Choreographer Saroj Khan Life : बॉलीवुड में माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी और ऐश्वर्या राय जैसी कई ऐक्ट्रेसेस को डांसिंग सेंसेशन बनाने में सबसे बड़ा योगदान जिस कोरियोग्राफर का है, वह सरोज खान ही हैं. सरोज खान का जन्म (Saroj Khan Birthday) 22 नवंबर 1948 को हुआ था. सरोज खान से जुड़े इस लेख में हम जानेंगे कि सरोज खान ने कैसे बॉलीवुड में एंट्री (How Saroj Khan entered in bollywood?) की? सरोज खान की फैमिली (Saroj Khan Family) कैसी रही? सरोज खान के माता पिता (Who was Saroj Khan Father and Mother?) का नाम क्या था? सरोज खान के पति कौन कौन (Who was Saroj Khan Husband?) हुए? सरोज की जिंदगी (Saroj Khan Life) से जुड़े ऐसे ही किस्सों को हम तलाशेंगे झरोखा के इस एपिसोड में
1 मई 2000... सरोज खान 'राधा कैसे न जले' के डांस डायरेक्शन के लिए भुज आई हुई थीं... ग्रेसी सिंह के लिए ये एक बड़ा मौका था... गौरी की भूमिका में उन्हें चुनने की एक वजह ये भी थी कि वह भरतनाट्यम जानती थीं. अब उन्हें अपनी इसी ट्रेनिंग का इस्तेमाल करना था. तीन दिनों से ग्रेसी ने नृत्य मुद्रा के अभ्यास में खुद को डुबो दिया था, फिर भी प्रेजेंटेशन ठीक नहीं हो रही थी. लुक में तनाव था और कदम भी ठीक नहीं पड़ रहे थे.
कहीं कुछ एकदम गलत हो रहा था. सरोज पूरी कोशिश कर रही थीं कि ग्रेसी सहज रहे, आशुतोष भी प्रोत्साहित कर रहे थे, फिर भी ग्रेसी संभल नहीं पा रही थी. शूटिंग रुक जाती है, इससे ज्यादा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. न तो ग्रेसी, न आशुतोष और न सरोज खान को ये मंजूर था. ग्रेसी समस्या बताती हैं. वह जनवरी से लगातार चांदी के भारी झुमके पहन रही थीं. उसकी वजह से कान के निचले हिस्से में घाव हो गया था.
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उसमें मवाद भर गया था. जरा सा हिलने पर भी तकलीफ हो रही थी. नृत्य करना मुश्किल हो रहा था. ग्रेसी के लिए नृत्य का तनाव ज्यादा बड़ा था, सो उन्होंने तकलीफ किसी से कही नहीं... लेकिन जब दर्द ज्यादा हो गया, तो बात बताई. वह शूटिंग रोकने से मना करती हैं. हां, एंटीबायटिक दवाएं लेकर इसे पूरा करने के लिए कहती हैं. अब वह रिहर्सल के समय दर्द बर्दाश्त करने के लिए दांत भींचती हैं लेकिन शॉट देते वक्त मुस्कुराती हैं... वह सरोज खान ही थीं जिनकी बदौलत ये सॉन्ग शूट हो सका.
Mr. India फिल्म में हवा हवाई गाना, Tezaab फिल्म में एक दो तीन गाना, Devdas का डोला रे डोला... इन सब डांस सॉन्ग के पीछे जिस कोरियोग्राफर का नाम है, वह सरोज खान ही हैं... श्रीदेवी, माधुरी की अदाकारी में जिसने नृत्य का रंग घोला वह सरोज ही थीं.
सरोज खान को 3 बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. उन्होंने हिंदी सिनेमा के कुछ सबसे बेहतरीन गीतों को कोरियोग्राफ किया था. सरोज ने 40 साल से ज्यादा लंबे करियर के दौरान कम से कम 2,000 गानों को कोरियोग्राफ किया. उन्होंने पारंपरिक भारतीय नृत्य शैलियों को बॉलीवुड में लाने का बड़ा काम किया.
14 साल की उम्र में नूतन को कोरियोग्राफ करने से लेकर डांसिंग सेंसेशन माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) के लिए 'गुरुजी' बनने तक, सरोज खान का सफर आसान नहीं रहा. इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में एक कामयाब डांस कोरियोग्राफर बनने के लिए सरोज को बहुत मेहनत करनी पड़ी.
