आपके स्क्रीन पर दो तस्वीरें दिख रही हैं. पहली तस्वीर बिहार में मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के मोहम्मदपुर गांव की बताई गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक रामनवमी के जुलूस (Ram Navami Procession) के दौरान, भगवा कपड़े पहने हुए ये लोग, मस्जिद के गेट पर चढ़कर भगवा झंडा फहरा रहे हैं. वीडियो देखकर एक-एक चेहरे को पहचाना जा सकता है. लेकिन अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस का कहना है, जांच चल रही है.
वहीं दूसरी तस्वीरें मध्यप्रदेश की बताई जा रही हैं. जिसमें मुस्लिम लिबास में नजर आ रहे इन लोगों ने अपने चेहरे ढंक रखे हैं. जिससे कि उनकी पहचान ना हो सके. ये लोग लगातार एक समूह पर पत्थरबाजी कर रहे हैं. कुछेक लड़के के हाथों में डंडे भी नजर आ रहे हैं. हालांकि कुछ लड़कों के चेहरे से नकाब हटे हुए भी हैं. जिसकी पहचान की जा सकती है.
एक और वीडियो देखिए... लोकेशन क्या है मायने नहीं रखता.. महत्वपूर्ण यह है कि कुछ लोग हाथों में भगवा झंडा लेकर मस्जिद के आगे रुककर हाथों में तलवार लहरा रहे हैं. (तलवार को लाल घेरे में दिखाएंगे..) जैसे कि किसी को ललकारने की कोशिश हो रही हो...
इस वीडियो को देखें... यह मध्यप्रदेश के खरगोन की बताई जा रही है. मुस्लिम एक्टिविस्ट शरजील उस्मानी ने इस वीडियो को अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है. और लिखा है कि खरगोन के मस्जिद में आग लगा दी गई है. इतना ही नहीं जब एक सेकेंड के लिए कैमरा घूमा तो दिखा कि वर्दीधारी पुलिस भी वहीं पास में ही मौजूद था...
मध्यप्रदेश के खरगौन (Khargone) जिले में रामनवमी (Ram Navami) के जुलूस में हुए पथराव में कई लोग घायल हुए हैं. जिले के एसपी और दो पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं. तनाव को देखते हुए कई इलाकों में कर्फ्यू तक लगाना पड़ा है.
राम नवमी पर देशभर के कई राज्यों से साम्प्रदायिक संघर्ष की खबर आ रही है. गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में राम नवमी के जुलूस के दौरान रविवार, 10 अप्रैल को मुख्य रूप से पथराव, आगजनी, मारपीट और बड़े पैमाने पर हिंसा भड़की.
देश के अलग अलग हिस्सों से आ रही ये तस्वीरें बताती है कि पूरा देश धर्म के नाम पर बंट रहा है. यहां तक कि जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में भी इसका असर देखने को मिला. जब रविवार शाम छात्रों के दो गुटों के बीच नॉनवेज खाने को लेकर हिंसक झड़प हो गई. इसमें कई छात्र घायल हो गए हैं.
ABVP सदस्यों का आरोप है कि लेफ्टविंग के सदस्यों ने कैंपस के अंदर रामनवमी पूजा नहीं करने दी. बाद में खाने पर विवाद की बात करने लगे. हिंसक झड़प के बाद दोनों ही गुटों के मेंबर्स ने थाने में रातभर प्रदर्शन किया. पुलिस ने इस मामले में अब FIR दर्ज कर ली है.
जेएनयू में ABVP के आरोप को देखिए जिसमें कहा जा रहा है कि कैंपस के अंदर छात्र पूजा करना चाहते थे लेकिन करने नहीं दिया गया.. वहीं कर्नाटक का हिजाब विवाद याद कीजिए, जिसमें कहा जाता है कि मुस्लिम बच्चियों को हिजाब नहीं पहनने देंगे क्योंकि स्कूलों में धर्म नहीं लाना चाहिए. लेकिन JNU में नॉन-वेज बनने पर हुड़दंग हो सकते हैं क्योंकि नवरात्र है. यह किस तरह की थ्योरी गढ़ी जा रहै है? या सिर्फ देश में उन्माद फैलाने के लिए यह सब किया जा रहा है.
याद कीजिए देश में ऐसे हालात कब बने जब पूरे मुल्क में हिंसा हो रही हो? भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय देश में भयंकर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी. मज़हबी फ़साद की वजह से पांच से दस लाख के बीच लोग मारे गए. हज़ारों महिलाओं को दूसरे समुदाय के मर्दों ने अगवा करके उनके साथ बलात्कार और दूसरे ज़ुल्म किए.
बंटवारे के वक़्त जो हिंसा हुई, वह अपने-आप भड़क उठने वाला फ़साद नहीं था. हर समुदाय ने अपने-अपने हथियारबंद गिरोह और सेनाएं बना ली थीं. इनका मक़सद सिर्फ़ एक था, दूसरे मज़हब के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को मारना, उन्हें नुक़सान पहुंचाना.
तब के हालात को अभी के हालात से मिलाइए और क्रोनोलॉजी समझिए.... हाल के दिनों में देश के सभी हिस्सों से हिंसा की खबरें आती हैं. चुनाव है या नहीं है, किस प्रदेश में है यह मायने नहीं रखता.. लेकिन विवाद दो ही समूह के बीच होते हैं- हिंदू और मुसलमान....
