास...देश की 88% आबादी 100 से ज्यादा देशों से आए लोगों की हैं, जो कतर में काम करते हैं. इन्हीं लोगों ने मिलकर कतर को एक चमकता सोना बना दिया है.
देश में नया पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाया गया है, स्मूद हाईवे बनाए गए हैं और एक ऐसा एयरपोर्ट जहां से धरती के हर कोने के लिए उड़ानें मिलती हैं. देश में हर बजट का घर खरीदा जा सकता है, दुनिया का हर इंटरनेशनल ब्रांड यहां मिलता है और इन सबसे ऊपर है टैक्स फ्री आमदनी...
कतर कभी अपने तेल के लिए प्रसिद्ध रहा है लेकिन अब गैस अर्थव्यवस्था की धड़कन बन चुकी है. देश के पास दुनिया की प्राकृतिक गैस का लगभग 14% हिस्सा है और यह दुनिया का सबसे बड़े गैस फील्ड को ईरान के साथ साझा करता है.
कतर में दुनिया भर से लोग आए और आ रहे हैं, तो देश में भी लगातार शहरीकरण बढ़ रहा है. देश में लगभग 90% आबादी राजधानी में ही रहती है. दोहा के बाहर, बंजर प्रायद्वीप चट्टानी रेगिस्तान, रेत के टीलों और 530 किमी से अधिक के समुद्री तट है. देश में सिर्फ 1% भूमि ही खेती योग्य है, इसलिए कतर ज्यादातर खाद्य पदार्थों का इंपोर्ट करता है.
दोहा के तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ने के बावजूद कतर में एक स्याह किस्सा भी है. कई प्रवासी यहां आलीशान जिंदगी जीते हैं तो कुछ प्रवासी मजदूर भेदभाव, अनुचित व्यवहार और शोषण का भी सामना करते हैं. फुटबॉल विश्वकप की तैयारी को लेकर हुए कंस्ट्रक्शन के कामों में भी कई मजदूरों के शोषण और उनकी मौत की खबरें सामने आई.
लगभग 11,437 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला कतर सबसे छोटे अरब देशों में से एक है. इसकी सिर्फ एक भूमि सीमा है जो सउदी अरब से मिलती है लेकिन यह खुली हुई नहीं है. अरबी यहां की आधिकारिक भाषा है, लेकिन अंग्रेजी प्रवासी समुदाय की भाषा है.
अरब की खाड़ी प्रायद्वीप को तीन ओर से घेरे हुए है. इलाक़ा ज्यादातर समतल, बंजर रेगिस्तान है जो ढीली रेत और बजरी से ढका है. प्रशासनिक रूप से, क़तर में 8 म्युनिसिपैलिटीज हैं हैं: अल शमल, अल खोर, अल शाहनिया, उम्म सलाल, अल दायेन, अद दावह (दोहा), अल रेयान और अल वकराह.
कतर को आप एक शहर वाला देश भी कह सकते हैं और ये शहर है दोहा... चकाचौंध भरी ऊंची इमारतें, शानदार होटल, पॉश रेस्तरां और फलता-फूलता आर्ट ऐंड कल्चर... यह सब बीते कुछ सालों में ही सामने आया है. क़तर के दोहा शहर में ही ज्यादातर प्रवासी रहते हैं और काम करते हैं.
कतर में प्राकृतिक गैस ने दोहा को तेजी से आधुनिक शहर में बदल दिया...
क़तर प्रवासियों के लिए बेहतर जिंदगी देता है. अगर आप यूरोप या अमेरिका से यहां आ रहे हैं अकॉमोडेशन और यूटिलिटी का खर्च यहां कम मालूम होगा. हालाकि ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि आपकी हाउजिंग कॉस्ट क्या कंपनी ने फाइनेंस की है? कतर में ग्रॉसरी आमतौर पर महंगी होती है क्योंकि ज्यादातर फूड बाहर से ही इंपोर्ट किया जाता है और इसी वजह से लागत बढ़ जाती है.
179.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जीडीपी के साथ कतरी अर्थव्यवस्था दुनिया की 54वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक तेल और गैस पर आधारित है. सरकारी राजस्व में तेल से हुई आमदनी का हिस्सा 70% से अधिक है.
इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा कतरी रियाल (क्यूआर) है, जिसे 100 दिरहम में बांटा गया है.
कतर में पर कैपिटा इनकम $62,088 है. ऐसे कतरी नागरिक जो तेल, गैस, या फाइनेंस से जुड़े सेक्टर में काम करते हैं उनपर तो पैसों की बरसात होती है लेकिन कंस्ट्रक्शन में काम करने वाले श्रमिक थोड़ी कमाई ही कर पाते हैं.
कतर हाल के वर्षों में जनसंख्या विस्फोट के दौर से गुजरा है. साल 2000 के बाद यहां निवासियों की संख्या में लगभग पांच गुना बढ़ोतरी हुई है. इसकी बड़ी वजह वे प्रवासी पुरुष हैं जो कंस्ट्रक्शन के काम के लिए दूसरे देशों से कतर आए हैं. नतीजतन, देश में महिलाओं की तुलना में दोगुने पुरुष रहते हैं. वास्तव में, कतर की कुल आबादी में सिर्फ 12% लोग ही यहां के मूल निवासी हैं.
कतर में इस्लाम प्रमुख धर्म . दो-तिहाई आबादी मुस्लिम है, उसके बाद हिंदू (जनसंख्या का 15%) और ईसाई (14%) भी हैं. अरबी राष्ट्रीय भाषा है, हालांकि व्यापारिक कामों में अंग्रेजी व्यापक रूप से बोली जाती है. क़तर में 100 से अधिक देशों के लोग रहते हैं और इसी वजह से दोहा की सड़कों और इसके मॉल में कई भाषाएं सुनने को मिलती हैं.
कतर भले ही तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा हो, लेकिन समाज रूढ़िवादी बना हुआ है. एक नियम है कि क़तर में रहने वाले प्रवासियों को स्थानीय परंपराओं का सम्मान करना चाहिए और परंपराओं के हिसाब से कपड़े पहनने चाहिए. इन सबसे ऊपर, उन्हें इस्लामी आस्था का सम्मान करना चाहिए. यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि देश में शाही परिवार की आलोचना वर्जित है.