Chhath Puja 2022, Chhath Puja special train : बिहार, यूपी, झारखंड जैसे राज्यों के लिए छठ पूजा (Chhath Puja) मतलब क्या होता है, उसका अंदाजा स्क्रीन पर नज़र आ रही इस हुजूम से लगाइए. हालत यह है कि इन दिनों रेल से सफर करने वाले दूसरे यात्री भी प्लेटफॉर्म पर फैली इस कूव्यवस्था का शिकार हो रहे हैं. यात्री परेशान होकर ट्वीट कर रहे हैं, इस उम्मीद में कि शायद इससे ही कोई रास्ता निकल जाए. लेकिन हालात है कि बदलने का नाम नहीं ले रहा.
निशा चौबे नाम की एक ट्विटर यूजर ने अहमदाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या की फोटो शेयर करते हुए लिखा है- दिवाली और छठ पूजा के दौरान एक्सप्रेस ट्रेनों की यह कैसी स्थिति हो जाती है. प्रत्येक साल का यही हाल है. क्या त्योहारों के दौरान भारतीय रेलवे को पर्याप्त संख्या में विशेष ट्रेन नहीं चलानी चाहिए, ताकि यात्री सम्मानजनक और सुरक्षित यात्रा कर सके.
यह अलग बात है कि इस आपदा में भी राजनीति चमकाने का अवसर तलाशने वाले लोग अपने आंख-कान बंदकर मोदी सरकारी की पीठ थपथपाने से पीछे नहीं हटते. कहां तो 2022 तक देश में बुलेट ट्रेन को धराधर दौड़ाने का वादा था लेकिन अब तक ट्रेन में मिलने वाली सुविधा तो छोड़ दीजिए यात्रियों को सम्मानजनक तरीके से यात्रा करने की सुविधा भी नहीं मिली है....
वैसे तो एक दर्शक और पाठक होने के नाते आपने हेडलाइन के तौर पर कई ख़ुशखबरी सुनी होगी.. जैसे कि छठ पूजा पर बिहार आना हुआ आसान,124 पूजा स्पेशल ट्रेन (Pooja Special Train ) चलाएगी रेलवे; देखें पूरी लिस्ट... बिहार जाने वाले रेल यात्रियों को खुशखबरी, छठ पूजा पर दो अनारक्षित सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन... छठ पूजा पर रेलवे की तरफ से खुशखबरी, 250 से अधिक स्पेशल ट्रेन... लेकिन इस हेडलाइन से छठ पूजा पर घर जाने वाले लोगों की तकलीफें कम हो गईं?
बिहार सरकार ने भी ट्वीट करते हुए लोगों तक यह बात पहुंचा दी कि बिहार आ रहे लोगों की कठिनाइयों को देखते हुए उनकी तरफ से केंद्र सरकार से और भी स्पेशल ट्रेन चलाने का अनुरोध किया जा रहा है. ताकि यात्री hassle-free यानी कि परेशानी मुक्त यात्रा कर सके.
वहीं केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर मोदी सरकार को धन्यवाद देते हुए लिखा- छठ महापर्व (Chhath Puja) पर श्रद्धालु अपने घर पहुंच सके इसके लिए मोदी सरकार बहुत संवेदनशील है. देश के विभिन्न शहरों से बिहार आने वाले और त्योहार के बाद लौटने वाले यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न स्टेशनों के लिए 124 पूजा विशेष ट्रेनें संचालित की जा रही हैं.
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वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस बात की घोषणा कर दी कि छठ पूजा पर यात्रियों की भीड़ को देखते हुए 36,59,000 एक्स्ट्रा बर्थ की व्यवस्था कर दी गई है. इस तरह ट्विटर पर लोगों की शिकायत उठी, ट्विटर पर ही बिहार सरकार ने मामला केंद्र सरकार के संज्ञान में दे दिया, ट्वीट कर ही बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने पीएम मोदी का धन्यवाद कर दिया और ट्विटर पर ही रेल मंत्री ने बता दिया कि उनके द्वारा अथक प्रयास किया जा रहा है.
पहले लोग सामाजिक हुआ करते थे इन दिनों लोग 'ट्विटीक' हो गए हैं. 'ट्विटीक' शब्द को मैंने गढ़ा है. इसका मतलब होता है जो ट्विटर को ही अपनी दुनिया समझते हैं और उसी आधार पर देश-दुनिया के बारे में राय बनाते हैं. खबरों में पॉजिटिविटी ढूंढ़ने वाले दर्शकों के लिए आज का बुलेटिन समाप्त लेकिन अगर आप छठ पूजा के दौरान रेल यात्रियों को हो रही कठिनाइयों की असल कहानी जानना चाहते हैं तो बने रहिए इस कार्यक्रम में जिसका नाम है- मसला क्या है?
