N Chandrababu Naidu: TDP प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने चौथी बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. आंध्र के सबसे सफल मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का राजनीतिक जीवन किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं रहा है. आइए आज कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत करने वाले टीडीपी प्रमुख के राजनीतिक सफर पर एक नजर डालें.
उम्र के 74वें पड़ाव पर चल रहे चंद्रबाबू नायडू का जन्म तिरुपति के पास एक छोटे से गांव नरवरिपल्ली में एक किसान परिवार में हुआ.
जब वे तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्ट्स से ग्रेजुएशन कर रहे थे, उसी समय उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रख दिया था.
1974 में PHD पर काम शुरू किया, लेकिन PHD पूरी नहीं की और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए.
साल 1980 में एन. चंद्रबाबू नायडू ने दक्षिण भारत के ख्यात अभिनेता और तेलुगु देशम (एनटीआर) के संस्थापक एनटी रामाराव की बेटी नारा भुवनेश्वरी से शादी की.
1983 में वे TDP के प्रत्याशी से विधानसभा चुनाव हार गए.
उसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर TDP का दामन थामा.
अगस्त 1995 में नायडू ने अपने ससुर एनटी रामाराव (एनटीआर) के खिलाफ तख्तापलट किया.
उसके बाद में उन्हें सर्वसम्मति से तेलुगु देशम पार्टी का नेता चुना गया.
उन्होंने NTR की जगह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला.
1996 के लोकसभा चुनाव में तेलुगु देशम ने कुल 16 सीटें जीतीं.
सितंबर-अक्टूबर 1999 के लोकसभा चुनावों में तेलुगूदेशम ने और भी बेहतर प्रदर्शन किया, 29 सीटें हासिल कीं
आंध्र प्रदेश से विभाजन कर तेलंगाना का गठन किए जाने के बाद वो तीसरी बार फिर मुख्यमंत्री बने
हालांकि साल 2014 और 2019 में चंद्रबाबू नायडू, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी से चुनाव हार गए.
साल 2019 के चुनाव में तेलुगू देशम पार्टी बुरी तरह से हार के बाद वे विपक्ष के नेता के तौर पर मौजूद थे.
लेकिन साल 2021 में परिवार के सदस्य के खिलाफ टिप्पणी के विरोध में नायडू ने विधानसभा से बहिर्गमन किया था 2021 में उन्होंने कहा था कि वो मुख्यमंत्री बनने के बाद ही सदन में लौटेंगे.
इसके बाद साल 2023 में स्किल डेवलपमेंट घोटाले में राज्य की CID ने उन्हें 9 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया. वे लगभग 52 दिन राजा महेंद्रवरम केंद्रीय जेल में रहे.
कहा जाता है कि जेल में बिताए दिनों को उन्होंने स्ट्रैटेजिक प्लानिंग के लिए इस्तेमाल किया.
इसके बाद जेल से बाहर आकर उन्होंने 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू किया
चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कुरनूल की जनसभा में आंध्र प्रदेश की जनता से मार्मिक अपील की जो काम कर गई.
उन्होंने लोगों से कहा, 'अगर आप मुझे और मेरी पार्टी को चुनकर विधानसभा भेजते हैं, तभी आंध्र प्रदेश विकास का मुंह देख पाएगा, वरना ये मेरा आखिरी चुनाव होगा.'
उनकी ये मार्मिक अपील काम कर गई और वे विधानसभा चुनाव में भारी मतों से विजयी हुए और उन्होंने चौथी बार सीएम पद की शपथ ली.
साथ ही लोकसभा की 16 सीटें जीतकर मोदी सरकार 3.0 में अहम सहयोगी की भूमिका में उभरे.
चुनावी रण में उतरकर सत्तासीन जगन मोहन रेड्डी को शिकस्त देकर उन्होंने राज्य से लेकर राष्ट्रीय राजनीति के दरवाजे पर जो जोरदार दस्तक दी है। उससे साबित हो गया कि वह वाकई ‘वास्तुकार’ हैं. उन्हें टूटी, बिखरी चीजों को समेटकर को बखूबी अच्छा गढ़ना आता है.
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