निधि टुल्ली की बनाई डॉक्यूमेंट्री 'द सरोज खान स्टोरी' में उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए और संघर्ष का लंबा दौर भी रहा... मैं जिन नृत्यों की रचना और निर्देशन करती हूं, वे मेरी जिंदगी में आए आंसुओं और मेरे दिल टूटने के दर्द को नहीं दिखाते हैं.
सरोज खान का जन्म 1948 में निर्मला नागपाल (Nirmala Nagpal) के रूप में हुआ था. विभाजन के दौरान, उनके माता-पिता ने सब कुछ खो दिया था. वे नए बने राष्ट्र पाकिस्तान से मुंबई चले आए थे.
उन्होंने बताया कि मेरे माता-पिता विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आ गए थे. मेरे पिता किशनचंद साधु सिंह पंजाबी थे, जबकि मेरी मां नोनी सिंधी थीं. मेरे पिता का पाकिस्तान में एक फलता-फूलता कारोबार था लेकिन भारत आने पर उन्हें अपना सब कुछ पीछे छोड़ना पड़ा. मेरा जन्म भारत में हुआ.
एक रूढ़िवादी परिवार से होने के बावजूद, नृत्य के प्रति उनका जुनून कमाल का था. वह अपनी परछाईं में देखकर डांस किया करती थीं. मां ने सोचा कि बिटिया मंदबुद्धि है, सो उसे डॉक्टर के पास ले गईं. डॉक्टर ने तब मां से कहा था कि वह सिर्फ डांस करना चाहती है, उसे डांस करने दो.
आगे चलकर पिता को कैंसर हो गया और इससे घर का इकलौता कमाने वाला शख्स भी बिस्तर पर आ गया. अब अपनी चार बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी होने की वजह से परिवार के लिए कमाने का जिम्मा सरोज के कंधे पर आ गया. वह महज 3 साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में शामिल हो गई थी.
सरोज खान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पिता ने उन्हें फिल्मों में डालते समय उनका नाम बदलकर सरोज रख दिया था, ताकि रूढ़िवादी परिवार को उनकी छोटी बेटी के फिल्मों में काम करने के बारे में सच्चाई का पता न चल सके. उस दौर में फिल्मों में काम करना सम्मानजनक नहीं माना जाता था.
सरोज एक ऐसी इंडस्ट्री में थी, जो पुरुष प्रधान थी. लेकिन सरोज ने न सिर्फ खुद को स्थापित किया बल्कि दूसरी महिला कोरियोग्राफर्स के लिए भी रास्ता तैयार किया.
सरोज को पहली फिल्म में डांस करने का मौका नहीं मिला. उन्होंने नजराना फिल्म में शमा बच्ची का किरदार निभाया, जिसे चांद पर जाना था. वह इस किरदार से मशहूर हो गईं.
10 साल की उम्र में वह इंडस्ट्री की एक नृत्य मंडली में शामिल हो गईं. वह डेढ़ साल तक इसमें शामिल रहीं. और जब वह एक बैकग्राउंड डांसर के तौर पर परफॉर्म कर रही थीं, तभी नामचीन क्लासिकल डांसर सोहनलाल (B. Sohanlal) की नजर उनपर पड़ी.
सरोज लीड ऐक्टर्स सहित सभी के डांस मूव्स को झट से सीख जाती थीं. वह 13 साल की उम्र में सोहनलाल की असिस्टेंट बन गई. वह सरोज को एक ही पोजिशन में 3-3 घंटे खड़े रखते थे. सरोज ने करियर की बुलंदी पर पहुंचकर भी अपने मास्टर के योगदान को नहीं भूला था.
जब सरोज 14 साल की थी, तब उन्होंने दिल ही तो है फिल्म के अपने पहले गाने निगाहें मिलाने को जी चाहता है को कोरियोग्राफ किया था. इसे नूतन पर फिल्माया गया था. पीएल संतोषी (फिल्म निर्माता राज कुमार संतोषी के पिता) ने उन्हें सिखाया कि कैसे मूवमेंट में जुड़ना है और डांस स्टेप्स बनाना है.