छठ पूजा के दौरान ट्रेन में यात्रियों की मारामारी कोई नई बात नहीं है. लेकिन यह पुरानी बात कब तक बनी रहेगी. केंद्र सरकार समेत सभी राज्यों के लोगों को भी ठीक से ज्ञात है कि छठ पूजा के दौरान बिहार-यूपी के लोग अपने राज्य वापस जाते ही हैं. इतना ही नहीं लोगों में इस बात का इतना असर है कि छठ पूजा के दौरान अन्य राज्यों के लोग ट्रेन में यात्रा करने से भी बचते हैं. फिर क्या वजह है कि 8 साल पुरानी केंद्र सरकार इस बात को समझ नहीं पा रही है? और अगर समझ नहीं पा रही है तो फिर स्पेशल ट्रेन क्यों चला रही है.
बुधवार को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार से छठ पूजा के लिए देशभर में भारतीय रेलवे ने करीब 250 से अधिक ट्रेनें शुरू की हैं. इससे लगभग 1.4 लाख बर्थ लोगों की यात्रा के लिए उपलब्ध होंगे. इसका मतलब है सरकारें समझ तो रही हैं, फिर बिहार-यूपी के लोगों को नज़रअंदाज़ क्यों किया जा रहा है?
Pranjali Singh नाम की एक यूजर अपने ट्विटर हैंडल पर लिखती हैं कि तीन सालों के बाद वह और उनका पूरा परिवार एकसाथ छठ पूजा मनाने अपने घर जाना चाहती हैं. लेकिन किसी भी ट्रेन में टिकट अवेलेबल नहीं है.
मनोज मलयानिल जो पेशे से पत्रकार हैं, अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखते हैं कि अगर आप अपने यहां रोज़ी-रोटी नहीं दे सकते तो कम से कम अपने गांव घर में पर्व त्योहार मनाने किए विशेष सुविधा तो उपलब्ध करा सकते हैं. ये तस्वीर सूरत के पास उधना स्टेशन की है. यहां से यूपी-बिहार के लिए रवाना होने वाली अंत्योदय और ताप्ती गंगा ट्रेन के लिए ये भीड़ उमड़ी. एक बार यह वीडियो भी देख लीजिए...
आशू गुप्ता नाम के एक ट्विटर यूजर ने तो पीएम मोदी से ही मदद की गुहार लगा दी. वो लिखते हैं- प्रिय प्रधानमंत्री जी.. बिहार जाने के लिए एक ऐसी ट्रेन की व्यवस्था कीजिए, जिसमें यात्री कम से कम खड़ो होकर तो जा सके. आप बिहार-यूपी के लोगों के लिए छठ पूजा का महत्व तो जानते ही होंगे. इस महापर्व में सभी लोग अपने घर जाना चाहते हैं. मैं जिस ट्रेन में हूं उसकी कुछ तस्वीरें भेज रहा हूं, आप ख़ुद ही इसे देखिए, लोगों के लिए खड़ो होने तक की जगह नहीं है. प्लीज आप कुछ कीजिए...
एक और तस्वीर देखिए.. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर खड़ी एक ट्रेन की तस्वीर है. देखिए किस तरह लोग ट्रेन कोच में ठूंसे हुए हैं. यह दिवाली से पहले की तस्वीर है. ट्रेन में यात्रियों के बैठने की क्या व्यवस्था तो आप देख ही रहे हैं, लेकिन इस एडवेंचरस जर्नी का एक्साइचमेंट लेवल यहीं ख़त्म नहीं होता.. ट्रेन लेट भी चल रही हैं. छह-छह घंटे लेट.. सोचिए जिस ट्रेन में बाथरूम तक यात्रियों से भरे हुए हैं, वह ट्रेन 6 घंटे लेट चल रही है.
इन ट्रेन में यात्रा कर रही महिलाओं और बच्चों की परेशानी को इन तस्वीरों के साथ थोड़ी देर अपनी आंखे बंद कर महसूस कीजिए और ख़ुद ही बताइए कि भारतीय रेलवे को अपनी कुव्यवस्था के लिए इन यात्रियों से माफी मांगते हुए दोगुना जुर्माना क्यों नहीं भरना चाहिए...