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अब कर्नाटक का मामला देखिए... यूपी में चुनाव हो रहे थे. तब वहां पर स्कूलों में हिजाब पहनने का विवाद गर्माया.. कोर्ट के दखल के बाद माना गया कि स्कूल या कॉलेज के अंदर वहीं के रूल मान्य होंगे. लेकिन उसके बाद हलाल मीट का विवाद शुरू हुआ. जिसका असर दिल्ली तक देखने को मिला.. इसके अलावा एक संगठन ने तो यहां तक कह दिया कि मंदिर परिसर के आसपास मुस्लिम समुदाय के लोग दुकान नहीं लगा सकेंगे. बात यहीं नहीं थमी अब एक दक्षिण पंथी समूह ने हिंदुओं से मुस्लिम कैब (Cab Controversy) और ट्रैवल ऑपरेटरों की सेवाएं नहीं लेने की अपील की है.
आप सोच रहे होंगे यह तो कर्नाटक का मामला है. देश पर इसका क्या असर होगा. यह वीडियो देखिए जिसमें हिंदुओं से कहा जा रहा है कि वह मुसलमान दुकानदारों से सामान ना लें...
वहीं उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महंत बजरंग मुनि खुलेआम एक मस्जिद के सामने खड़े होकर मुस्लिम महिलाओं से रेप करने की धमकी देता है.
यह अलग बात है कि इस महंत की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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क्या यह सब अचानक शुरू हो गया है? आपने कभी सोचा है कि ऐसे विषयों को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कोई बयान क्यों नहीं आता?
अब इस भड़काऊ बयान को सुनिए... (‘देश के गद्दारों को, गोली मारो…को’.. छोटा सा चंक चलेगा..)
यह साल 2020 का वीडियो है. जब दिल्ली में चुनाव होने वाले थे और NPR, NRC और CAA के साथ आने को लेकर दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाके में मुस्लिम महिलाओं का प्रदर्शन कर रहे थे. देश के अन्य हिस्सों में भी मुस्लिम समुदाय द्वारा इस कानून का विरोध किया जा रहा था. उसी दौरान नई दिल्ली के रिठाला एरिया में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अनुराग ठाकुर ने यह बयान दिया था. अनुराग ठाकुर कोई छोटे-मोटे नेता नहीं हैं. वर्तमान सरकार में वह खेल और सूचना प्रसारण मंत्रालय हैं. 2020 में भी वह केंद्रीय मंत्री थे. वह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से चौथी बार सांसद चुने गए हैं. उनके पिता प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं.
अनुराग ठाकुर ने जब यह भड़काऊ नारा दिया तो भीड़ ने शुरुआत में कुछ नहीं कहा. जिसके बाद अनुराग ठाकुर ने फिर आवाज़ लगाई. भीड़ ने कहा “गोली मारो सालों को”. अनुराग ठाकुर ने कहा कि पीछे तक आवाज़ आनी चाहिए. फिर से लगवाया नारा. भीड़ ने भी जवाब दिया. (पूरा बयान चलेगा.. बीच-बीच में समझाने के लिए वीओ चलेगा)
इस बयान पर अनुराग ठाकुर के खिलाफ कोई कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन असर क्या हुआ देखते हैं.
GFX- दिल्ली में लक्ष्मी नगर के BJP विधायक अभय वर्मा ने पैदल मार्च के दौरान गोली मारो का नारा लगाया. इससे संबंधित एक वीडियो दिल्ली हिंसा के दौरान 25 फरवरी को वायरल हुआ था.
#29 फरवरी, 2020, दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर भीड़ में कुछ लोगों ने ये नारा लगाया. इस मामले में पुलिस ने छह लोगों को हिरासत में लिया.
#वहीं 1 मार्च, 2020 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की कोलकाता रैली में देश के गद्दारों को…वाला नारा लगा था. इस मामले में कोलकाता पुलिस ने तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था.
आप यह सारे आंकड़े नेट पर चेक कर सकते है. कई मीडिया संस्थानों ने इस खबर को जगह दी है.
उसके बाद से यति नरसिंहानंद का बयान हो.
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क्या देश को हेट स्पीच की दिशा में धकेला जा रहा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि 2014 में देश में हेट स्पीच के 336 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, 2020 में 1,804 मामले दर्ज हुए हैं. यानी, 7 साल में हेट स्पीच के मामले 6 गुना तक बढ़ गए हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में 2014 से लेकर अब तक हेट स्पीच के मामलों में 1,130 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में अदालतों में हेट स्पीच से जुड़े 19 मामलों का ही ट्रायल पूरा हुआ था. इनमें से सिर्फ 4 में ही सजा मिली थी. 2020 में 186 मामलों में ट्रायल पूरा हुआ और 38 मामलों में सजा मिली. 2020 में हेट स्पीच के मामलों में कन्विक्शन रेट 20.4% था. इससे पहले 2019 में 159 मामलों का ट्रायल पूरा हुआ था और 42 मामलों में सजा मिली थी. इसका मतलब हुआ कि ज्यादातर मामलों में आरोपी बरी हो जाते हैं.
देश में दंगों का इतिहास पुराना है. फिर चाहे वह कांग्रेस की सरकार हो, बीजेपी की सरकार या किसी अन्य दल की. लेकिन हिंसा कुछ खास इलाकों तक ही सीमित रहती है. फिर क्या वजह है कि केंद्र में पीएम मोदी और देश के अधिकतर हिस्से में बीजेपी सरकार होने के बावजूद, हिंदू खतरे में आ गए हैं? और लपेटे में कोई हिस्सा या राज्य भर नहीं पूरा देश आ गया है....