उन्होंने 1958 की फिल्म हावड़ा ब्रिज में एक लड़के की ड्रेस पहनकर मधुबाला के साथ स्क्रीन टाइम शेयर किया था.
एक बार दिवाली के मौके पर सरोज के पास पैसे नहीं थे, उनकी पेमेंट दिवाली से एक हफ्ते बाद ही आनी थी. तब शशि कपूर (Shashi Kapoor) के साथ एक ग्रुप डांस करने के बाद उन्होंने उनसे पैसे मांगे थे. शशि कपूर ने तब सरोज को 200 रुपये दिए थे और कहा था कि फिलहाल मेरे पास यही है. सरोज शशि कपूर के वो पैसे कभी चुका नहीं पाईं.
डांस मास्टर के लिए एक मॉडल के रूप में सरोज ने हेलेन, वैजयंतीमाला और दूसरी ऐक्ट्रेसेस को स्टेप्स सिखाए. आखिरकार वो घड़ी भी आई जब वह एक इंडिपेंडेंट कोरियोग्राफर बन गईं. ये फिल्म थी गीता मेरा नाम (1974). तब सरोज 26 साल की थीं. उदित झुनझुनवाला ने लिखा है- श्रीदेवी के अभिनय वाली फिल्म मिस्टर इंडिया (1987) के गीत 'हवा हवाई' ने उन्हें नई उड़ान दी.
300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने का अनुभव पाने वाली सरोज का करियर शानदार रहा. सरोज ने 25 मिनट लिए थे तेजाब फिल्म का गाना एक दो तीन बनाने में और माधुरी ने 17 दिन में रिहर्सल पूरी की. वह उस वक्त मशहूर नहीं थी. इसी गीत ने माधुरी को फेमस कर दिया था.
सरोज ने जितनी भी हिरोइनों को कोरियोग्राफ किया, उनमें से माधुरी अकेली हैं जिनके साथ उन्होंने एक्सपेरिमेंट भी किया. सरोज ने बताया था कि उन्होंने माधुरी को बहुत सारे अजीब डांस स्टेप्स दिए, लेकिन ऐक्ट्रेस ने उन्हें आसानी से और बिना किसी शिकायत के कर डाला.. 2019 की फिल्म कलंक के सरोज खान के आखिरी कोरियोग्राफ किए गए गीत 'तबाह हो गए' में भी माधुरी ही थीं.
सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर कैटिगरी में सरोज खान ने 3 राष्ट्रीय पुरस्कार जीते. उन्होंने 2002 में देवदास के गीत 'डोला रे डोला' के लिए, फिर 2006 की तमिल फिल्म श्रृंगारम के सभी गीतों के लिए, आखिरी राष्ट्रीय पुरस्कार 2008 की फिल्म जब वी मेट में 'ये इश्क है' के लिए जीता था.
Chaalbaaz (1990), Beta (1993), Khalnayak (1994), Hum Dil De Chuke Sanam (2000), Devdas (2003), Guru (2008) के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला.
डांसर और कोरियोग्राफर के रूप में पेशेवर जिंदगी में नई ऊंचाइयों को हासिल करने के बावजूद, उनका निजी जीवन कई मुश्किलों से भरा रहा. नाकाम शादी का दर्द भी उनके हिस्से में आया. फिर भी, उन्होंने कभी भी अपने निजी दर्द को प्रोफेश्नल लाइफ में दाखिल नहीं होने दिया.
सरोज अपने गुरु से बहुत प्यार करती थीं. अगर वह उनके साथ कोई दूसरी नृत्यांगना देखतीं तो ईर्ष्या से जल जातीं. सरोज और उनके गुरु बी सोहनलाल के बीच गुरु-शिष्य का रिश्ता जल्द ही वैवाहिक गठबंधन में बदल गया. सरोज जब 13 साल की थीं, तब उनकी शादी 41 साल के सोहनलाल से कर दी गई, जो पहले से शादीशुदा थे. तब सरोज सोहनलाल के इस सच से अंजान थीं.