मंतोष कुमार नाम के एक यात्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. यह भारत-पाक बंटवारे के समय का दृश्य नहीं है. यह 23 अक्टूबर 2022 की तस्वीर है. लोग ऐसे ठूंसे हैं कि कोई अपनी जगह से हिल भी नहीं सकता. ऐसा लग रहा है बिहार-यूपी जाने वाले लोगों को दो दिनों के लिए कालापानी की सज़ा दे दी गई है.
आप दर्शक इस वीडियो को देखिए और पहेली बुझाएं कि अगर किसी यात्री को एक्स से वाई तक की दूरी तय करनी हो तो कितना समय लगेगा. जवाब मिले तो कमेंट बॉक्स में हमारे साथ भी शेयर कीजिएगा. ताकि पॉजिटिव ख़बर ढूंढ़ने वालों तक यह बात पहुंचाई जा सके.
केशव कौशिक नाम के एक अन्य यूजर ने भी कुछ ऐसी ही तस्वीर भेजी है. एक बार उसे भी देखिए. और फिर पहेली भी बुझाएं कि अगर किसी यात्री को एक्स से वाई तक की दूरी तय करनी हो तो कितना समय लगेगा?
सोचिए एक तरफ जिस देश में लोगों को ट्रेन में बैठने तक की जगह नहीं मिल रही, उसी देश में बिना इसको दुरुस्त किए अगर बुलेट ट्रेन चलाने की बात कही जाए तो क्या वह देशवासियों के साथ बेईमानी नहीं होगी. यूपी और बिहार के लोग अपने परिश्रम और टैक्स से देश के सभी राज्यों का भला कर रहे हैं.
देश में आज कोई भी ऐसा राज्य नहीं होगा जहां इन दो राज्यों के मजदूरों ने नई-नई इमारतों को गढ़ने में अपना ख़ून-पसीना नहीं बहाया होगा. चाहे वह सरकारी इमारत हो या प्राइवेट. फिर क्या वजह है कि सरकार, इन लोगों के बारे में विचार किए बिना ही देश का भविष्य देख रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत बढ़कर 1.60 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. जो 2015 तक 1.08 लाख करोड़ रुपये की थी. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2017 में हुई थी. तब रेलवे ने कहा था कि 15 अगस्त 2022 तक मुंबई से अहमदाबाद के बीच हाई स्पीड रेल शुरू करने की पूरी कोशिश की जाएगी. लेकिन अब इस गाइडलाइन को एक साल बढ़ाकर 2023 कर दिया गया है.
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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक यह साल 2026 तक शुरू होगी. मेरा सवाल उन दर्शकों से है जो ख़बरों में पॉजिटिविटी ढूंढ़ते हैं. भारत के लिए पहले क्या ज़रूरी है बुलेट ट्रेन या स्मार्ट रेलवे ट्रेन? पिछले आठ सालों में बुलेट ट्रेन का खाका तैयार करने वाला रेल मंत्रालय, क्या वजह है कि अब तक छठ पूजा में जाने वाले यात्रियों का खाका तैयार नहीं कर सका है.
अगर यात्रियों की संख्या का मोटामोटा अनुमान भी भारतीय रेलवे ने लगा लिया होता तो क्या लोगों को इस तरह भेड़-बकरियों की तरह रेल कोच में ठूंस-ठूंस कर आने को मजबूर होना पड़ता. क्या वजह है कि लोग बिहार-यूपी आने के लिए टिकट लेना चाहते हैं लेकिन वेटिंग का भी विकल्प नहीं मिल रहा है. अगर बुलेट ट्रेन के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये का फंड है तो फिर सामान्य ट्रेन के लिए क्यों नहीं?
मतलब साफ है... सरकार की प्राथमिकता रेल में ठसाठस भरे आ रहे इन यात्रियों को लेकर नहीं है. उनकी राजनीति अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग है.. तो फिर आप गुजरात मॉडल या दिल्ली मॉडल देखकर किसी भी नेता के लिए अपने मन में छवि क्यों गढ़ते हैं? जनता होने के नाते जागरूक बनिए, तभी आपका भला होगा.
सरकार किसी की भी हो अगर अपनी चीज़ों के लिए ख़ुद सरकार या उनके प्रतिनिधियों से सवाल नहीं पूछेंगे तो ऐसे ही जानवरों की तरह जीते रहेंगे. तय आपको करना है... राजनीतिक पार्टी बनकर देश के लिए सोचना है या फिर सिर्फ नागरिक बनकर....