सरोज ने बताया था- मैं 13 साल की एक स्कूली छात्रा थी, जब मैंने मास्टर सोहनलाल से शादी की. मुझे उस वक्त शादी का मतलब नहीं पता था. उन्होंने एक दिन मेरे गले में काला धागा डाल दिया और मुझे लगा कि मेरी शादी हो गई है. उन्होंने मुझे यह नहीं बताया कि वह पहले से ही चार बच्चों के साथ शादीशुदा थे. मुझे उनकी पहली पत्नी के बारे में तभी पता चला जब मैंने 1963 में अपने पहले बच्चे, मेरे बेटे राजू खान को जन्म दिया.
“1965 में सरोज ने दूसरे बच्चे को जन्म दिया. यह एक बेटी थी जिसकी मृत्यु जन्म के 8 महीने के अंदर हो गई थी. इसी दौर के आसपास सोहनलाल और सरोज अलग हो गए थे क्योंकि सोहनलाल ने सरोज के बच्चों को अपनाने से इनकार कर दिया था.. 1969 के आखिर में, सोहनलाल ने अपना असिस्टेंट बनने के लिए फिर सरोज से संपर्क किया. जब उन्होंने मना किया तो सरोज के खिलाफ सिने डांसर एसोसिएशन में शिकायत दर्ज करा दी. फिर सरोज ने उनके साथ दोबारा काम करना शुरू कर दिया. उसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा. सरोज उन्हें देखने गईं. इसी रात उनके बीच बने संबंध से बेटी कूकू का जन्म हुआ. इसके बाद सोहनलाल सरोज की जिंदगी से पूरी तरह दूर हो गए और मद्रास में बस गए.
सरोज दो बच्चों की सिंगल मदर थीं. अपने बिजी शेड्यूल में वह बच्चों के पास जाने को तरसती रहती थीं. सोहनलाल से अलग होने के बाद 1975 में उन्होंने पेशे से एक कारोबारी सरदार रोशन खान से दोबारा शादी की. इसी शादी के बाद उन्होंने औपचारिक तौर पर धर्म भी बदल लिया था. शादी के दो साल बाद उन्होंने इंडस्ट्री छोड़ दी. 1980 में सरोज की इंडस्ट्री में दोबारा वापसी हुई.
उन्होंने बताया था कि 1977 में इंडस्ट्री छोड़ दी. वह दुबई गईं. तब उनकी उम्र 29 साल की थी. वह वहां 3 साल रहीं. वह अपने भाई और बहनों और अपने पति की पहली पत्नी के बेटे की भी देखभाल कर रही थी. मैंने उन सभी को अच्छी नौकरियों में रखा और फिर लौट आई. उनमें से कोई भी फिल्म उद्योग में नहीं था क्योंकि मृत्यु से पहले पिता ने सरोज से वादा किया था कि भाई और बहनों को फिल्म इंडस्ट्री से वह दूर रखें. 1980 में जब सरोज भारत वापस आई तो जरीना वहाब ने अपनी फिल्म जज्बात के लिए उन्हें बुलाया. यह राज बब्बर की पहली फिल्म थी.
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सरोज की 42 साल की बेटी कुकू (हिना खान) लीवर फेल होने की वजह से 2011 में दुनिया छोड़कर चली गईं. इस हादसे ने सरोज को तोड़कर रख दिया. सरोज शुगर पेशेंट थीं. साल 2020 में अपनी मृत्यु से चंद रोज पहले जब सरोज हॉस्पिटल जा रही थीं तब उन्होंने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन पर दुख जाहिर किया था.
3 जुलाई 2020 को कार्डिएक अरेस्ट की वजह से सरोज का निधन हो गया था. मुंबई में मलाड में सरोज को सुपुर्द-ए-खाक किया गया था.
चलते चलते 22 नवंबर की दूसरी खबरों पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1939: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का जन्म हुआ.
1968: मद्रास का नाम बदलकर तमिलनाडु (Tamilnadu) करने के प्रस्ताव को लोकसभा से हरी झंडी मिली.
1971: पाकिस्तान (Pakistan) ने भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया और इसके बाद दोनों देशों में जंग शुरू हो गई.
1997: भारत की डायना हेडेन (Diana Hayden) विश्व सुंदरी बनी
2016: मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और यूपी के पूर्व CM राम नरेश यादव (Ram Naresh Yadav) का निधन हुआ.